लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

किसानों की आय दुगनी करने में पशुपालन की भूमिका

  • 10 Mar 2018
  • 6 min read

संदर्भ 

  • पिछले 20 वर्षों से भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बना हुआ है। भारत में दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में व्यापक संभावनाएँ हैं, क्योंकि यह बड़े स्तर पर भारत की अर्थव्यवस्था में भागीदारी करता है।
  • यह एक ऐसा क्षेत्र है, जो बहुत से अशिक्षित लोगों को रोज़गार प्रदान करता है। इसने ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के उन्मूलन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, क्योंकि सूखे के दौरान प्रभावित परिवारों की आय का मुख्य स्रोत दुग्ध उत्पादन ही रहता है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुपालन का महत्त्व

  • यह ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का प्रमुख आधार है। विशेषकर भूमिहीन और सीमांत किसान पशुपालन के माध्यम से अपनी परिवारिक आय बढ़ा सकते हैं।
  • पशुपालन और कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ आपस में जुड़ी हुई हैं। पशुओं के लिये भोजन कृषि से प्राप्त होता है तो पशु भी कृषि को विभिन्न प्रकार की आगतें, जैसे-खाद्य, ढुलाई आदि प्रदान करते हैं।
  • पशुपालन से ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी तथा छिपी हुई बेराज़गारी की समस्या का निवारण किया जा सकता है।
  • पशुपालन में अधिकतर महिलाएँ संलग्न होती हैं। अतः यह श्रम क्षेत्र में महिला भागीदारी को बढ़ावा देकर महिला सशक्तीकरण में योगदान देता है।
  • पशु उत्पाद ग्रामीण निर्धनों के लिये प्रोटीन एवं पोषक तत्त्वों के प्रमुख स्रोत हैं।

भारत में दुग्ध उत्पादन

  • विगत 3 वर्षों में दुग्ध उत्पादन 137.7 मिलियन टन से बढ़कर 165.4 मिलियन टन हो गया है। वर्ष 2014 से 2017 के बीच दुग्ध उत्पादन में वृद्धि 20% से भी अधिक रही है।
  • इसी तरह प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 के 307 ग्राम से बढ़कर वर्ष 2016-17 में 355 ग्राम हो गई है जो कि 15.6% की वृद्धि को दर्शाती है।
  • इसी प्रकार 2011-14 की अवधि की तुलना में 2014-17 में डेयरी किसानों की आय में 23.77% की वृद्धि हुई।
  • इस उपलब्धि को हासिल करने में राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) जैसे अनुसंधान सस्थानों का योगदान रहा है, जो डेयरी क्षेत्र की तकनीकी और मानव संसाधन आवश्यकताओं को पूरा करते आए हैं।

पशु उत्पादकता संवर्द्धन हेतु सरकारी प्रयास 

  • पशुपालन योजनाओं का लाभ सीधे किसानों के घर तक पहुँचे, इसके लिये सरकार द्वारा एक नई योजना ‘नेशनल मिशन आन बोवाइन प्रोडक्टीविटी’ अर्थात् गौपशु उत्पादकता राष्ट्रीय मिशन शुरू किया गया है। 
  • इस योजना में ब्रीडिंग इनपुट के द्वारा मवेशियों और भैंसों की संख्या बढ़ाने हेतु आनुवंशिक अपग्रेडेशन के लिये सरकार द्वारा 825 करोड़ रूपए खर्च किये जा रहे हैं।
  • दुग्ध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करके डेयरी कारोबार को लाभकारी बनाने के लिये यह योजना अपने उद्देश्य में काफी सफल रही है।
  • सरकार द्वारा प्रजनकों (ब्रीडरों) के साथ दुग्ध उत्पादकों को जोड़ने के लिये पहला ई-पशुहाट पोर्टल बनाया गया है।
  • इस पोर्टल को गौपशु उत्पादकता राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत प्रारंभ किया गया है और इसका उद्देश्य बोवाइन जर्मप्लाज्म की उपलब्धता के बारे में जानकारी प्रदान करना है। 
  • सरकार ने देशी नस्लों के संरक्षण और विकास के लिये राष्ट्रीय गोकुल मिशन का शुभारंभ किया है।
  • स्वदेशी नस्लों के विकास एवं एक उच्च आनुवंशिक प्रजनन की आपूर्ति के आश्रित स्रोत के केंद्र के रूप में कार्य करने के लिये देश के 13 राज्यों में 20 गोकुल ग्राम स्वीकृत किये गए हैं।
  • स्वदेशी नस्लों के संरक्षण के लिये देश में दो राष्ट्रीय कामधेनु प्रजनन केंद्र भी स्थापित किये गए हैं, पहला, दक्षिणी क्षेत्र में चिन्तलदेवी, नेल्लोर में और दूसरा, उत्तरी क्षेत्र इटारसी, होशंगाबाद में।

बजट 2018-19 में पशुपालन 

  • सरकार ने पिछले बजट में नाबार्ड के साथ ‘दुग्ध प्रसंस्करण और बुनियादी विकास निधि’ (Dairy Processing & Infrastructure Development Fund-DIDF) योजना को 10,881 करोड़ रूपये के कोष के साथ स्थापित किया था।
  • इस वर्ष सरकार ने 2450 करोड़ रूपए के प्रावधान के साथ पशुपालन क्षेत्र की बुनियादी आवश्यकताओं को फाइनेंस करने के लिये एक पशुपालन बुनियादी संरचना विकास निधि (AHIDF) की स्थापना की है।
  • साथ ही, डेयरी किसानों की कार्यशील पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने के लिये मत्स्यपालक और पशुपालक किसानों के लिये किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा भी सरकार द्वारा बढ़ा दी गई है।
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2