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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

गोदावरी नदी में प्रदूषण की निगरानी के लिये सेंसर नेटवर्क

  • 12 Jul 2017
  • 2 min read

संदर्भ 
अमेरिकी शोधकर्त्ताओं का एक समूह गोदावरी नदी में प्रदूषण के रुझान का मैप तैयार करने के लिये एक सेंसर नेटवर्क प्रणाली पर काम कर रहा है। नदी प्रदूषण की निगरानी के लिये  सेंसर का उपयोग भारत में एक उभरती हुई तकनीकी दृष्टिकोण है।

प्रमुख बिंदु 

  • अमेरिकी शोधकर्त्ताओं का एक समूह उपग्रह निगरानी के ज़रिये नदी के मार्गों तक जाकर जल के नमूनों को एकत्र करने तथा जल में बैक्टीरिया और रासायनिक प्रदूषण को मापने के लिये एक विशेष सेंसर का प्रयोग कर एक लागत-प्रभावी पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने का प्रयास कर रहा है।
  • गोदावरी भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। 

उद्देश्य 

  • इस टीम का दीर्घकालिक उद्देश्य, राज्य के अधिकारियों और नागरिकों को संभावित खतरनाक रोगाणुओं या अपशिष्ट पदार्थों के स्तर, मौसम और वायु प्रदूषण के पूर्वानुमान के समान एक संभावित जानकारी देने में सक्षम बनाना है। 
  • यह परियोजना आठ महीने पहले शुरू की गई थी और अब तक प्रदूषण के दो मुख्य स्थलों की पहचान की गई है।
  • इस कार्य में नदी में घुले हुये ठोस पदार्थ, लवण, नाइट्रेट, पीएच, तापमान और विद्युत चालकता को गंदगी के रूप में मापा जाएगा। 
  • इनके परिणामों को थोरो (Thoreau) नामक एक वेबसाइट, जो कि एक वायरलेस सेंसिंग नेटवर्क है, पर रिले किया जाता है। इस वेबसाइट की देख-रेख शिकागो विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है।  
  • यह प्रयास बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की परियोजना का एक हिस्सा है, जिसके तहत आंध्र प्रदेश के शहरों में स्वच्छता में सुधार लाने के लिये  प्रशासनिक स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया के कार्यक्रम को समर्थन दिया जा रहा है। 
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