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शासन व्यवस्था

‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2020’

  • 07 Jun 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs) ने आधिकारिक तौर पर नई दिल्ली में शहरी भारत के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण के पाँचवें संस्करण ‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2020’ (Swachh Survekshan 2020) की शुरुआत की।

  • उल्लेखनीय है कि इस सर्वेक्षण में गंदे पानी की सफाई तथा इसके पुन: उपयोग और मल गाद प्रबंधन से संबंधित मानकों पर विशेष फोकस किया जाना सुनिश्चित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • मंत्रालय के अनुसार, देश में शहरों और नगरों की स्‍वच्‍छता का तिमाही मूल्‍यांकन किया जाएगा; अप्रैल-जून 2019, जुलाई-सितंबर 2019 तथा अक्‍तूबर-दिसंबर 2019। प्रत्‍येक तिमाही का भारांक 2000 होगा।
  • इसका मूल्यांकन  एसबीएम-यू (Server Message Block-U) की ऑनलाइन मासिक नवीनतम जानकारी (Management Information System-MIS) तथा 12 सेवा स्‍तर प्रगति सूचकों के नागरिक सत्‍यापन के आधार पर किया जाएगा।
  • एक साथ दोनों मानक शहरों की तिमाही रैंकिंग का निर्धारण करेंगे, जिसकी रैंकिंग दो श्रेणियों में की जाएगी। पहली श्रेणी एक लाख और उससे ऊपर की आबादी वाले शहरों की तथा दूसरी श्रेणी एक लाख से कम आबादी वाले नगरों की होगी।

पृष्ठभूमि

  • शहरों में बेहतर स्वच्छता सुनिश्चित करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम उठाते हुए आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने पहली बार जनवरी 2016 में ‘स्वच्छ सर्वेक्षण-2016’ आयोजित किया था। इसके अंतर्गत 73 शहरों की रैंकिंग की गई थी।
  • इसके बाद जनवरी-फरवरी 2017 के दौरान ‘स्वच्छ सर्वेक्षण-2017’ कराया गया था जिसके तहत 434 शहरों की रैंकिंग की गई।
  • सर्वेक्षण के तीसरे चरण अर्थात् ‘स्वच्छ सर्वेक्षण-2018’ का बड़े पैमाने पर आयोजन किया गया। इसके तहत 4203 शहरों एवं कस्बों में सर्वेक्षण कराया गया जिसे 66 दिनों की रिकॉर्ड अवधि में पूरा किया गया।
  • इसके साथ ही यह विश्व में अब तक का सबसे व्यापक स्वच्छता सर्वेक्षण बन गया जिसके दायरे में लगभग 40 करोड़ लोग आते हैं।

‘स्वच्छ सर्वेक्षण 2019’ के संदर्भ में

  • इस सर्वेक्षण को ऑनलाइन एमआईएस (Management Information System-MIS) के ज़रिये पूरी तरह से डिजिटल रूप प्रदान किया गया है।
  • 4 बड़े स्रोतों जैसे कि ‘सेवा स्तर पर प्रगति, प्रत्यक्ष अवलोकन, नागरिकों से मिली प्रतिक्रिया और प्रमाणन’ के आधार पर आँकड़ों का संग्रह किया गया।
  • ‘सेवा स्तर पर प्रगति’ के तहत विभिन्न अवयवों को संशोधित भारांक (वेटेज) दिया गया। इसके अलावा एक नया अवयव ‘उप नियम’ भी जोड़ा गया।
  • प्रमाणन (कचरा मुक्त शहरों और खुले में शौच मुक्त प्रोटोकॉल की स्टार रेटिंग): आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने शहरों के ‘प्रमाणन’ का एक महत्त्वपूर्ण अवयव शुरू किया है।

स्रोत- PIB

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