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कमज़ोर जनजातीय समूहों में कोविड संक्रमण का प्रसार

  • 17 May 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण ओडिशा के आठ  विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (Particularly Vulnerable Tribal Groups- PVTGs) के कई सदस्य संक्रमित हो गए।

प्रमुख बिंदु: 

ओडिशा में जनजातीय समूह:

  • वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश की कुल जनजातीय आबादी का 9% ओडिशा में पाया जाता है।
  • राज्य की कुल जनसंख्या में  22.85 % जनजातीय समूह पाए जाते हैं। 
  • अपनी जनजातीय आबादी की संख्या के मामले में ओडिशा भारत में तीसरे स्थान पर है।
  • ओडिशा में रहने वाले 62 जनजातीय समूहों में से 13 को  विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों के रूप में मान्यता प्राप्त है।
    • ओडिशा की 13 विशेष रूप से कमज़ोर जनजातियों में बोंडा (Bonda), बिरहोर (Birhor), चुक्तिया भुंजिया (Chuktia Bhunjia), दीदई (Didayi) , डोंगरिया कोंध (Dungaria Kandha), हिल खरिया (Hill Kharia), जुआंग (Juang), कुटिया कोंध (Kutia Kondh), लांजिया सोरा (Lanjia Saora), लोढ़ा (Lodha), मनकीडिया (Mankirdia), पाउड़ी भुइयां (Paudi Bhuyan) और सौरा (Saora) शामिल हैं।
  • राज्य में जनजातीय आबादी सात ज़िलों कंधमाल, मयूरभंज, सुंदरगढ़, नबरंगपुर, कोरापुट, मलकानगिरि और रायगढ़ के अलावा 6 अन्य ज़िलों के कुछ हिस्सों में पाई जाती है।

विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूह (PVTGs):

  • आदिम जनजातीय समूहों (PTGs) का निर्माण: वर्ष 1973 में ढेबर आयोग (Dhebar Commission ) ने आदिम जनजातीय समूहों (Primitive Tribal Groups- PTGs) को एक अलग श्रेणी के रूप में वर्गीकृत किया , जो कि जनजातीय समूहों के मध्य कम विकसित होते हैं। 
  • वर्ष 2006 में भारत सरकार द्वारा  PTGs  का नाम परिवर्तित कर PVTGs कर दिया गया।
    • वर्ष 1975 में भारत सरकार द्वारा PVTGs नामक एक अलग श्रेणी के रूप में सबसे कमज़ोर आदिवासी समूहों की पहचान की गई जिसमें  ऐसे 52 समूहों को शामिल किया गया। वर्ष 1993 में इस श्रेणी में 23 और ऐसे अतिरिक्त समूहों को शामिल किया गया जिसमें 705 जनजातियों में से 75 को  विशेष रूप से सुभेद्य  जनजातीय समूह (PVTG’s) में शामिल किया गया।
    • 75 सूचीबद्ध PVTG’s में से सबसे अधिक संख्या ओडिशा में पाई जाती है।
  •  PVTGs की विशेषताएंँ: सरकार PVTGs को निम्नलिखित आधार पर वर्गीकृत करती है:
    • अलगाव की स्थिति
    • स्थिर या घटती जनसंख्या
    • साक्षरता का निम्न स्तर
    • लिखित भाषा का अभाव
  • अर्थव्यवस्था का पूर्व-कृषि आदिम चरण जैसे- शिकार, भोजन एकत्र करना, और स्थानांतरित खेती।
  • PVTGs हेतु योजनाएंँ:  जनजातीय समूहों में PVTGs अत्यधिक  कमज़ोर हैं जिस कारण इनके विकास हेतु आदिवासी विकास निधि का एक बड़ा हिस्सा सरकार द्वारा वहन किया जाता है। PVTGs को अपने विकास हेतु निर्देशित से अधिक धन की आवश्यकता होती है।
    • जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने "पीवीटीजी के विकास" (Development of PVTGs) की योजना लागू की है जिसमें 75 PVTGs को उनके व्यापक सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु शामिल किया गया है।
      • इस योजना के तहत राज्य सरकारें अपनी आवश्यकता के आधार पर संरक्षण-सह-विकास (Conservation-cum-Development- CCD) योजनाएंँ प्रस्तुत करती हैं।
      • योजना के प्रावधानों के अनुसार राज्यों को 100% सहायता अनुदान उपलब्ध कराया जाता है।

स्रोत: द हिंदू

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