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प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 2 जून, 2018

  • 02 Jun 2018
  • 6 min read

विदेशी योगदान की निगरानी के लिये ऑनलाइन विश्लेषण टूल

हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने विदेशी योगदान (नियमन) अधिनियम [Foreign Contribution (Regulation) Act], , 2010 के अंतर्गत विदेशी धन प्रवाह तथा इसके उपयोग की निगरानी के लिये एक ऑनलाइन विश्लेषण टूल (Online Analytical Tool) की शुरूआत की। वेब आधारित यह टूल सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को विदेशी योगदान के स्रोत और भारत में इसके उपयोग की जाँच करने में मदद करेगा।

  • FCRA 2010 के प्रावधानों के अनुपालन के संदर्भ में यह टूल आँकड़ों तथा साक्ष्य के आधार पर निर्णय लेने में विभागों को सहायता प्रदान करेगा।
  • इसमें वृह्द् आँकड़ों को ढूंढने और विश्लेषण करने की क्षमता निहित है।
  • इसका डैशबोर्ड FCRA पंजीकृत बैंक खातों से जुड़ा होगा और यह लोक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से वास्तविक समय पर अद्यतन जानकारी उपलब्ध कराएगा।
  • FCRA 2010 के अंतर्गत लगभग 25,000 सक्रिय संगठन पंजीकृत हैं। इन संगठनों को वर्ष 2016-17 के दौरान सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक तथा धार्मिक गतिविधियों के लिये 18,065 करोड़ रुपए का विदेशी चंदा प्राप्त हुआ है।
  • प्रत्येक FCRA –एनजीओ विदेशी योगदान प्राप्त करने तथा इसे खर्च करने में कई प्रकार का वित्तीय लेन-देन करता है। इस टूल के माध्यम से इन लेन-देनों की निगरानी की जा सकती है।

स्लीपिंग लॉयन

हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े साफ पानी के मोती को नीदरलैंड में ढाई करोड़ रुपए (374,000 डॉलर या 320,000 यूरो) में नीलाम किया गया। इस मोती को एक जापानी कारोबारी द्वारा खरीदा गया है।

  • एक जानकारी के अनुसार, यह मोती 18वीं सदी की रूस की महारानी कैथरीन से संबंधित है। अपनी विशिष्ट संरचना के कारण इस मोती को ‘स्लीपिंग लॉयन’ के नाम से जाना जाता है। 
  • ऐसा माना जाता है कि यह मोती 18वीं सदी के शुरुआती समय में पर्ल नदी में मूर्त रूप में आया था।
  • इस मोती का भार 120 ग्राम (4.2 औंस) और लंबाई सात सेंटीमीटर (2.7 इंच) के करीब है। अपनी इसी विशेषता के कारण यह मोती दुनिया के तीन सबसे बड़े मोतियों में से एक है।

डेक्कन क्वीन

1 जून, 1930 को महाराष्ट्र के दो प्रमुख शहरों के बीच भारतीय रेल की अग्रणी ‘डेक्कन क्वीन’ रेल सेवा शुरू की गई, जो ग्रेट इंडियन पेनिनसूला (जीआईपी) रेलवे की प्रमुख ऐतिहासिक उपलब्धि थी।

  • इस क्षेत्र के दो महत्त्वपूर्ण शहरों में सेवा प्रदान करने के लिये यह पहली डीलक्स रेलगाड़ी शुरू की गई थी। इसका नाम ‘दक्कन की रानी’ के तौर पर प्रसिद्ध पुणे शहर के नाम पर रखा गया था। 
  • शुरु में रेलगाड़ी में 7 डिब्बों के दो रैक थे। प्रत्येक को लाल रंग के सजावटी साँचों में सिल्‍वर रंग और अन्य पर नीले रंग के साँचों में सुनहरे रंग की रेखा उकेरी गई थी।
  • डिब्बों के मूल रैक की नीचे के फ्रेम का निर्माण इंग्लैंड में, जबकि डिब्बों का ढाँचा जीआईपी रेलवे के माटुंगा कारखाने में निर्मित किया गया था।
  • शुरुआत में ‘डेक्कन क्वीन’ में केवल प्रथम और द्वितीय श्रेणी थे। प्रथम श्रेणी को 01 जनवरी, 1949 को बंद कर दिया गया और द्वितीय श्रेणी की डिज़ाइन दोबारा तैयार कर इसे प्रथम श्रेणी में परिवर्तित किया गया। इसके बाद जून 1955 में इस रेलगाड़ी में पहली बार तृतीय श्रेणी उपलब्ध कराई गई।
  • इसे अप्रैल, 1974 से द्वितीय श्रेणी के तौर पर दोबारा डिज़ाइन किया गया था। 

3डी प्रिंटेड स्मार्ट जेल 

हाल ही में अमेरिका के रटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा एक ऐसा 3डी प्रिंटेड स्मार्ट जेल तैयार किया गया है, जो न केवल पानी के भीतर कार्य कर सकता है, बल्कि चीज़ों को पकड़कर उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी ले जा सकता है। इस जेल की सहायता से भविष्य में ऑक्टोपस जैसे समुद्री जीवों की नकल करने में सक्षम रोबोट भी तैयार किये जा सकते हैं।

  • शोधकर्त्ताओं के अनुसार, इस तकनीक से कृत्रिम हृदय, पेट और दूसरी अन्य माँसपेशियों का विकास किया जा सकता है।
  • साथ ही बीमारियों का पता लगाने, उनका उपचार करने और शरीर के अंदर दवा पहुँचाने आदि के लिये आवश्यक उपकरण भी बनाए जा सकते हैं।
  • 3डी प्रिंटेड स्मार्ट जेल में बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के लिहाज़ से भी काफी संभावनाएँ व्याप्त हैं, क्योंकि संरचना में जेल मानव शरीर के ऊतकों जैसे होते हैं। उनमें पानी की मात्रा भी अधिक होती है और ये काफी नरम भी होते हैं। 
  • इस नवीन 3डी प्रिंटिंग प्रक्रिया में प्रकाश को ऐसे सॉल्यूशन से गुज़ारा जाता है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील होता है।
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