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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

स्टार्ट अप्स को सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों से प्राप्त होगी भूमि

  • 04 May 2017
  • 5 min read

संदर्भ
भारी उद्योग मंत्रालय एक प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इस प्रस्ताव में केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के स्वामित्व वाली उस अनुपयुक्त भूमि का उचित प्रयोग करने का सुझाव दिया गया है जिसे वितरित करने अथवा बेचने की योजना सरकार बनाती है। इस भूमि पर स्टार्ट अप कंपनियों के लिये औद्योगिक स्थान उपलब्ध कराया जाएगा।

प्रमुख बिंदु

  • भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली विभिन्न कंपनियों के पास विस्तृत भूमि है। इस भूमि को अन्य सार्वजनिक क्षेत्र की इकायों अथवा राज्य सरकारों को हस्तांतरित करने के अलावा इसका उपयोग स्टार्ट अप कंपनियों के लिये औद्योगिक स्थान उपलब्ध कराने में भी किया जाएगा।
  • स्टार्ट अप कंपनियों के लिये भूमि उपलब्ध होने से कारोबार को स्थापित करने में व्यवसायियों को समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा तथा वे बिना किसी देरी के शीघ्र ही अपने कार्य की शुरुआत भी कर सकते हैं।
  • अभी तक कारोबार की स्थापना के लिये निर्माण की अनुमति देने की समयसीमा 372 दिन थीं परन्तु इसमें कई समस्याएँ भी थी क्योंकि विनिर्माण इकाइयों को स्थल का चयन तथा भूमि का अधिग्रहण भी करना पड़ता था। अब यह संभव है कि जिन कम्पनियों को शीघ्र ही स्थापित करना है अब उनके लिये सार्वजानिक क्षेत्र की इकाइयों की भूमि उपलब्ध रहेगी।
  • इस परिप्रेक्ष्य में मंत्रालय ने सरकार की ऑटो कम्पनी स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड का भी उदाहरण दिया जिसका अधिग्रहण करने की सरकार ने योजना बनाई है।
  • उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियों के पास लगभग 147 करोड़ की भूमि संपत्ति है जिसमें से 125 एकड़ भूमि अप्रयुक्त है। इस भूमि का उपयोग विनिर्माण और देरी किये बिना रोज़गार के अवसर उपलब्ध करने के लिये किया जा सकता है।
  • इस प्रस्ताव के अनुसार,स्कूटर्स इंडिया की 125 एकड़ की अप्रयुक्त भूमि की कीमत बाज़ार मूल्यों के आधार पर निर्धारित की जाएगी। इसके कारण न केवल स्कूटर्स इंडिया की कीमत में वृद्धि होगी बल्कि यह एक विनिर्माण परिवेश भी उपलब्ध कराएगा जिससे रोज़गारों का सृजन होगा।
  • यह एक सराहनीय विचार है क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के पास बड़ी मात्रा में अप्रयुक्त भूमि है। उद्योगों को स्थापित करने के लिये कारोबारियों के समक्ष भूमि के अधिग्रहण की समस्या भी आती है। इन ज़मीनों को स्टार्ट अप कम्पनियों को लीज़ पर देना भूमि के मुद्रीकरण का एक अच्छा तरीका है। इसके माध्यम से सरकार भूमि के लिये अधिक मूल्य प्राप्त करेगी।

क्‍या है स्‍टार्टअप?

  • स्‍टार्टअप एक नई कंपनी होती है, जिसको शुरू करने के बाद उसको विकसित किया जाता है। आमतौर पर स्‍टार्टअप यानी नई कंपनी शुरू करने को कहा जाता है, जिसे कोई व्यक्ति स्वयं या दो तीन लोगों के साथ मिलकर शुरू करता है।
  • आमतौर पर उसको शुरू करने वाला व्‍यक्ति उसमें पूंजी लगाने के साथ कंपनी का संचालन भी करता है। विदित हो कि भारत सरकार, उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से “स्टार्टअप इंडिया” के नाम से एक योजना की शुरुआत भी कर चुकी है।
  • हालाँकि, हाल के कुछ अध्ययनों से यह प्रमाणित हुआ है कि स्टार्टअप इंडिया को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव है और इसके लाभार्थियों की संख्या भी बहुत ही कम है। तदोपरान्त, सरकार ने स्टार्टअप इंडिया योजना के नियमों में व्यापक परिवर्तन भी किये हैं।
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