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प्रीलिम्स फैक्ट्स : 27 फरवरी, 2018

  • 27 Feb 2018
  • 13 min read

HIV/एड्स से पीड़ित लोगों के लिये वायरल लोड टेस्ट

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय द्वारा आयोजित एक समारोह में ‘HIV/एड्स (People Living with HIV/AIDS - PLHIV) से पीड़ित लोगों के लिये वायरल लोड टेस्ट’ का शुभारंभ किया गया। इस पहल से देश में इलाज करा रहे 12 लाख PLHIV का नि:शुल्‍क वायरल लोड टेस्‍ट साल में कम-से-कम एक बार अवश्‍य कराया जा सकेगा।

  • ‘सभी का इलाज’ (ट्रीट ऑल) के बाद वायरल लोड टेस्‍ट HIV से पीड़ित लोगों के इलाज एवं निगरानी की दिशा में एक बड़ा कदम है।
  • यह वायरल लोड टेस्‍ट आजीवन एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी करा रहे मरीज़ों के इलाज की प्रभावशीलता की निगरानी करने की दृष्टि से विशेष महत्त्‍व रखता है।
  • नियमित वायरल लोड टेस्‍ट ‘फर्स्‍ट-लाइन रेजिमेंस’ (नियमानुसार परहेज़) के उपयोग को अनुकूलित करेगा, जिससे HIV से पीड़ित लोगों में दवा प्रतिरोध का निवारण हो सकेगा और उनकी दीर्घायु सुनिश्चित होगी।
  • वायरल लोड टेस्‍ट आर्ट से जुड़े चिकित्‍सा अधिकारियों को फर्स्‍ट-लाइन इलाज की विफलता के बारे में पहले ही पता लगाने में सक्षम बनाएगा और इस तरह यह PLHIV को दवा का प्रतिरोध करने से बचाएगा।
  • यह एल.एफ.यू. (Loss to Follow Up - LFU) PLHIV पर नज़र रखने के मामले में ‘मिशन संपर्क’ (Mission Sampark) को मज़बूत करने में भी मददगार साबित होगा।
  • वर्ष 2017 में भारत ने एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (Antiretroviral Therapy - ART) उपचार प्रोटोकॉल को संशोधित किया था, ताकि ‘आर्ट’ वाले समस्‍त PLHIV के लिये ‘ट्रीट ऑल’ का शुभारंभ हो सके।
  • यह ‘ट्रीट ऑल’ पहल इसलिये की गई थी, ताकि उपचार जल्‍द शुरू हो सके और व्‍यक्तिगत एवं समुदाय दोनों ही स्‍तरों पर वायरस के संचरण को कम किया जा सके। 
  • वर्तमान में लगभग 12 लाख PLHIV 530 से भी अधिक ‘आर्ट’ केंद्रों में मुफ्त उपचार का लाभ उठा रहे हैं।

मिशन संपर्क

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा विश्व एड्स दिवस, 2017 के अवसर पर ‘मिशन संपर्क’ (Mission Sampark) का शुभारंभ किया गया।

  • इस मिशन के तहत ऐसे HIV से संक्रमित लोगों से संपर्क स्थापित किया जा रहा है, जिन्होंने एक बार ‘आर्ट’ (Anti retro Viral treatment) के तहत अपना इलाज करने के बाद इसे बीच में ही छोड़ दिया है।
  • वर्तमान में देश में 536 आर्ट केंद्रों के माध्यम से HIV के साथ जीवन-यापन कर रहे तकरीबन 11.5 लाख से अधिक PLHIV (People Living with HIV) को निःशुल्क सलाह एवं इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है।
  • इस दिशा में ज़रूरतमंद लोगों को HIV परीक्षण के लिये उनके निकट ही यह सुविधा प्रदान करने की व्यवस्था की जा रही है।
  • इसके लिये ‘समुदाय आ‍धारित परीक्षण’ की व्यवस्था की जा रही है ताकि ऐसे लोगों की तेज़ी से पहचान करते हुए इन्‍हें ‘आर्ट’ कार्यक्रम से जोड़ा जा सके।
  • इसके अतिरिक्त, राष्‍ट्रीय कार्यनीतिक योजना 2017-2024 के अंतर्गत न केवल 90:90:90 के लक्ष्‍य को अर्जित करने के लिये एक रोड मैप तैयार किया जा रहा है, बल्कि 2030 तक एड्स की महामारी समाप्‍त करने की रणनीति में तीव्रता लाने के लिये अपने साझेदारों के साथ मिलकर प्रयास भी किये जा रहे हैं।

एड्स और HIV

उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण अथवा एड्स मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (Human Immunodeficiency Virus Infection and Acquired Immune Deficiency Syndrome - HIV/AIDS) संक्रमण के बाद की स्थिति होती है, जिसमें मानव की प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता (immune system) क्षीण होने लगती है।

  • इस विषय में यह जान लेना अत्यंत आवश्यक है कि एड्स स्वयं में कोई बीमारी नहीं होती है बल्कि एड्स से पीड़ित व्यक्ति का शरीर जीवाणुओं और विषाणुओं के कारण होने वाली संक्रामक बीमारियों के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है।
  • इसका सामान्य सा कारण यह है कि HIV (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका कोशिका (Lymphocyte) पर आक्रमण कर उसे जीर्ण कर देता है जिससे मनुष्य का शरीर सामान्य संक्रामक रोगों का सामना करने में दुर्बल हो जाता है।
  • ह्यूमन एम्युनोडेफिसिएंशी वायरस (HIV) एक विषाणु होता है जो हमारे प्रतिरक्षा तंत्र में अवस्थित टी-कोशिकाओं (T-CELLS) को प्रभावित करता है, जिससे एक्वायर्ड एम्युनोडेफिसिएंशी सिंड्रोम यानी एड्स (AIDS) हो जाता है।
  • दूसरे शब्दों में कहें तो HIV एक अतिसूक्ष्म विषाणु होता है जिसकी वजह से एड्स हो सकता है।
  • एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं होता है बल्कि एक संलक्षण (Syndrome) होता है। यह मनुष्य की अन्य रोगों से लड़ने की नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता है।
  • प्रतिरोधक क्षमता का क्षय होने से अवसरवादी संक्रमण (opportunistic infections), यानी सामान्य सर्दी जुकाम से लेकर टीबी जैसे गंभीर रोग तक हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता है, परिणामतः मरीज़ की मृत्यु हो सकती है।
  • ऐसे सामान्य रोगों का इतना गंभीर परिणाम होने का अहम कारण यही है कि मनुष्य का शरीर रोगों से लड़ने की क्षमता खो देता है।
  • एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड एम्युनोडेफिसिएंशी सिंड्रोम’ (acquired immune deficiency syndrome) है। यह HIV (Human immunodeficiency virus) नामक विषाणु से फैलता है।

कारण

  • असुरक्षित यौन संबंधों से, गर्भवती महिला द्वारा शिशु को, संक्रमित रक्त के द्वारा।

प्रारंभिक अवस्था के लक्षण

  • बुखार, जोड़ों में दर्द, थकावट, शरीर पर लाल धब्बे, लगातार वज़न में कमी, रात में पसीना आना, गले में सूजन आदि।

बाद की अवस्था के लक्षण

  • डायरिया, आँखों के सामने अंधेरा छा जाना, गला सूखना, अत्यधिक थकावट होना, 100 डिग्री के आसपास बुखार का बने रहना आदि।

एड्स और HIV (रोकथाम एवं नियंत्रण) विधेयक, 2017

भारतीय संसद द्वारा HIV/AIDS से संबंधित बिल (Human Immunodeficiency Virus and Acquired Immune Deficiency Syndrome (Prevention and Control) Bill) 2017 पारित किया गया। इस विधेयक के माध्यम से HIV/AIDS से पीड़ित लोगों को मेडिकल इलाज, शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश तथा नौकरियों के संबंध में समान अधिकार दिलाने की गारंटी सुनिश्चित की गई है।

  • यह HIV/AIDS से संक्रमित व्यक्तियों के खिलाफ किसी भी प्रकार के भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है। 
  • यह कानून मुख्यत: जन-केंद्रित होने के साथ-साथ HIV पीड़ित लोगों के मुफ्त इलाज के लिये पूरी तरह से प्रतिबद्ध भी है।
  • इस कानून को HIV पीड़ित लोगों के अधिकारों को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
  • इसके लागू होने के उपरांत यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी HIV पीड़ित व्यक्ति से किसी भी प्रकार का भेदभाव किया जाता है तो संबंधित व्यक्ति पर सिविल एवं आपराधिक कार्यवाई की जाएगी। 
  • इसे HIV/AIDS से पीड़ित लोगों के साथ रोज़गार, शिक्षा, आवास एवं मेडिकल उपचार संबंधी मामलों में होने वाले भेदभाव की रोकथाम हेतु लाया गया है ताकि HIV/AIDS से पीड़ित व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को एक नई दिशा एवं सुदृढ़ता प्रदान की जा सके।
  • इसके अतिरिक्त, इसके अंतर्गत HIV/AIDS पीड़ित लोगों के साथ सार्वजनिक स्थलों, होटलों, मनोरंजन स्थानों तथा सार्वजनिक सुविधा जैसे स्थानों पर अनुचित व्यवहार एवं भेदभाव को भी प्रतिबंधित किया गया है।
  • यदि कोई व्यक्ति किसी HIV/AIDS से पीड़ित व्यक्ति से संबंधित कोई घृणा विचार को प्रकाशित करता है या किसी अन्य प्रकार से सूचना फैलाता है तो वह व्यक्ति HIV कानून के अंतर्गत सज़ा का हक़दार होगा।
  • इसके अंतर्गत यह व्यवस्था की गई है कि किसी भी व्यक्ति को उसकी सहमति और न्यायालय के आदेश के बिना अपनी HIV स्थिति को उजागर करने के लिये बाध्य नहीं किया जा सकता है।
  • HIV पीड़ितों की जानकारी रखने वाले प्रतिष्ठानों के लिये डेटा संरक्षण उपायों को अपनाना अनिवार्य किया गया है। 
  • साथ ही केंद्र एवं राज्य सरकारों की यह ज़िम्मेदारी सुनिश्चित की गई है कि वे HIV/AIDS को फैलने से रोकने के उपाय करें, HIV/AIDS पीड़ितों को एंटी रिट्रोवायरल थेरेपी (ART) प्रदान करें एवं उनकी कल्याणकारी योजनाओं तक पहुँच सुनिश्चित करें।
  • इसके लिये प्रत्येक राज्य द्वारा एक लोकपाल (Ombudsman) नियुक्त किया जाएगा जो इस अधिनियम के उल्लंघन की जाँच करेगा।
  • 12 से 18 वर्ष के बीच का व्यक्ति जो HIV/AIDS से संक्रमित व्यक्ति से संबंधित मामलों को समझने और प्रबंधित करने की परिपक्वता रखता हो, उसे 18 वर्ष से कम उम्र के अपने HIV/AIDS पीड़ित भाई/बहन का संरक्षक (Guardianship) घोषित किया जा सकता है।
  • HIV पॉज़िटिव व्यक्तियों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाया जाएगा।
  • भारत में HIV कानून सामाजिक न्याय स्थापित करने का एक अचूक तंत्र है।
  • भारत को HIV मुक्त बनाने के लिये आर्ट (ANTI-RETROVIRAL THEREPY-ART) एक दूसरा सबसे बड़ा कार्यक्रम है।
  • आर्ट’ HIV पीड़ित व्यक्ति को दिये जाने वाला एक उपचार है। उल्लेखनीय है कि ‘आर्ट’ के चलते भारत में HIV एवं एड्स से संक्रमित मरीज़ों की संख्या एवं मृत्यु में कमी दर्ज की गई है।
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