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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

उर्वरक सब्सिडी के वितरण में DBT प्रणाली की भूमिका

  • 09 Mar 2018
  • 4 min read

संदर्भ 

  • रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के अनुसार सरकार सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में उर्वरक सब्सिडी देने के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से लागू कर रही है।
  • सरकार की इस पहल का उद्देश्य सब्सिडी को तर्कसंगत बनाना, रिसावों को रोकना तथा प्रशासनिक लागतों को कम करना है। 

प्रमुख बिंदु 

  • डीबीटी प्रणाली के अंतर्गत खुदरा उर्वरक विक्रेताओं द्वारा लाभार्थियों को की गई वास्तविक बिक्री के आधार पर विभिन्न श्रेणियों के उर्वरकों पर उर्वरक कंपनियों को 100% सब्सिडी जारी की जाती है।
  • किसानों/खरीदारों को सभी प्रकार के उर्वरक सब्सिडी दर पर खुदरा दुकानों पर लगे प्वाइंट ऑफ सेल (PoS) उपकरण के माध्यम से दिये जा रहे हैं और लाभार्थियों की पहचान आधार कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, मतदाता पहचान पत्र आदि से की जा रही है।
  • डीबीटी योजना लागू करने हेतु प्रत्येक खुदरा विक्रेता के यहाँ PoS उपकरण होना तथा PoS उपकरण संचालन के लिये खुदरा और थोक विक्रेताओं का प्रशिक्षण आवश्यक है।
  • प्रमुख उर्वरक आपूर्तिकर्त्ताओं (Lead Fertilizer Supplier-LFS) ने देश भर में डीबीटी लागू करने के पहले PoS तैनाती के हिस्से के रूप में 4630 प्रशिक्षण सत्र आयोजित किये हैं।
  • LFS द्वारा आयोजित प्रारंभिक प्रशिक्षण सत्र के दौरान लगभग 1.8 लाख खुदरा विक्रेताओं को संवेदी बनाया गया है।

 क्या है DBT?

  • मूल रूप से यह योजना उस धन का दुरुपयोग रोकने के लिये है, जिसे किसी भी सरकारी योजना के लाभार्थी तक पहुँचने से पहले ही बिचौलिये तथा अन्य भ्रष्टाचारी हड़पने की जुगत में रहते हैं।
  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण से जुड़ी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी बिचौलिये का कोई काम नहीं है और यह योजना सरकार तथा लाभार्थियों के बीच सीधे चलाई जा रही है।
  • इस योजना के तहत केंद्र सरकार लाभार्थियों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत मिलने वाली सब्सिडी का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में कर देती है। लाभार्थियों को यह भुगतान उनके आधार कार्ड के ज़रिये किया जा रहा है।

उर्वरक क्षेत्र में DBT क्रियान्वयन के समक्ष चुनौतियाँ 

  • वर्तमान में LPG की तरह उर्वरक क्षेत्र में लाभार्थियों को सब्सिडी का प्रत्यक्ष अंतरण नहीं किया जा सकता, क्योंकि लाभार्थियों और उनके अधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं हैं। 
  • सब्सिडी वाले विभिन्न उत्पाद, यूरिया, फास्फेटिक तथा पोटाश वाले 21 प्रकार के उर्वरकों की सब्सिडी दरें अलग-अलग हैं।
  • विभिन्न उत्पादन प्रक्रिया, संयंत्रों की ऊर्जा सक्षमता, सफलता आदि के कारण यूरिया के मामले में सब्सिडी एक कंपनी से दूसरी कंपनी में अलग होती है। कुछ उर्वरकों विशेषकर यूरिया में न्यूनतम खुदरा मूल्य से दोगुनी सब्सिडी होती है।
  • इस विषय पर गहराई से विश्लेषण के लिये नीति आयोग ने हाल में एक समिति बनाई है, जो एक मॉडल की सिफारिश करेगी, जिसका इस्तेमाल किसानों को सब्सिडी के प्रत्यक्ष अंतरण में किया जाएगा।
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