प्रीलिम्स फैक्ट्स : 09 मार्च, 2018
उद्यम सखी पोर्टल
(Udyam Sakhi Portal)
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro, Small and Medium Enterprises - MSME) द्वारा भारतीय महिला उद्यमियों के लिये उद्यम सखी नाम से एक पोर्टल शुरु किया गया।
- इस अवसर पर कहा गया कि देश में इस समय 80 लाख ऐसी महिलाएँ हैं जिन्होंने अपना कारेाबार शुरु किया है और सफलातापूर्वक उसे संचालित भी कर रही हैं।
विशेषताएँ
- पोर्टल के ज़रिये एक ऐसा नेटवर्क बनाने का प्रयास किया गया है जिसके माध्यम से उद्यमशीलता को बढ़ावा दिया जा सके।
- साथ ही, इसके अंतर्गत महिलाओं को स्वावलंबी एवं सशक्त बनाने के लिये कम लागत वाली सेवाओं तथा उत्पादों के लिये कारोबार के नए मॉडल तैयार किये जाएंगे।
- पोर्टल के माध्यम से महिला उद्यमियों को कारोबार शुरु करने के लिये आवश्यक प्रशिक्षण, निवशेकों से सीधे संपर्क, बाज़ार सर्वेक्षण सुविधा तथा तकनीकी सहयोग जैसी मदद उपलब्ध कराई गई है।
ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नेपकिन “सुविधा (Oxo-biodegradable Sanitary Napkin ‘SUVIDHA’)
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री भारतीय जन–औषधि परियोजना (Pradhan Mantri Bhartiya Janaushadhi Pariyojana - PMBJP) के तहत पूरी तरह ऑक्सो-बायोडिग्रेडेबल सैनिटरी नेपकिन ‘सुविधा’ लॉन्च करने की घोषणा की गई। यह किफायती सैनिटरी नेपकिन देश भर के 3200 जन-औषधि केंद्रों पर 2.50 रुपए प्रति पैड की दर पर उपलब्ध होगी।
लाभ
- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन सभी महिलाओं के लिये यह एक विशेष उपहार है, क्योंकि यह अनोखा उत्पाद किफायती और स्वास्थ्यकर होने के साथ ही इस्तेमाल और निपटान में आसान है। यह भारत की वंचित महिलाओं के लिये स्वच्छता, स्वास्थ्य और सुविधा सुनिश्चित करेग।
वर्तमान स्थिति
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, 15 से 24 साल तक की 58 प्रतिशत महिलाएँ स्थानीय स्तर पर तैयार नेपकिन, सैनिटरी नेपकिन और रूई के फाहे का इस्तेमाल करती हैं।
- शहरी क्षेत्रों की 78 प्रतिशत महिलाएँ मासिक धर्म के दौरान सुरक्षा के लिये स्वस्थ विधियाँ अपनाती हैं। ग्रामीण इलाके की केवल 48 फीसदी महिलाएँ साफ-सुथरा सैनिटरी नेपकिन का इस्तेमाल कर पाती हैं।
विशेषताएँ
- सुविधा नेपकिन में एक विशेष प्रकार का पदार्थ मिलाया जाता है, जिससे इस्तेमाल के बाद ऑक्सीजन के संपर्क में आकर यह बायोडिग्रेडेबल हो जाती है।
- वर्तमान में बाज़ार में उपलब्ध किसी भी सैनिटरी नेपकिन की कीमत लगभग 8 रुपए प्रति पैड है, जबकि सुविधा नेपकिन की कीमत 2.50 रुपए प्रति पैड है।
- 28 मई, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता दिवस से देश के सभी जन-औषधि केंद्रों पर सुविधा नेपकिन बिक्री के लिये उपलब्ध रहेगा।
निगरानी
- मंत्रालय द्वारा इसकी आपूर्ति श्रृंखला पर लगातार नज़र रखने के साथ-साथ ऑनलाइन ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर के ज़रिये इसकी निरंतर निगरानी भी की जा रही है ताकि देश भर में पीएमबीजेपी केंद्रों पर आवश्यक दवाइयाँ उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जा सके।
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निर्वाचन प्रबंधन हेतु क्षमता संवर्द्धन (Capacity Development for Election Management)
भारत द्वारा आईईआईडीईएम (India International Institute for Democracy and Election Management – IIIDEM), विदेश मंत्रालय के भारत तकनीकी और आर्थिक सहयोग (Indian Technical and Economic Cooperation – ITEC) कार्यक्रम के तहत 12 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम, ‘निर्वाचन प्रबंधन हेतु क्षमता संवर्द्धन’ (Capacity Development for Election Management) का आयोजन किया जा रहा है।
- इस कार्यक्रम का संचालन 5 से 16 मार्च, 2018 तक किया जाएगा।
- इस कार्यक्रम को ऐसे तरीके से विकसित किया गया है कि वह निर्वाचन प्रबंधन प्रक्रिया के प्रत्येक आयाम पर प्रकाश डाले। निर्वाचन आयोग की संरचना और कार्यप्रणाली, इसकी स्वतंत्रता व पारदर्शिता आदि तत्त्व इन आयामों में शामिल हैं।
- प्रशिक्षण कार्यक्रम में चुनाव प्रक्रिया पर आधारित एक मूलभूत पाठ्यक्रम शामिल किया गया है।
- चुनाव संचालन में क्षेत्रीय स्तर पर समस्याएँ आती हैं, इसलिये चुनावकर्मियों का प्रशिक्षण अत्यधिक आवश्यक है। यह इसलिये भी ज़रूरी हैं क्योंकि निर्वाचन प्रबंधन के विभिन्न चरणों में प्रौद्योगिकी का उपयोग बढ़ता जा रहा है।
पृष्ठभूमि
- विदेश मंत्रालय के अंतर्गत विकास सहयोग प्रशासन (Development Partnership Administration - DPA) का गठन जनवरी 2012 में किया गया था।
- डीपीए-2 विदेश मंत्रालय की नोडेल एजेंसी है, जो क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन करती है। इसमें आईटीईसी भी शामिल है।
- सामान्य तौर पर आईटीईसी कार्यक्रम की प्रकृति द्विपक्षीय है। लेकिन हाल के वर्षों में आईटीईसी संसाधनों का उपयोग क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय कार्यक्रमों के संदर्भ में भी किया जा रहा है।
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आर्किटेक्चर का नोबल (Noble prize for architecture)
भारत के मशहूर आर्किटेक्ट बालकृष्ण दोशी को नोबल पुरस्कार के समान माने जाने वाले प्रतिष्ठित 'प्रित्ज़कर' पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें मई में टोरंटो में यह सम्मान दिया जाएगा। यह पुरस्कार आर्किटेक्चर क्षेत्र में बेहतरीन कार्य करने के संदर्भ में दिया जाता है। 'प्रित्ज़कर' पुरस्कार को वास्तुकला की दुनिया का नोबेल पुरस्कार कहा जाता है।
प्रमुख बिंदु
- दोशी को यह पुरस्कार कम लागत के घर डिज़ाइन करने के लिये दिया जा रहा है।
- 90 साल के बालकृष्ण पहले ऐसे भारतीय हैं जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
- बालकृष्ण दोशी ने हमेशा ऐसी संजीदा वास्तुकलाओं का निर्माण किया है। उनके डिज़ाइन न तो भड़कीले होते है, न ही चटख। उनके डिज़ाइन हमेशा आम चलन से अलग रहे हैं।
- ज्यूरी के अनुसार, बालकृष्ण द्वारा हमेशा यह स्पष्ट किया गया है कि अच्छी वास्तुकला और शहरी योजना में उद्देश्य एवं ढाँचे के साथ-साथ इसे बनाने के समय, जलवायु, स्थान, तकनीक, कारीगरी तथा हस्तकला का भी ध्यान रखना चाहिये।
- बालकृष्ण द्वारा कॉम्प्लेक्स, आवासीय योजना, सार्वजनिक स्थल, गलियारे और निजी आवास आदि के डिज़ाइन तैयार किये गए हैं।
'प्रित्ज़कर' पुरस्कार क्या है?
- यह किसी जीवित वास्तुकार को उसके विश्वस्तरीय योगदान के लिये दिया जाता है।
- वास्तुकला के नोबल पुरस्कार के रूप में प्रसिद्ध इस पुरस्कार को वर्ष 1979 से प्रदान किया जा रहा है। इसकी स्थापना जे. प्रित्ज़कर द्वारा की गई थी।
- यह पुरस्कार प्रित्ज़कर परिवार एवं हयात फाउंडेशन द्वारा दिया जाता है।
- प्रथम 'प्रित्ज़कर' पुरस्कार वर्ष 1979 में ग्लास हाउस के वास्तुकार फिलीप जोंसन को दिया गया था।
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