प्रारंभिक परीक्षा
प्रीलिम्स फैक्टसः 02 जुलाई, 2018
- 02 Jul 2018
- 10 min read
एएमसीडीआरआर, 2018
(AMCDRR 2018)
3 से 6 जुलाई, 2018 तक मंगोलिया के उलानबाटार (Ulaanbaatar) में आपदा जोखिम में कमी लाने के संबंध में एक एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 2018 (Asian Ministerial Conference on Disaster Risk Reduction- AMCDRR, 2018) का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू करेंगे।
- AMCDRR 2018 की थीम: ‘आपदा जोखिम की रोकथाम: सतत् विकास की सुरक्षा’ (Preventing Disaster Risk: Protecting Sustainable Development) सेंडाई संरचना के सार तत्त्व को प्रदर्शित करती है। जो विकास के मार्ग में आने वाले जोखिमों पर विचार नहीं करता, वह सतत् नहीं हो सकता। इसलिये, आपदा जोखिम में कमी लाना सतत विकास लक्ष्यों को अर्जित करने का मुख्य माध्यम है।
AMCDRR
- AMCDRR पर एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन, आईएसडीआर-एशिया साझेदारी फोरम द्वारा समर्थित तथा प्रशांत क्षेत्र में उप-क्षेत्रीय मंचों के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र की क्षेत्रीय मंच संरचना का निर्माण करता है।
- द्विवार्षिक AMCDRR को वैश्विक और क्षेत्रीय आपदा चुनौतियों का समाधान करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में स्थापित किया गया है। इसके अंतर्गत अंतर्देशीय नेतृत्व और समाधान के माध्यम से ऐसे मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाता है जिससे लोगों के साथ-साथ क्षेत्र विशेष को भी लाभ पहुँच सके।
- इसके प्रत्येक सम्मेलन का आयोजन मेजबान देश और यूएनआईएसडीआर (United Nations Office for Disaster Risk Reduction – UNISDR) द्वारा सह-संगठित रूप से किया जाता है।
- यह आयोजन सरकारों को सेंडाई फ्रेमवर्क को लागू करने के लिये उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का एक अवसर प्रदान करता है।
37वाँ वर्ल्ड हेरीटेज साइट्स भारत में
एक अन्य ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में ‘मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल्स’ (Victorian and Art Deco Ensembles of Mumbai) को यूनेस्को की वर्ल्ड हेरीटेज साइट्स की सूची में अंकित किया गया है। यह ऐतिहासिक निर्णय बहरीन के मनामा (Manama) में यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति के 42वें सत्र में लिया गया।
- विश्व धरोहर समिति की अनुशंसा पर इंसेबल को नया नाम ‘मुंबई के विक्टोरियन गोथिक एवं आर्ट डेको इंसेबल्स‘ दिया गया है, जिसे भारत सरकार ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
- एलिफेंटा गुफाओं और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस के बाद यह मुबंई की तीसरी ऐसी साइट है जिसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया गया है।
- अहमदाबाद के बाद मुंबई भारत में ऐसा दूसरा शहर बन गया है जो यूनेस्को की विश्व धरोहर संपदा की सूची में अंकित है।
- यह इंसेम्बल दो वास्तुशिल्पीय शैलियों, 19वीं सदी की विक्टोरियन संरचनाओं के संग्रह (अर्थात् विक्टोरियन गोथिक पुनर्जागरण के भवनों) एवं समुद्र तट के साथ 20वीं सदी के आर्ट डेको भवनों से निर्मित्त है, इसके मध्य में ओवल मैदान स्थित है।
- यूनेस्को वर्ल्ड हेरीटेज साइट्स में शामिल होने वाली यह 37वीं भारतीय साइट है। विश्व धरोहरों की संख्या के मामले में भारत, चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा एशिया-पैसिफिक देश बन गया है। वहीं, वैश्विक स्तर पर इसका छठा स्थान है।
- वर्तमान में देश के 42 स्थल विश्व धरोहर की प्रायोगिक सूची में शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि संस्कृति मंत्रालय द्वारा प्रत्येक वर्ष यूनेस्को की सूची हेतु नामांकन के लिये एक भारतीय संपत्ति की अनुशंसा की जाती है।
यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति
- विश्व धरोहर समिति (World Heritage Committee) उन स्थलों का चयन करती है जिन्हें यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है।
- यह न केवल विश्व धरोहर कन्वेंशन के कार्यान्वयन के लिये उत्तरदायी होती है, बल्कि विश्व धरोहर कोष के इस्तेमाल को परिभाषित करने के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र दलों के अनुरोध पर वित्तीय सहायता का आवंटन भी करती है।
- वर्तमान में इस समिति के सदस्यों की संख्या 21 है।
- विश्व धरोहर कन्वेंशन के नियमानुसार, समिति के सदस्य राष्ट्र का कार्यकाल छह साल का होता है, लेकिन कई राष्ट्र दल स्वेच्छा से केवल चार साल के लिये ही समिति के सदस्य बने रहना स्वीकार करते हैं ताकि, दूसरे राष्ट्र दलों को भी समिति का सदस्य बनने का अवसर प्राप्त हो सके।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष : एस. रमेश
श्रीमती वनाजा एन. सरना के सेवानिवृत्त होने पर एस. रमेश ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (Central Board of Indirect Taxes and Customs -CBIC) के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। अपनी पदोन्नति से वह पूर्व बोर्ड में सदस्य (प्रशासन) थे।
- एस. रमेश ने अपने कॅरिअर की शुरुआत मुंबई में केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं उसके बाद मुंबई सीमा शुल्क के सहायक आयुक्त के रूप में की।
- वर्ष 2013 से 2016 तक वह सीमा शुल्क ज़ोन (चेन्नई) के मुख्य आयुक्त रहे। इसके बाद उन्होंने प्रणाली एवं डाटा प्रबंधन के महानिदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। सितंबर 2016 में वह सदस्य (आईटी, केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर) के रूप में बोर्ड में शामिल हुए।
सीबीईसी
- सीबीईसी, भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के तहत राजस्व विभाग का एक हिस्सा है।
- सीबीईसी के अधिकारों के तहत यह सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सेवा कर और नारकोटिक्स से संबंधित तस्करी और प्रशासनिक मामलों के संबंध में कार्य करता है। यह सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर के संग्रहण और लेवी से संबंधित नीतिगत कार्यों से संबंधित विभाग है।
- यह अपने अधीनस्थ संगठनों के लिये एक प्रशासनिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है, जिसमें कस्टम हाउस, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सेवा कर आयुक्त तथा केंद्रीय राजस्व नियंत्रण प्रयोगशाला शामिल है।
पानी से ईंधन बनाने का सस्ता तरीका
हाल ही में अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के अनुसंधानकर्त्ताओं ने एक ऐसे किफायती उत्प्रेरक को विकसित करने में सफलता हासिल की है, जिसकी सहायता से पानी से हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है।
- पानी के अवयवों हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करने के लिये अधिकतर प्रणालियों में दो उत्प्रेरकों की आवश्यकता होती है। एक उत्प्रेरक की सहायता से हाइड्रोजन और दूसरे से ऑक्सीजन का उत्पादन किया जाता है।
- इस नए आविष्कार के पश्चात् हाइड्रोजन को तोड़ने के लिये नए उत्प्रेरक की आवश्यकता नहीं होगी, साथ ही इससे हाइड्रोजन ईंधन के निर्माण की लागत में भी उल्लेखनीय रूप से कमी आएगी।
- नया उत्प्रेरक आयरन और डिनिकल फॉस्फाइड से बना है, जो व्यावसायिक रूप से उपलब्ध निकेल फोम पर दोनों कार्य करने में सक्षम है।
- हाइड्रोजन को कई औद्योगिक उपयोगों में स्वच्छ ऊर्जा के वांछनीय स्रोत के रूप में जाना जाता है। इसका कारण यह है कि इसे कंप्रेस्ड किया जा सकता है, साथ ही तरल रूप में भी परिवर्तित किया जा सकता है इसलिये ऊर्जा के कुछ अन्य स्वरूपों की तुलना में इसका काफी आसानी से भंडारण किया जा सकता है।