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युद्ध इतिहास के अवर्गीकरण संबंधी नीति

  • 17 Jun 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये

युद्ध इतिहास के अवर्गीकरण संबंधी हालिया नीति

मेन्स के लिये

युद्ध इतिहास के अवर्गीकरण के संबंध में नीति की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय रक्षा मंत्री ने रक्षा मंत्रालय (MoD) के युद्ध एवं ऑपरेशन संबंधी इतिहास के संग्रह, अवर्गीकरण (Declassification), संकलन और प्रकाशन पर एक नीति को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु

आधिकारिक रिकॉर्ड की आवश्यकता

  • युद्ध एवं ऑपरेशन संबंधी इतिहास का समय पर प्रकाशन आम-जनमानस को घटनाओं का सटीक विवरण प्रदान करेगा, अकादमिक शोध के लिये प्रामाणिक सामग्री प्रदान करेगा और निराधार अफवाहों को रोकेगा।
  • किसी भी युद्ध और ऑपरेशन से सीखे गए सबक का विश्लेषण करने और भविष्य की गलतियों को रोकने के लिये ‘के. सुब्रह्मण्यम’ की अध्यक्षता वाली कारगिल समीक्षा समिति (2019) ने एक स्पष्ट नीति के साथ युद्ध इतिहास को लिखे जाने की आवश्यकता की सिफारिश की थी। 
  • कारगिल संघर्ष के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर मंत्रियों के एक समूह (2001) की सिफारिशों में भी एक आधिकारिक युद्ध इतिहास की वांछनीयता का उल्लेख किया गया था।

नीति के प्रावधान

  • रिकॉर्ड का स्थानांतरण: रक्षा मंत्रालय के तहत प्रत्येक संगठन जैसे- तीनों सेवाएँ (थल सेना, वायु सेना और नौसेना), एकीकृत रक्षा कर्मचारी, असम राइफल्स और तटरक्षक बल आदि को युद्ध संबंधी और ऑपरेशन संबंधी विभिन्न रिकॉर्ड्स जैसे- युद्ध डायरी, कार्यवाही पत्र और ऑपरेशन रिकॉर्ड बुक आदि को रक्षा मंत्रालय के इतिहास विभाग को उचित रखरखाव, अभिलेखीय और इतिहास लेखन हेतु स्थानांतरित करना होगा। 
    • इतिहास विभाग युद्ध और संचालन इतिहास के संकलन, अनुमोदन और प्रकाशन के दौरान विभिन्न विभागों के साथ समन्वय के लिये उत्तरदायी होगा।
  • समिति का गठन: युद्ध और ऑपरेशन इतिहास के संकलन के लिये यह नीति, रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन का प्रावधान करती है, जिसमें आवश्यकता के अनुसार, तीनों सेवाओं, विदेश मंत्रालय (MEA), गृह मंत्रालय (MHA) और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ देश के प्रमुख सैन्य इतिहासकार भी शामिल हो सकते हैं।
  • समयसीमा: यह नीति युद्ध और ऑपरेशन इतिहास के संकलन एवं प्रकाशन के संबंध में स्पष्ट समयसीमा निर्धारित करती है।
    • युद्ध और ऑपरेशन के पूरा होने के दो वर्ष के भीतर समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है।
    • इसके पश्चात् आगामी तीन वर्ष के भीतर अभिलेखों का संग्रह और संकलन पूरा किया जाना चाहिये तथा उसे सभी संबंधित हितधारकों को भेजा जाना चाहिये।
    • नीति के अनुसार, सभी अभिलेखों को सामान्यतः 25 वर्षों में अवर्गीकृत किया जाएगा।
    • 25 वर्ष से अधिक पुराने अभिलेखों का अभिलेखीय विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन किया जाना चाहिये और युद्ध/ऑपरेशन इतिहास संकलित होने के बाद उन्हें भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिये।
  • अभिलेखों के अवर्गीकरण का उत्तरदायित्व: अभिलेखों के अवर्गीकरण (Declassification) का उत्तरदायित्व पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट 1993 और पब्लिक रिकॉर्ड रूल्स 1997 में निर्दिष्ट संगठनों को सौंपा गया है।
  • आंतरिक उपयोग: युद्ध और ऑपरेशन से संबंधित संकलित इतिहास को सर्वप्रथम प्रारंभिक पाँच वर्ष के भीतर केवल आंतरिक उपयोग के लिये ही प्रयोग किया जाएगा और इसके पश्चात् समिति विषय की संवेदनशीलता को देखते हुए उसे पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से सार्वजनिक करने का निर्णय ले सकती है।

पुराने युद्ध संबंधी दस्तावेज़ों का अवर्गीकरण:

  • वर्ष 1962 के युद्ध और ऑपरेशन ब्लूस्टार जैसे युद्धों और ऑपरेशन्स से संबंधित दस्तावेज़ों का अवर्गीकरण (Declassification) स्वचालित नहीं होता है, बल्कि नई नीति के तहत गठित समिति द्वारा मामले की संवेदनशीलता के आधार निर्णय लिया जाएगा।

स्रोत: द हिंदू

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