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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रत्यारोपण योग्य जैव-कृत्रिम अग्न्याशय मॉडल

  • 01 Sep 2017
  • 2 min read

चर्चा में क्यों ?

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) गुवाहाटी के शोधकर्त्ताओं ने सफलतापूर्वक एक 3डी रेशम पाड़ के भीतर विकसित एक प्रत्यारोपण योग्य जैव-कृत्रिम अग्न्याशय मॉडल बनाया है। यह अग्न्याशय, जो इंसुलिन उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं को समाहित कर सकता है, स्वाभाविक रूप से निरंतर इंसुलिन उत्पन्न करने में सक्षम है। 

इसे कैसे बनाया गया 

  • आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्त्ताओं ने एक अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली अवरोध का बीटा कोशिकाओं पर लेप चढ़ाया। यह झिल्ली इन्सुलिन को रुधिर धारा में जाने देती है परंतु प्रतिरक्षी कोशिकाओं को झिल्ली पार करने और आइलेट कोशिकाओं को मारने की अनुमति नहीं देती है। 

टाइप-1 मधुमेह क्या है ?

  • जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इंसुलिन उत्पादन करने वाली बीटा कोशिकाओं को मार देती हैं तब यह बीमारी उत्पन्न होती है।
  • चूँकि टाइप-1 मधुमेह के मरीज में इन्सुलिन उत्पन्न करने वाली बीटा कोशिकाएँ नहीं पाई जाती हैं, इसलिये शोधकर्त्ताओं ने बीटा कोशिकाओं को उत्पन्न करने के लिये स्टेम कोशिकाओं का उपयोग किया। 
  • इस अध्ययन के परिणाम बायोमैटिरियल्स साइंस एंड इंजीनियरिंग (Biomaterials Science & Engineering-ACS) पत्रिका में प्रकाशित किए गए थे।

आगे की राह 

  • यदि पशुओं और इंसानों पर इस परीक्षण को सफल पाया गया तो इसका इस्तेमाल टाइप-1 मधुमेह के रोगियों के इलाज के लिये किया जा सकता है।
  • शोधकर्त्ताओं ने अब जानवरों में इसके परीक्षण की योजना बनाई है। वे पहले से ही मधुमेह चूहों का उत्पादन कर चुके हैं और जल्द ही इन चूहों में से मधुमेह को वापस करने के लिये पाड़ डालेंगे।
  • इंसानों में इस पाड़ को पेट में मौजूद वसा परत में प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
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