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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 30 दिसंबर, 2017

  • 30 Dec 2017
  • 15 min read

ईईपीसी इंडिया के ई-कैटलॉग का शुभारंभ
EEPC India’s e-catalogue launched

हाल ही में नई दिल्‍ली में ईईपीसी इंडिया ई-कैटलॉग (EEPC India’s e-catalogue) को लॉन्च किया गया। ईईपीसी इंडिया के तत्त्‍वावधान में इंजीनियरिंग उत्‍पादों के निर्यात को प्रोत्‍साहन देने के लिये यह एक डिजिटल कार्यक्रम है। ‘ब्रांड इंडिया’ (Brand India) पहल के अंतर्गत डिजिटल तकनीक के माध्‍यम से प्रमुख निर्यात स्‍थलों तक पहुँचने का प्रयास किया गया है।

  • ई-कैटलॉग अन्य निर्यात संवर्द्धन परिषदों के लिये एक मॉडल के रूप में कार्य करेगा। ई-कैटलॉग में चार मुख्‍य प्रक्षेत्र शामिल हैं-
    ⇒ चिकित्‍सा उपकरण
    ⇒ वस्‍त्र मशीनरी और सहायक उपकरण
    ⇒ विद्युत मशीनरी व उपकरण
    ⇒ पम्‍प और वाल्‍व
  • विदित हो कि लैपटॉप, टैबलेट और मोबाइल फोन पर ई-कैटलॉग का उपयोग किया जा सकता है। दुनिया के किसी भी हिस्‍से में रहने वाला व्‍यक्ति इसके नगर आधारित उन्‍नत खोज, एंड यूज़ प्रक्षेत्र, प्रमाण-पत्र व उत्‍पाद श्रेणी जैसे फीचर्स का उपयोग कर सकता है।
  • ई-कैटलॉग के द्वारा किसी कंपनी का प्रोफाइल डाउनलोड किया जा सकता है। 
  • ईईपीसी इंडिया विश्‍वस्‍तरीय इंजीनियरिंग प्रदर्शनियों में विशेष कियोस्‍क की व्‍यवस्‍था करेगा, ताकि विदेशी क्रेताओं को जानकारियाँ उपलब्‍ध कराई जा सकें, मीडिया में प्रचार किया जा सके और डिजिटल प्रोत्‍साहन उपलब्‍ध कराया जा सके।
आभासी ‘मुद्रा’
Virtual ‘Currencies’

भारत और पूरी दुनिया में बिटकॉइन सहित आभासी ‘मुद्रा’ की कीमतों में हाल में अभूतपूर्व बढ़ोतरी देखी गई है। आभासी मुद्राओं का अपना कोई मूल्‍य नहीं होता और न वे परिसम्‍पत्तियों पर आधारित होती हैं। बिटक्‍वाइन और अन्‍य आभासी मुद्राओं पर सट्टेबाजी होती है, जिससे उनकी कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव आता है। पोंजी स्‍कीमों की तरह आभासी मुद्रा में भी निवेश का बहुत जोखिम होता है, जिसके कारण निवेशकों को कभी भी अचानक नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

प्रमुख बिंदु

  • आभासी मुद्राएँ डिजिटल/इलेक्‍ट्रॉनिक रूप में होती हैं, इनके संबंध में हैकिंग, पासवर्ड, साइबर हमले जैसा खतरा हमेशा बना रहता है। 
  • आभासी मुद्रा का लेन-देन एनक्रिप्‍टेड होता है, जिसके कारण गैर-कानूनी और विध्‍वंसक गतिविधियां चलाने में आसानी होती है। 
  • आभासी मुद्रा को सरकार का कोई समर्थन प्राप्‍त नहीं है। इनमें कानूनी तौर पर कोई लेन-देन भी नहीं किया जा सकता, इसलिये आभासी मुद्राएँ ‘मुद्रा’ के दायरे में नहीं आतीं। 
  • कभी-कभी इनका उल्‍लेख ‘सिक्‍कों’ के रूप में भी किया जाता है, जबकि ये चलन वाले सिक्‍के नहीं हैं। इस आधार पर आभासी मुद्रा न तो सिक्‍का है और न मुद्रा। 
  • भारत सरकार या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा आभासी मुद्रा को लेन-देन के लिये अधिकृत नहीं किया गया है। सरकार या भारत में किसी भी प्राधिकार ने किसी भी एजेंसी को ऐसी मुद्रा के लिये लाइसेंस नहीं दिया है। इसलिये जो व्‍यक्ति आभासी मुद्रा में लेन-देन करता है, उसे इसके जोखिम के प्रति सावधान रहना चाहिये।
  • इसके साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा स्‍पष्‍ट किया गया है कि उसने बिटक्‍वाइन या किसी भी अन्‍य आभासी मुद्रा के लेन-देन और संचालन के संबंध में किसी भी कंपनी या एजेंसी को न तो लाइसेंस दिया है और न उन्‍हें अधिकृत किया है। 
  • भारत सरकार द्वारा भी स्‍पष्‍ट किया गया है कि आभासी मुद्राएँ लेन-देन के लिये किसी भी प्रकार से वैधानिक नहीं हैं और न ही उन्‍हें कोई भी कानूनी अनुमति प्राप्त है।
अंगदान नीति

भारत सरकार ने चिकित्‍सकीय उद्देश्‍यों हेतु मानव अंगों तथा ऊतकों को निकालने, भंडारण तथा प्रत्‍यारोपण के विनियमन हेतु मानव अंग तथा ऊतक प्रत्‍यारोपण अधिनियम, (Transplantation of Human Organs and Tissues Rules), 1994 (वर्ष 2011 में यथा संशोधित) तथा इसके तहत मानव अंग तथा ऊतक प्रत्‍यारोपण विनियमन, 2014 को अधिसूचित किया है। 

  • हाल ही में देश में अंगदान तथा प्रत्‍यारोपण की सुविधाएं प्रदान कराने हेतु निम्‍न दिशा-निर्देश/विनियम भी जारी किये गए हैं:- 
  • राष्‍ट्रीय अंग तथा ऊतक प्रत्‍यारोपण कार्यक्रम की मुख्‍य बातें तथा इसके कार्यान्‍वयन हेतु दिशा-निर्देश। 
  • वर्ष 2016 में दान करने वाले मृतक के गुर्दे, हृदय, लीवर, फेफड़े, तथा कार्निया प्रत्‍यारोपण हेतु आबंटन मानदण्‍ड तैयार किये गए है। 
  • मस्तिष्‍क स्‍टेम मृतक दानकर्त्‍ता तथा विभिन्‍न ऊतकों के पुन: प्रयोग के प्रबंधन हेतु मानक परिचालन प्रक्रियाओं का प्रारूप (एसओपी)/नवाचार तैयार किया गया है। 
  • यह सूचना राष्‍ट्रीय अंग तथा ऊतक प्रत्‍यारोपण संगठन (National Organ and Tissue Transplant Organisation) की वेबसाइट www.notto.gov.in पर पब्लिक डोमेन पर उपलब्‍ध कराई गई है। 
  • भारत में अंगों तथा ऊतकों की मांग इनकी उपलब्‍धतता से कहीं अधिक है। वर्ष 2016 के अनुसार, मृतक के अंगदान की दर प्रति मिलियन की आबादी पर लगभग 0.61 थी। 

वैश्विक स्थिति क्या है?

  • ग्‍लोबल आब्‍जर्वेटरी दान तथा प्रत्‍यारोपण रिपोर्टों के अनुसार वर्ष 2016 में स्‍पेन, अमेरिका, ब्रिटेन तथा आस्‍ट्रेलिया में अंगदान की दरें इस प्रकार हैं:-
    ⇒ स्‍पेन- 43.8
    ⇒ संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका- 30.76
    ⇒ ब्रिटेन- 21.5
    ⇒ आस्‍ट्रेलिया- 20.7 

भारतीय परिदृश्य

  • भारत सरकार द्वारा मृतकों के अंगदान को प्रोत्‍साहन देने के लिये कई कदम उठाए गए हैं। सरकार द्वारा देश में अंगदान को प्रोत्‍साहित करने के लिये राष्‍ट्रीय ऊतक प्रत्‍यारोपण कार्यक्रम (National Organ Transplant Programme) का कार्यान्‍वयन किया जा रहा है। 
  • डॉक्‍टरों तथा प्रत्‍यारोपण संयोजकों सहित प्रत्‍यारोपण गतिविधियों से जुड़े सभी व्‍यक्तियों को प्रशिक्षण तथा अस्‍पतालों तथा आघात केन्‍द्रों में प्रत्‍यारोपण संयोजकों की भर्ती करने के लिये वित्‍तीय सहायता प्रदान करने की भी व्यवस्था की जा रही है।
पशु रोग पूर्वानुमान मोबाइल एप्लीकेशन (LDF-Mobile App)

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में आई.सी.ए.आर.- निवेदी (ICAR-National Institute of Veterinary Epidemiology and Disease Informatics - ICAR-NIVEDI) द्वारा विकसित पशु रोग पूर्वानुमान मोबाइल एप्लीकेशन (Livestock Disease Forewarning –Mobile Application) लॉन्च किया गया। 

  • भारत द्वारा मवेशियों के पोका-पोकनी रोग का सफलतापूर्वक उन्मूलन कर लिया गया है। इसी तरह पशुओं के विभिन्न रोगों जैसे खुरपका-मुंहपका, ब्रुस्लोसिस, बकरी प्लेग, गलाघोंटू, शुकर ज्वर आदि को नियंत्रित और उन्मूलित करने के लिये भी प्रयास किये जा रहे हैं। ये कुछ ऐसे रोग हैं, जिनसे पशुधन उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।
  • इसी क्रम में आईसीएआर-निवेदी द्वारा पूर्व में घटित रोग प्रकोप के आधार पर 13 रोगों को चिन्हित किया है। इन रोगों के संबंध में एक मज़बूत डाटाबेस तैयार किया जा रहा है जो कि राष्ट्रीय पशुरोग रेफरल विशेषज्ञ प्रणाली का आधारभूत स्तंभ साबित होगा। 
  • इसका उपयोग हर माह पशु रोगों के संबंध में पूर्व-चेतावनी देने के लिये किया जाता है।

एप की विशेषताएँ

  • इस मोबाइल एप में पूर्व चेतावनी के लिये मासिक बुलेटिन की ही तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। 
  • इस प्रकार से संभावना मूल्य के आधार पर ज़िलों को दिये गए पशुरोग के लिये बहुत अधिक जोखिम, अधिक जोखिम, मध्यम जोखिम, कम जोखिम, बहुत कम ज़ोखिम, कोई जोखिम नहीं में बाँटा गया है, ताकि हितधारक उपलब्ध संपदा (धन, सामग्री और श्रम) का सही उपयोग कर सकें।
  • पूर्व चेतावनी के अलावा यह एप सूचीबद्ध् रोगों के प्रकोप से की दशा में निदान के लिये आवश्यक नैदानिक नमूनों की जानकारी भी प्रदान करता है। 
  • सकारात्मक पूर्वानुमानित रोगों की पुष्टि की दशा में तुरन्त नियंत्रण की कार्रवाई की जा सकती है। 
  • यह एप सभी एंड्रॉयड मोबाइल पर कार्य करता है तथा 2.5 MB मेमोरी स्पेस ग्रहण करता है।
चीन द्वारा अपने पहले स्वदेशी फोटोवोल्टिक हाईवे का सफल परीक्षण

हाल ही में चीन ने देश के पूर्वी शेडोंग प्रांत में स्वदेशी तकनीक पर आधारित अपने पहले ‘फोटोवोल्टिक राजमार्ग’ (Photovoltaic Highway) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस राजमार्ग को सौर पैनलों का प्रयोग करते हुए बनाया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • इस राजमार्ग को सौर पैनलों का प्रयोग करते हुए बनाया गया है। इनके ऊपर कंक्रीट की एक पतली चादर है, जो एक सुरक्षात्मक सतह के रूप में कार्य करती है। ये पैनल इन पर से गुजरने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों को बिजली हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करेंगे।
  • राजमार्ग का 1 किलोमीटर खंड कुल 5,875 वर्ग मीटर का सतही क्षेत्रफल (Surface Area) कवर करता है।
  • इस विशेष खंड में तीन परतें शामिल हैं: सबसे नीचे वाली परत एक इन्सुलेटर का काम करती है जो नमी को बीच वाली परत में फोटोवोल्टिक सेल तक जाने से रोकती है, जबकि सबसे ऊपर वाली परत एक ठोस और सुरक्षात्मक परत है।
  • इस राजमार्ग पर इलेक्ट्रिकल व्हीकल्स के लिये वायरलेस चार्जिंग की सुविधा के साथ ही ड्रोन्स के लिये सेंसर भी उपलब्ध रहेंगे। इन पैनलों पर संचित सौर ऊर्जा का उपयोग सर्दी में सड़क पर जमी बर्फ पिघलाने में भी किया जा सकेगा। 
  • यह परीक्षण खंड 817.2 किलोवाट बिजली पैदा कर सकता है और इससे प्रत्येक वर्ष एक लाख यूनिट बिजली उत्पन्न होने की उम्मीद है। इससे पैदा होने वाली बिजली को चीन के राष्ट्रीय बिजली ग्रिड (National Power Grid) से जोड़ा जाएगा।पिछले साल 78 गीगावाट फोटोवोल्टिक क्षमता के साथ चीन दुनिया का शीर्ष सौर-ऊर्जा उत्पादक देश  बन गया था, जिसे उसने 2020 तक 105 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा है।
  • चीन के पूर्वी शहर हैनान (Huainan) में दुनिया का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सौर प्रोजेक्ट स्थापित किया गया है।
  • दुनिया का पहला सोलर पैनल युक्त फोटोवोल्टिक राजमार्ग 2016 में फ्राँस में खोला गया था। चीन ऐसा करने वाला दूसरा देश है।
  • फोटोवोल्टिक सेल (पीवी सेल) एक विशेष प्रकार की अर्द्धचालक युक्ति है जो, दृश्यमान प्रकाश (Visible Light) को प्रत्यक्ष धारा (Direct Current-DC) में बदल देती है। कुछ पीवी सेल्स अवरक्त (Infrared) या पराबैंगनी (Ultraviolet) विकिरण को भी प्रत्यक्ष धारा में रूपांतरित कर सकते हैं। फोटोवोल्टिक सेल सौर-विद्युत ऊर्जा प्रणालियों का एक अभिन्न हिस्सा हैं, जिनका वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों के रूप में उपयोग तेज़ी से बढ़ता जा रहा है।
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