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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

DRDO द्वारा अभ्यास का सफल परीक्षण

  • 23 Sep 2020
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), अभ्यास (ABHYAS)

मेन्स के लिये 

अभ्यास के बारे में 

चर्चा में क्यों? 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research&Development Organisation- DRDO) द्वारा ओडिशा के बालासोर रेंज से अभ्यास (ABHYAS) ‘हाई-स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टारगेट’ (High Speed Expandable Aerial Target-HEAT) का सफल उड़ान परीक्षण किया गया। परीक्षणों के दौरान दो प्रदर्शनात्मक वाहनों का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। 

प्रमुख बिंदु

अभ्यास के बारे में 

  • यह वाहन एक ड्रोन है जिसे विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के मूल्यांकन के लिये एक लक्ष्य के रूप में उपयोग किया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग ‘डिकॉय एयरक्राफ़्ट’ (Decoy Aircraft) के रूप में किया जा सकता है। डिकॉय एयरक्राफ्ट की प्राथमिक भूमिका प्रक्षेपास्रों को विमान से दूर कर युद्धक विमानों की रक्षा करना होती है। 
  • अभ्यास को वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (Aeronautical Development Establishment- ADE) द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है। एयर वाहन को जुड़वाँ अंडरस्लैंग बूस्टर (Under Slung) का उपयोग करके लॉन्च किया गया है।
  • यह एक छोटे गैस टरबाइन इंजन द्वारा संचालित है। इसमें मार्गदर्शन और नियंत्रण के लिये उड़ान नियंत्रण कंप्यूटर के साथ नेविगेशन के लिये MEMS (Microelectromechanical Systems) आधारित इनरट्रियल नेविगेशन सिस्टम (INS) है। 
  • वाहन को पूरी तरह से स्वायत्त उड़ान के लिये क्रमादेशित किया गया है। एयर व्हीकल का परीक्षण लैपटॉप आधारित ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (Ground Control System-GCS) का उपयोग करके किया जाता है।

रक्षा विकास एवं अनुसंधान संस्थान (DRDO)

  • DRDO भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक अनुसंधान एवं विकास (R&D) विंग है, जो अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल कर भारत के सैन्य बलों को सशक्त बनाने का लक्ष्य रखता है। 
  • आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की और अग्रसर DRDO ने विभिन्न रणनीतिक प्रणालियों और प्लेटफार्मों के सफल स्वदेशी विकास और उत्पादन, जैसे- मिसाइलों की अग्नि और पृथ्वी शृंखला; हल्के लड़ाकू विमान जैसे- तेजस; मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर, जैसे- पिनाका; वायु रक्षा प्रणाली, जैसे- आकाश; रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली की एक विस्तृत श्रृंखला आदि का विकास और उत्पादन करके भारत के सैन्य बलों को सशक्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है।
  • DRDO का गठन वर्ष 1958 में भारतीय सेना के तत्कालीन तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Developmennt Establishments-TDEs) और रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation-DSO) के तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (the Directorate of Technical Development & Production-DTDP) को परस्पर मिलाकर किया गया था।
  • वर्तमान में DRDO में 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है, जो विभिन्न विषयों को कवर करने वाली रक्षा तकनीकों, जैसे- एयरोनॉटिक्स, आर्मामेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, कॉम्बैट व्हीकल, इंजीनियरिंग सिस्टम, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइल, एडवांस्ड कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, स्पेशल मटीरियल, नेवल सिस्टम , जीवन विज्ञान, प्रशिक्षण और सूचना प्रणाली को विकसित करने में संलग्न हैं। 

वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE)

  • ADE एक प्रमुख वैमानिकी प्रणाली डिज़ाइन हाउस है जो भारतीय सैन्य बलों के लिये अत्याधुनिक मानवरहित एरियल व्हीकल्स और वैमानिकी प्रणाली एवं तकनीकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सलग्न है।

आगे की राह 

  • यह दूसरी बार है जब लक्ष्य वाहन अभ्यास का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। इससे पूर्व मई 2019 में इसका सफल परीक्षण किया गया था। इस दूसरे परीक्षण के दौरान अभ्यास ने मूल्यांकन किये जा रहे सभी मापदंडों को पूरा किया है।  
  • DRDO के अनुसार, परीक्षण वाहन ने 5 किमी की ऊँची, 0.5 मैक (mach) की वाहन गति (ध्वनि की गति से आधी गति), 30 मिनट की सहनशक्ति (Endurance) और 2G टर्न आदि क्षमताओं के मापदंड को पूर्ण किया। अभ्यास का उपयोग विभिन्न मिसाइल प्रणालियों के लिये लक्ष्य के रूप में किया जा सकता है।

स्रोत: पीआईबी

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