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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

निर्वाचन आयुक्तों की पारदर्शी नियुक्ति।

  • 06 Jul 2017
  • 3 min read

संदर्भ

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को सलाह दी है कि निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संसद द्वारा अधिनियमित कानूनों के तहत पारदर्शी एवं निष्पक्ष तरीके से की जाए। हालाँकि अभी तक नियुक्त किये गए सभी निर्वाचन आयुक्त बहुत ही उत्कृष्ट, निष्पक्ष एवं  राजनीतिक रूप से तटस्थ रहे हैं।

विश्लेषण

  • भारत में निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर संसदीय कानूनों की कमी के कारण एक कानूनी-रिक्तता बनी हुई है। इस पद के लिये  किस को शॉर्टलिस्ट किया जाना चाहिये, इन नामों की सूची कौन करता है,  इस पद की क्या पात्रता है, इत्यादि ? उन्हें चुनने की प्रक्रिया को दिखाने के लिये  कुछ भी नहीं है।
  • यह जानकर आश्चर्य होता है कि सीबीआई निदेशक की चयन प्रक्रिया को एक लिखित कानून द्वारा औपचारिक रूप दिया गया है, परन्तु निर्वाचन आयुक्तों की चयन प्रक्रिया से संबंधित ऐसा कोई कानून नहीं है।
  • क्या यह कम हैरानी की बात नहीं है कि निर्वाचन आयुक्तों के चयन को लेकर निष्पक्ष, न्यायिक और पारदर्शी प्रक्रिया स्थापित करने में अभी तक जितनी भी सरकारें आई हैं, विफल रही हैं।
  • वर्तमान में चुनाव आयुक्तों के रूप में नियुक्ति के लिये  उपयुक्त व्यक्तियों के नाम को छाँटने का कार्य प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिमंडल के तत्त्वाधान में किया जाता है, जो राष्ट्रपति को सलाह देते हैं और अंत में राष्ट्रपति कैबिनेट की सलाह पर मुहर लगाता है। अतः यह कहा जा सकता है कि चुनाव आयुक्तों के चयन में प्रधानमंत्री के अलावा और कोई शामिल नहीं है। तो क्या इसे पारदर्शी तरीका माना जा सकता है ?
  • यह परिस्थिति सत्तारूढ़ दल को  अपने मन-मुताबिक व्यक्ति को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने का अवसर प्रदान करती है तथा पूरी प्रक्रिया पर सवालिया निशान खड़े करती है । इस तरह यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है।

कैसे होता है निर्वाचन आयुक्त का चयन

  • भारतीय संविधान के भाग 15 में अनुच्छेद 324 से लेकर अनुच्छेद 329 तक निर्वाचन की व्याख्या की गई है। अनुच्छेद 324 निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण का निर्वाचन आयोग में निहित होना बताता है। संविधान ने अनुच्छेद 324 में ही निर्वाचन आयोग को चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी दी है। 
  • 1989 तक निर्वाचन आयोग केवल मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित एक सदस्यीय निकाय था, लेकिन 16 अक्टूबर 1989 को राष्ट्रपति की अधिसूचना के द्वारा दो और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति की गई।
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