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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

5/20 नियम की प्रासंगिकता

  • 11 Oct 2017
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी की गई अपनी रिपोर्ट में भारत के ‘एशिया प्रशांत विमानन केंद्र’ (Centre for Asia Pacific Aviation India) ने भारतीय अर्थव्यवस्था में विमानन के योगदान को अधिकतम करने हेतु सरकार से तथाकथित 5/20 नियम (5/20 rule) पर पुनर्विचार करने की सिफारिश की है।  

5/20 नियम क्या है?

  • दरअसल, इस नियम में यह अनुबंधित है कि एक घरेलू वाहक (domestic carrier) में 20 विमानों का एक बेड़ा (a fleet of 20 aircraft) होना चाहिये तथा अंतर्राष्ट्रीय उड़ान भरने योग्य बनने से पूर्व इन विमानों को भारतीय आकाश में संचालित किया जाना चाहिये। 
  • विदित हो कि 30 दिसंबर, 2004 को केंद्र सरकार ने इस 5/20 नियम को मंज़ूरी प्रदान की थी।  
  • यद्यपि इस विषय में कुछ भी स्पष्ट नहीं है कि इस नियम को लागू करने का निर्णय क्यों लिया गया था।  परन्तु तत्कालीन अधिकारी वर्ग का कहना था कि यदि देश की कोई नई एयरलाइन विदेशों के लिये उड़ान भरते समय दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो भारत उस स्थिति का सामना करने में सक्षम नहीं होगा।  वस्तुतः इससे भारतीय विमानन उद्योग की प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।  अतः यदि उक्त नियम को लागू कर लिया जाए तो यह पाँच वर्षीय ट्रैक रिकॉर्ड अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में अधिक सुरक्षा को सुनिश्चित कराएगा।  

यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • इस नियम के प्रभाव में आने के साथ ही  ‘जेट एयरवेज’ और ‘एयर सहारा' को भी अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भरने की अनुमति प्राप्त हो गई और अब भारत से अंतर्राष्ट्रीय गंतव्यों तक की उड़ानों के संचालन पर केवल ‘एयर इंडिया’ और ‘इंडियन एयरलाइन्स’ का ही एकाधिकार नहीं रह गया है। 
  • परंतु वास्तविकता तो यह है कि ‘एयर इंडिया’ और ‘इंडियन एयरलाइन्स’ को भी 5/20 नियम से काफी लाभ पहुँचा, क्योंकि ये ऐसे भारतीय वाहक हैं जिन्हें भारत से खाड़ी देशों (जैसे-संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान, बहरीन, कुवैत तथा सऊदी अरब) में पाँच वर्षों तक उड़ानों का संचालन करने की अनुमति प्राप्त हो गई थी।  संभवतः उस समय राज्य स्वामित्व वाले इन दोनों एयरलाइनों के लिये ‘खाड़ी मार्ग’ ही सबसे लाभकारी मार्ग था। 
  • आज दो नए वाहक ‘एयर एशिया’ और ‘विस्तारा’ भी विदेशों में उड़ान भरने के लिये स्वयं को तैयार कर रहे हैं। 
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2004 से ‘वायु सेवा द्विपक्षीय समझौतों के आदान प्रदान’ (exchange of air services bilateral agreements -ASA) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय विमानों को भी भारत में उड़ान भरने की अनुमति प्रदान कर दी गई थी।  
  • दुबई आधारित ‘अमीरात’ (Dubai-based Emirates) नामक एयरलाइन्स को वर्ष 1985 में शुरू किया गया था तथा मुंबई ऐसा पहला मार्ग था जिससे इसको जोड़ा गया था।  
  • हालाँकि भारत में 70 से अधिक एयरलाइनों का संचालन होता है, परंतु वर्तमान में  मात्र ‘जेट एयर इंडिया, ‘स्पाइस जेट’ और ‘इंडिगो’  ही विदेशों में उड़ान भरती हैं।  

क्या होगा प्रभाव

  • नियमों में थोड़े बदलाव से अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों हेतु भारतीय यात्रियों के लिये दो नई एयरलाइन्सों (विस्तारा और एयरएशिया इंडिया) के विकल्प खुल जाएंगे| परन्तु प्रतिद्वंदिता में तब और अधिक वृद्धि हो जाएगी, जब छोटे खिलाड़ी (जैसे ‘एयरकोस्टा’ और ‘इज़िजेट’) भी अंतर्राष्ट्रीय उड़ान भरने के लिये तैयार हो जाएंगे। 

निष्कर्ष

  • फिलहाल, भारतीय विमानन उद्योग इस नियम का पालन कर रहा है।  यद्यपि नागरिक विमानन मंत्री ने विस्तारा और एयरएशिया के समान ही इस नियम का विरोध किया है, क्योंकि विस्तारा और एयर एशिया इंडिया ने भारतीय आकाश में अभी तक क्रमशः 8 और 10 महीने ही पूरे किये हैं तथा इनके पास क्रमशः 7 व 5 विमान ही हैं।  अतः उनके लिए इस नियम का अनुपालन एक चुनौती होगा।  
  • यद्यपि मौजूदा एयरलाइनों ने 5/20 नियमों को हटाने का विरोध किया है, तथापि एयर इंडिया में किसी प्रकार के बदलाव को न करने हेतु सरकार के समक्ष  एक प्रस्ताव रखा है।  जेट एयरवेज़ और इंडिगो ने भी निजी तौर पर इसका विरोध किया है, परन्तु इन्होंने यह घोषणा सार्वजनिक तौर पर नहीं की है।  ध्यातव्य है कि इस संबंध में अंतिम निर्णय केंद्र सरकार द्वारा ही लिया जाएगा।
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