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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

किर्गिज़स्तान में राजनीतिक संकट

  • 10 Oct 2020
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये

किर्गिज़स्तान की भौगोलिक अवस्थिति, सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO)

मेन्स के लिये

किर्गिज़स्तान में राजनीतिक अस्थिरता और उसका कारण, रूस की भूमिका

चर्चा में क्यों?

किर्गिज़स्तान में हालिया संसदीय चुनावों के बाद सड़कों पर विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है, वहीं सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच किर्गिज़स्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने राजधानी बिश्केक (Bishkek) में आपातकाल की घोषणा कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • विरोध प्रदर्शन- पृष्ठभूमि 
    • दरअसल सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समेत तमाम क्षेत्रों में किर्गिज़स्तान की मौजूदा सरकार का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है, जिसके कारण किर्गिज़स्तान की आम जनता के बीच असंतोष पैदा हो गया था।
    • इसलिये जब 4 अक्तूबर, 2020 को किर्गिज़स्तान के लोग संसदीय चुनावों में वोट डालने के लिये आए तो अधिकांश विशेषज्ञ मान रहे थे कि इस बार किर्गिज़स्तान की मौजूदा सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा।
    • यद्यपि कई जानकारों को पहले से ही यह डर था कि राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव की सरकार चुनावों में कुछ हेर-फेर कर सकती है, किंतु जब चुनाव के नतीजे जारी किये गए तो यह डर विश्वास में परिवर्तित हो गया।
    • ध्यातव्य है कि इन चुनावों में किर्गिज़स्तान के राष्ट्रपति से संबद्ध दलों को काफी अधिक मत प्राप्त हुए, जबकि राष्ट्रपति का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों को काफी कम मत मिले। 
  • विरोध प्रदर्शन- कारण
    • नियमों के अनुसार, किर्गिज़स्तान में राजनीतिक दलों हेतु सदन में प्रवेश करने के लिये कुल मतों का कम-से-कम 7 प्रतिशत मत प्राप्त करना आवश्यक है।
    • किर्गिज़स्तान में हालिया चुनावों के नतीजे बताते हैं कि वहाँ केवल 4 दल ही ऐसे हैं जो इस 7 प्रतिशत की सीमा को पार कर सके हैं और जिसमें से 3 सरकार समर्थक दल हैं।
    • सरकार समर्थक तीन दलों को क्रमशः 24.5 प्रतिशत, 23.88 प्रतिशत और 8.76 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं, जबकि जीत हासिल करने वाले चौथे दल को केवल 7.13 प्रतिशत मत ही प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा शेष 12 दल चुनावों में जीत हासिल नहीं कर पाए हैं।
    • नतीज़ो को देखते हुए वहाँ के विपक्षी दलों ने सत्ताधारी दल पर चुनावों में धाँधली करने के आरोप लगाए और किर्गिज़स्तान की राजधानी बिश्केक में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत हो गई तथा अब वहाँ हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं।

किर्गिज़स्तान में अशांति

प्रथम दृष्टया किर्गिज़स्तान में हो रहे विरोध प्रदर्शन हालिया चुनावों का परिणाम लग सकता है, किंतु विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार विरोधी ये प्रदर्शन काफी हद तक सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य समेत तमाम क्षेत्रों में किर्गिज़स्तान की मौजूदा सरकार की असफलताओं से प्रेरित हैं।

  • भ्रष्टाचार की समस्या
    • किर्गिज़स्तान, सरकार के सभी स्तरों और अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में व्यापक भ्रष्टाचार की बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। वर्षों के भ्रष्टाचार और उससे संबंधित अनुचित प्रथाओं के कारण यहाँ नागरिक असंतोष एवं राजनीतिक अस्थिरता को हवा मिली और इसी असंतोष का परिणाम किर्गिज़स्तान में वर्ष 2011 के विद्रोह के रूप में सामने आया था।
    • ध्यातव्य है कि वर्ष 2019 के करप्शन परसेप्शन इंडेक्स (CPI) में किर्गिज़स्तान को 198 देशों में 126वाँ स्थान प्राप्त हुआ था।
  • आर्थिक अस्थिरता
    • यूरेशियन डेवलपमेंट बैंक के अनुसार, इस वर्ष किर्गिज़स्तान की अर्थव्यवस्था में 4.6 प्रतिशत का संकुचन आ सकता है और यदि राजनीतिक स्थिरता के मौजूदा हालात लंबे समय तक कायम रहते हैं तो इसके आर्थिक प्रभाव काफी गंभीर हो सकते हैं।
    • वर्ष 2019-20 में किर्गिज़स्तान की आर्थिक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई थी तथा आने वाले समय में किर्गिज़स्तान की आर्थिक वृद्धि दर में और अधिक कमी आने का अनुमान है।
  • COVID-19 महामारी
    • किर्गिज़स्तान में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक कुल 48,924 मामले सामने आ चुके हैं और महामारी की चपेट में आने के कारण तकरीबन 1,082 लोगों की मौत हो चुकी है, यद्यपि भारत जैसे बड़े देश की तुलना में यह आँकड़ा चिंताजनक न लगे, किंतु किर्गिज़स्तान जैसे छोटे देश के मामले यह स्थिति काफी चिंताजनक है।
    • सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल लोगों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि उन्हें वायरस का मुकाबला करने के लिये अधिकारियों से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मिल रही है।

किसके पास है प्रशासन?

  • प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन और राष्ट्रपति कार्यालय समेत कई प्रमुख सरकारी इमारतों पर कब्ज़ा कर लिया है। वहीं किर्गिज़स्तान के राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने अपने एक संदेश में विपक्षी दल के नेताओं पर तख्तापलट की साज़िश में शामिल होने का आरोप लगाया है।
    • 5 अक्तूबर, 2020 को सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री कुबाटबेक बोरोनोव ने भी पद से इस्तीफा दे दिया है।
    • इसके अलावा बिश्केक के मेयर और कई क्षेत्रों के गवर्नर्स ने भी अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। 
    • मौजूदा राष्ट्रपति सूरोनबे जीनबेकोव ने नवंबर 2017 में राष्ट्रपति का पदभार ग्रहण किया था और संवैधानिक रूप से उनके कार्यकाल में अभी तीन वर्ष शेष हैं, किंतु प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके इस्तीफे की भी मांग की जा रही है।
  • प्रदर्शनकारियों ने अपने एक प्रतिनिधि को देश के नए प्रधानमंत्री के रूप में नामित किया है। इस प्रकार किर्गिज़स्तान के प्रशासन को लेकर अभी भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

रूस की भूमिका

  • किर्गिज़स्तान, रूस के नेतृत्व वाले सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (CSTO) का सदस्य है और इसके अलावा यहाँ रूसी एयर बेस भी मौजूद है। 
  • यद्यपि रूस ने किर्गिज़स्तान के सभी राजनीतिक दलों के साथ मज़बूत संबंध स्थापित किये हैं, किंतु किर्गिज़स्तान की राजनीति में कोई भी बड़ा परिवर्तन रूस के प्रतिद्वंद्वियों के लिये एक अच्छा अवसर हो सकता है।
    • रूस द्वारा समर्थित एक अन्य देश बेलारूस में भी अगस्त माह में राष्ट्रपति चुनावों के बाद से राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है।
    • वहीं आर्मीनिया और अज़रबैजान के बीच नागोर्नो-करबख को लेकर भी विवाद चल रहा है और जानकार मानते हैं कि इस विवाद को जल्द ही नहीं रोका गया तो रूस भी इस विवाद में शामिल हो सकता है।

किर्गिज़स्तान

  • मध्य एशिया का देश किर्गिज़स्तान उत्तर-पश्चिम और उत्तर में कज़ाखस्तान, पूर्व और दक्षिण में चीन तथा दक्षिण और पश्चिम में ताज़िकिस्तान एवं उज़्बेकिस्तान के साथ अपनी सीमा साझा करता है। किर्गिज़स्तान की राजधानी बिश्केक है।
  • किर्गिज़स्तान एक स्वतंत्र देश के रूप में वर्ष 1991 में अस्तित्व में आया था।
  • तकरीबन 6 मिलियन की आबादी वाले किर्गिज़स्तान का कुल क्षेत्रफल लगभग 1,99,951 वर्ग किलोमीटर है। किर्गिज़स्तान में मुख्य तौर पर मुस्लिम और ईसाई आबादी पाई जाती है।

महत्त्व

  • मध्य एशिया का यह देश जो कि चीन के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है, रूस और चीन दोनों के लिये ही रणनीतिक दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • रूस, किर्गिज़स्तान को एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार के रूप में देखता है और उस पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिये भरसक प्रयास करता है, वहीं चीन के लिये यूरेशियाई के केंद्र के स्थित यह देश उसके बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) हेतु काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • इसके अलावा अफगान युद्ध के शुरुआती दौर में ईंधन भरने और अन्य रसद संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये किर्गिज़स्तान का उपयोग किया गया था, किंतु किर्गिज़स्तान में अमेरिका के सैन्य अड्डे को वर्ष 2014 में बंद कर दिया गया है।

kyrgyzstan

स्रोत: द हिंदू

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