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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

महासागरों में तैर रहे हैं 5.25 लाख करोड़ प्लास्टिक के टुकड़े

  • 05 Jul 2017
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में न्यूज़ीलैंड की डेटा फर्म ‘डंपर्क’ ने महासागरों का एक ऐसा इंटरेक्टिव मानचित्र जारी किया जो हैरान करने के साथ-साथ बेहद डरावना भी है।
  • डंपर्क के मुताबिक प्रत्येक वर्ष करीब आठ टन प्लास्टिक हम महासागरों में फेंक देते हैं, जो समुद्री और मानव जीवन दोनों के लिये गंभीर खतरे का संकेत है।
  • दरअसल, इंसानों द्वारा प्लास्टिक का हो रहा बेतहाशा प्रयोग अब मानव जीवन के लिये ही खतरे का सबब बनता नज़र आने लगा है।
  • डंपर्क द्वारा जारी मानचित्र के मुताबिक महासागरों में इस वक्त 5.25 लाख करोड़ प्लास्टिक के टुकड़े हैं। 

शोध से संबंधित महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • मानचित्र में दिखाया गया है कि उत्तरी प्रशांत महासागर में प्लास्टिक का कहर कुछ ज़्यादा ही है। इसके पानी में करीब 2 खरब प्लास्टिक के टुकड़े तैरते दिखाई देते हैं जिनका कुल वज़न करीब 87 लाख किलोग्राम है, जो समुद्री कचरे का एक तिहाई हिस्सा है।
  • यह चिंतनीय है कि हिंद महासागर में भी प्लास्टिक कचरे का कुछ ऐसा ही हाल है। मानचित्र से पता चलता है कि हिंद महासागर भी अत्यधिक प्रदूषित है, इसके पानी में 1.3 खरब बड़े-बड़े प्लास्टिक के टुकड़े हैं।
  • इस शोध से पता चलता है कि महासागरों में प्लास्टिक प्रदूषण का 60 फीसदी हिस्सा सिर्फ पाँच देश ही फैलाते हैं, जिनमें चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और थाईलैंड शामिल हैं।
  • महासागर पर शोध करने वाले डॉ. मार्कस एरिक्सन का कहना है कि हमें प्लास्टिक रीसाइक्लिंग के बारे में गंभीरता से सोचना होगा और व्यक्तिगत रूप से भी अपनी ज़िम्मेदारी का निर्वाह करना पड़ेगा, तभी यह धरती सुरक्षित रह सकती है।

महासागरीय प्रदूषण के दुष्परिणाम

  • महासागरों में बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बनता जा रहा है। अरबों टन प्लास्टिक का कचरा हर साल महासागर में समा जाता है। आसानी से विघटित नहीं होने के कारण यह कचरा महासागर में जस का तस पड़ा रहता है।
  • अकेले हिंद महासागर में भारतीय उपमहाद्वीप से पहुँचने वाली भारी धातुओं और लवणीय प्रदूषण की मात्रा प्रतिवर्ष करोड़ों टन है।
  • विषैले रसायनों के रोज़ाना मिलने से समुद्री जैव विविधता भी प्रभावित होती है। इन विषैले रसायनों के कारण समुद्री वनस्पति की वृद्धि पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • पृथ्वी के विशाल क्षेत्र में फैले अथाह जल का भंडार होने के साथ ही महासागर अपने अंदर व आस-पास अनेक छोटे-छोटे नाज़ुक पारितंत्रों को पनाह देते हैं जिससे उन स्थानों पर विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु व वनस्पतियाँ पनपती हैं।
  • महासागरों में प्रवाल भित्ति क्षेत्र ऐसे ही एक पारितंत्र का उदाहरण है जो असीम जैव-विविधता का प्रतीक है। तटीय क्षेत्रों में स्थित मैंग्रोव जैसी वनस्पतियों से संपन्न वन, समुद्र के अनेक जीवों के लिये नर्सरी बनकर विभिन्न जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं।
  • काबिलेगौर है कि महासागर धरती के मौसम को निर्धारित करने वाले प्रमुख कारक हैं। महासागरीय जल की लवणता और विशिष्ट ऊष्माधारिता का गुण पृथ्वी के मौसम को प्रभावित करता है।

महासागरों को प्रदूषणमुक्त करने हेतु प्रयास

  • पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाले पारितंत्रों में महासागर की उपयोगिता को देखते हुए यह आवश्यक है कि हम महासागरीय पारितंत्र के संतुलन को बनाए रखें तभी हमारा भविष्य सुरक्षित रहेगा।
  • सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्त्वपूर्ण होने के कारण महासागर अत्यंत उपयोगी हैं। महासागरों के प्रति जागरूकता के उद्देश्य से हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  • विदित हो कि प्रत्येक वर्ष एक थीम-विशेष पर पूरे विश्व में महासागर दिवस से संबंधित आयोजन किये जाते हैं। इस वर्ष का थीम था ‘हमारे महासागर-हमारा भविष्य है’।
  • संयुक्त राष्ट्र के तत्त्वावधान में निश्चित किये गए सतत विकास के लक्ष्यों में महासागरों के संरक्षण एवं उनके सतत उपयोग को भी शामिल किया गया है।
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