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सामाजिक न्याय

स्नेह का अधिकार

  • 12 Oct 2019
  • 3 min read

मेन्स के लिये:

स्नेह का अधिकार, बच्चे की कस्टडी से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने निर्णय में कहा है कि एक बच्चे को अपने माता-पिता दोनों का स्नेह पाने का अधिकार है (A Child has The Right to Affection of Both Parents)।

प्रमुख बिंदु:

  • सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक व्यक्ति द्वारा अपने बच्चे की कस्टडी (Custody) के लिये दायर याचिका पर आधारित है, जो पत्नी के साथ है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अलग हो चुके माता-पिता (Separated Parents) के बीच बच्चे की कस्टडी के संदर्भ में बच्चे के हितों को सबसे आगे रखा जाना चाहिये।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पारिवारिक अदालतों को माता-पिता को मुलाकात का अधिकार (Visitation Rights) इस प्रकार से देना चाहिये कि कोई बच्चा माता-पिता के प्यार और देखभाल से वंचित न रहे।
  • माता-पिता द्वारा बच्चे को प्यार करना तथा बच्चे को प्यार पाने का अधिकार दोनों ही मौलिक अधिकारों में अंतर्निहित हैं।

बच्चे की कस्टडी से संबंधित मुद्दे:

  • कानूनी प्रावधानों के तहत अलगाव के मामले में माता-पिता में से किसी एक को बच्चे की कस्टडी सौंपी जाती है, जिससे बच्चे का व्यक्तिगत विकास एवं उसके गुणवत्तापूर्ण जीवन का अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित होता है।
  • इसके अतिरिक्त विभिन्न पारिवारिक कानूनों में ऐसे कई प्रावधान हैं जो माता-पिता के कस्टडी अधिकारों पर उनके लिंग के आधार पर भेदभाव करते हैं।
  • इस प्रकार यह उस पति या पत्नी के अधिकार को प्रभावित करता है जिस कस्टडी के अधिकारों से वंचित किया गया है।
  • यह बच्चे के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है जिसके कारण वह माता-पिता दोनों की देखभाल, प्यार तथा साझा पालन-पोषण से वंचित रह जाता है।
  • वर्तमान पारिवारिक कानूनों में बाल-केंद्रित दृष्टिकोण का अभाव है जिससे साझा पालन-पोषण का विचार नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है, इसके परिणामतः बच्चे की परवरिश प्रभावित होती है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उन पारिवारिक कानूनों के प्रावधानों की जाँच करने पर सहमति व्यक्त की है जो वैवाहिक अलगाव के बाद माता-पिता में से किसी एक को कस्टडी की अनुमति देते हैं।

स्रोत: द हिंदू

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