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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

चतुष्पक्षीय संवाद

  • 04 Aug 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन

मेन्स के लिये:

चतुष्पक्षीय संवाद का भारत के हितों पर प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, चीन द्वारा अफगानिस्तान, नेपाल और पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ चतुष्पक्षीय संवाद/वार्ता (Quadrilateral Dialogue) का आयोजन किया गया।

प्रमुख बिंदु:

चार सूत्री योजना:

  • इस वार्ता में चीन ने COVID-19 महामारी को रोकने, आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative-BRI) बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को फिर से शुरू करने के लिये चार-सूत्रीय योजना का प्रस्ताव रखा।
  • चार सूत्री योजना में शामिल हैं-
    • अच्छे पड़ोसियों के रूप में महामारी से लड़ने में आम सहमति साझा करना।
    • चीन और पाकिस्तान के महामारी के संयुक्त रोकथाम और नियंत्रण मॉडल से सीखना।
    • चारों देशों द्वारा शीघ्र ग्रीन चैनल  खोलने पर विचार करना। ग्रीन चैनल एक मार्ग है, जिसके माध्यम से यात्री हवाई अड्डे में सीमा शुल्क आदि देने के बाद यह दावा करते हैं कि उनके पास कोई भी आपत्तिजनक/संदिग्ध सामान नहीं है।
    • चीन को तीन देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल) में COVID-19 महामारी से बचाव के संदर्भ में विशेषज्ञता हासिल है जिसमें वो टीके भी शामिल हैं जिनको चीन द्वारा विकसित किया जा रहा है तथा जो इन देशों के साथ साझा किये जाएंगे।
  • पाकिस्तान, नेपाल और अफगानिस्तान द्वारा इस वार्ता में चीन की प्रस्तावित चार-सूत्री सहयोग पहल का सक्रिय रूप से समर्थन किया गया।
  • वार्ता में शामिल अन्य चर्चित मुद्दे: 
    • चीन द्वारा अफगानिस्तान में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार करने का भी प्रस्ताव रखा गया, साथ ही नेपाल के साथ एक आर्थिक गलियारे की योजना को आगे बढ़ाते हुए ट्रांस-हिमालयन मल्टी-डायमेंशनल कनेक्टिविटी नेटवर्क (Trans-Himalayan Multi-dimensional Connectivity Network) पर भी बात की गई।
    • चारों देशों द्वारा महामारी के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन की बहुपक्षीय मदद अर्थात WHO द्वारा अफगानिस्तान में संघर्ष विराम की स्थिति का समर्थन करना तथा अफगानिस्तान में शांति और सुलह प्रक्रिया का समर्थन आदि का समर्थन किया गया।
  • भारत की चिंता:
  • चीन द्वारा इस चतुष्पक्षीय बैठक में तीन देशों से अपने भौगोलिक हितों का लाभ उठाने, चार देशों एवं मध्य एशियाई देशों के मध्य आदान-प्रदान एवं संपर्क को मजबूत करने तथा  क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता की रक्षा करने के लिये कहा गया।
  • चीन की यह टिप्पणी उस समय और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है जब भारत और चीन के मध्य सीमा पर तनाव की स्थिति विद्यमान है।
  • यह वार्ता उस समय आयोजित हुई है जब कालापानी क्षेत्र (Kalapani Region) में सीमा विवाद के कारण भारत-नेपाल संबंध चिंताजनक स्थिति में है।
  • नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली द्वारा भारत पर अपनी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करने का  आरोप भी लगाया गया है।

आगे की राह:

चीन दक्षिण एशिया में एक ठोस अतिक्रमण रणनीति को अपना रहा है जो निश्चित रूप से भारत के हितों को प्रभावित करेगा। विशेषज्ञों की ऐसी राय है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन ( South Asian Association for Regional Cooperation-SAARC) समूह के तीन सदस्यों को भारत की सहमति के बिना चीन द्वारा एक साथ लाना भारत के प्रति चीन का एक भड़काऊ कदम है अतः भारत द्वारा इसे एक संदेश के रूप में देखे जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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