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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

देश में ही दूरसंचार उपकरणों का विनिर्माण

  • 25 Sep 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों ? 

भारत में मोबाइल हैंडसेट्स के विनिर्माण के क्षेत्र में सफलता के बाद सरकार की नज़र अब टेलीकॉम  उपकरणों के भारत में ही विनिर्माण करने पर है। भारत में इन उपकरणों का निर्माण न केवल मेक इन इंडिया अभियान की दृष्टि से फायदेमंद होगा बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से भी इसकी आवश्यकता महसूस की जा रही है। 

प्रमुख बिंदु 

  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) ने देश में ही स्थानीय स्तर पर टेलीकॉम  उपकरणों के निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिये एक परामर्श पत्र जारी किया है। 
  • ट्राई के अनुसार वर्ष 2012 से 2016 के बीच भारत में टेलीकॉम  उपकरणों का आयात प्रतिवर्ष 16.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा है जबकि इनके निर्यात में 18 प्रतिशत की गिरावट आई है। 
  • भारत अपनी ज़रूरत का 80-85 प्रतिशत टेलीकॉम  उपकरणों का आयात करता है। 

प्रतिस्पर्द्धा और प्रोत्साहन 

  • भारत में टेलीकॉम  उपकरणों की इस स्थिति का कारण चीन से ऐसे उपकरणों का सस्ता आयात और प्रतिस्पर्द्धा है। गौरतलब है कि चीन सस्ते टेलीकॉम उपकरणों का बड़ी मात्रा में उत्पादन और निर्यात करता है। 
  • भारत चीन के अलावा स्वीडन, फिनलैंड और अमेरिका से भी टेलीकॉम उपकरणों का आयात करता है। 
  • वर्ष 2014 में पहली बार मोबाइल हैंडसेट्स के विनिर्माण को प्रोत्साहन दिया गया था जिससे उत्साहित होकर अनेक हैंडसेट निर्माता यहाँ आए थे। सरकार एक बार फिर टेलीकॉम उपकरणों के लिये उसी नीति को दोहराना चाहती है।   

टेलीकॉम ऑपरेटर आयात करना क्यों पसंद करते हैं ? 

  • भारतीय टेलीकॉम ऑपरेटर इनका आयात करना इसलिये पसंद करते हैं क्योंकि एक तरफ बिना किसी शुल्क के उपकरणों के आयात से सेवा प्रदाता और यूजर्स दोनों को लाभ होता है, तो दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर उत्पादन क्षमता में वृद्धि का अभाव है। 
  • टेलीकॉम ऑपरेटरों को भारत के बाहर से उपकरणों का आयात सस्ता पड़ता है।  
  • घरेलू स्तर पर उत्पादन क्षमता में वृद्धि का अभाव इस क्षेत्र की सफलता के लिये एक बहुत बड़ी चुनौती है। टेलीकॉम उपकरणों को यहाँ बनाने के लिये घरेलू विनिर्माताओं को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता है। 

सुरक्षा का विषय 

  • विदेशों में बने टेलीकॉम उपकरणों से देश की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है इसलिये सरकार देश की सुरक्षा के हित में इसे देश में ही बनाना चाहती है। 

भारत में समस्या 

  • भारत में टेलीकॉम उपकरण के निर्माण में विशेष सफलता हासिल न होने के कई कारण हैं।
  • इस क्षेत्र में पहले से ही विश्व की अनेक स्थापित कंपनियाँ मौजूद हैं जिनके उत्पाद पर ग्राहकों का भरोसा बना हुआ है।  
  • दूसरा, भारत में इनकी स्थापना के लिये अधिक पूंजी की आवश्कता है। 
  • तीसरा, टेलीकॉम उपकरणों के निर्माण के लिये नेटवर्किंग, सॉफ्टवेयर इत्यादि जैसे कई क्षेत्रों में विशेषज्ञता की आवश्कता है जिनमें भारत अभी पीछे है।  
  • और अंत में, सरकार ने भी अब तक केवल मोबाइल के विनिर्माण में रुची दिखलाई थी जिसकी वजह से यह क्षेत्र अन्य देशों के मुकाबले पीछे है।  

आगे की राह

  • भारत को टेलीकॉम  उपकरणों के विनिर्माण का वैश्विक हब बनाने के लिये उपयुक्त वातावरण चाहिये। 
  • इसके लिये विनिर्माण को सौ फीसदी की दर से वृद्धि करनी होगी और भारत को अपनी बौद्धिक संपदा, सुरक्षा और वित्तपोषण से संबंधित नीतियों में महत्त्वपूर्ण बदलाव की आवश्यकता पड़ेगी।
  • सरकार को भारत में टेलीकॉम उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये विनिर्माताओं को कुछ प्रोत्साहन देना चाहिये जैसे – कर में छूट, विश्व स्तरीय शोध और विकास केंद्र स्थापित करने के लिये प्रोत्साहन, श्रम नीति में लचिलापन इत्यादि। 
  • जिस तरह चीन में हुवे (Huawei) को चीनी सरकार का समर्थन प्राप्त है, उसी तरह भारत में भी भारतीय टेलेफोन इंडस्ट्रीज़ को आगे बढ़ाने के लिये सरकार का पूरा सहयोग मिलना चाहिये।
  • अंततः इस क्षेत्र में मेक इन इंडिया और सुरक्षा दोनों के मामले में सी-डॉट (C-Dot) को बड़ी भूमिका अदा करनी है।
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