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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

न्यूट्रीनो परियोजना को पर्यावरणीय मंज़ूरी

  • 20 Mar 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में पर्यावरण और वन मंत्रालय द्वारा भारत-आधारित न्यूट्रीनो वेधशाला (India-based Neutrino Observatory - INO) परियोजना को मंज़ूरी प्रदान की गई है। इस मंज़ूरी के बाद बोडी वेस्ट हिल्स (Bodi West hills) में प्रयोगशाला स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।

  • परियोजना के पक्ष में इस बात का स्पष्टीकरण दिया गया कि इसके आस-पास के किसी भी स्थान पर न तो ब्लास्ट का कोई विपरीत प्रभाव पड़ेगा और न ही आसपास के वासस्थलों को ही क्षति पहुँचेगी।

न्यूट्रीनो (neutrino) क्या होते हैं?

  • दरअसल, हमारा ब्रह्मांड एक सुपर हाइवे जैसा है। इसमें अरबों-खरबों कण बहुत लंबी-लंबी यात्राओं पर निकलते हैं, जिनमें से कई हम तक पहुँच चुके हैं तो कई अभी रास्ते में ही हैं। इन सभी कणों में न्यूट्रीनो  नामक कण सबसे दृढ़निश्चयी यात्री प्रमाणित होते हैं।
  • ये कण सघन खगोलीय पिंडों के बीच से होकर आगे बढ़ते हैं, विशालकाय आकाशगंगाएँ और अंतरतारकीय बाधाएँ भी इनका रास्ता रोक नहीं पाती हैं। जिस प्रकार यात्री के पास यात्रा से प्राप्त विभिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं, उसी प्रकार एक संभावना है कि न्यूट्रीनो  कण से भी अंतरिक्ष से संबंधित विभिन्न प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
  • यही कारण है कि वैज्ञानिकों की न्यूट्रीनो के अध्ययन में विशेष रुचि रही है। फोटोन के बाद न्यूट्रीनो प्रचुर मात्रा में ब्रह्माण्ड में विद्यमान है। हमारे ब्रह्माण्ड में प्रत्येक एक घन सेंटीमीटर में लगभग 300 न्यूट्रीनो  होते हैं।
  • ये कण सूर्य जैसे तारों से, रेडियो सक्रिय क्षय और वायुमंडल से कॉस्मिक विकिरणों की अंतःक्रिया से उत्पन्न होते हैं। हम इन्हें नाभिकीय रिएक्टर से भी निर्मित कर सकते हैं।

न्यूट्रीनो  कैसे उत्पन्न होते हैं?

  • बिग-बैंग के बाद जो बेहद आरंभिक न्यूट्रीनो पैदा हुए थे, वे आज तक हमारे ब्रह्मांड में घूमते रहते हैं। सौर केंद्र में परमाणु संलयन की वजह से जो न्यूट्रीनो उत्पन्न हुए, वे पृथ्वी के ऊपर, हम सब के ऊपर घूमते रहते हैं।
  • प्रति सेकंड लगभग 100 खरब न्यूट्रीनो सूर्य और अन्य पिंडों से उत्सर्जित होकर हमारे शरीर से टकराते हैं, लेकिन इससे हमें कोई नुकसान नहीं पहुँचता है। हालाँकि, न्यूट्रीनो के बारे में गहराई से जानने से पहले हमें इसके अतीत से भी रूबरू होना पड़ेगा।
  • सन् 1930 में जाने-माने वैज्ञानिक पॉउली (Wolfgang Ernst Pauli) को प्रयोगों से पता चला कि जब कोई अस्थिर आण्विक नाभिक एक इलेक्ट्रॉन को छोड़ता है, तो उसकी नई ऊर्जा और गति उम्मीद के मुताबिक नहीं होती है।
  • इस समीकरण को संतुलित करने और ऊर्जा सरंक्षण सिद्धांत को कायम रखने के लिये पॉउली ने एक सैद्धांतिक कण की अवधारणा प्रस्तुत की। 
  • पाउॅली के अनुसार इस कण में न तो धनात्मक आवेश था और न ही ऋणात्मक। आगे चलकर सन् 1933 में प्रसिद्ध वैज्ञानिक फर्मी (Enrico Fermi) ने इस कण को न्यूट्रीनो नाम दिया।

दो शर्तें

  • कुछ राजनैतिक दलों एवं सामाजिक कार्यकर्त्ताओं का यह कहना है कि इस वेधशाला से इस क्षेत्र विशेष में रेडियोधर्मिता का खतरा देखने को मिल सकता है, जबकि सच यह है कि इस वेधशाला से आस पास के वातावरण को कोई खतरा नहीं है।
  • इसी संदर्भ में जाँच के लिये एक समिति का गठन किया गया था जिसने परियोजना के संदर्भ में दो विशिष्ट शर्तों को निर्धारित किये जाने की सिफारिश भी है। 
  • पहली तो यह कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Tamil Nadu Pollution Control Board-TNPCB) द्वारा अनुमति प्राप्त होने के बाद ही इसे स्थापित और संचालित किया जाएगा। INO परियोजना समर्थकों द्वारा यह शिकायत की गई थी कि तात्कालिक मुख्यमंत्री (2011-16) के शासनकाल में TNPCB ने कई सालों तक परियोजना से संबंधित फाइल को लटकाए रखा।
  • दूसरी शर्त यह है कि आईएनओ टीम को कानून के अनुसार, वन एवं एनबीडब्लूएल (National Board for Wild Life) से आवश्यक मंज़ूरी प्राप्त करनी होगी।
  • नवंबर 2017 में जब तमिलनाडु राज्य विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (Tamil Nadu State Expert Appraisal Committee) ने इस परियोजना के संदर्भ में विचार-विमर्श किया तो पाया कि प्रस्तावित स्थल विभिन्न जल-धाराओं के जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा है जो वैगई वाटरशेड (Vaigai watershed) में एक महत्त्वपूर्ण योगदान का निर्वाह करता हैं।
  • यही कारण है कि तमिलनाडु ने अपना मत रखते हुए कहा कि इस परियोजना के प्रस्ताव का मूल्यांकन श्रेणी B की मद 8 (a) के तहत “ईआईए अधिसूचना 2006 की अनुसूची भवन और निर्माण परियोजनाएँ” (building and construction projects — of the Schedule to the Environmental Impact Assessment (EIA) Notification, 2006) के संदर्भ में नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसमें केवल निर्माण का पक्ष शामिल नहीं है बल्कि और भी बहुत से अहम पक्ष इसका हिस्सा हैं। इतना ही नहीं, यह मांग भी की गई कि इस परियोजना के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा निर्णय किया जाना चाहिये। 
  • इस प्रस्ताव के राष्ट्रीय महत्त्व को ध्यान में रखते हुए, पर्यावरण मंत्रालय द्वारा एक विशेष मामले (श्रेणी 8 (ए) परियोजना) के रूप में इसे केंद्रीय स्तर पर हल करने का फैसला करते हुए 17 शर्तों के साथ पर्यावरण मंजूरी प्रदान की गई।

विशेषज्ञ समिति का आदेश-पत्र

  • पर्यावरण और वन मंत्रालय की विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (Expert Appraisal Committee -Infra 2) जहाज तोड़ने वाली यूनिट, हवाई अड्डे, सामान्य खतरनाक अपशिष्ट उपचार, भंडारण और निपटान की सुविधा, बंदरगाहों, हवाई रोप-वे, सीईटीपी, सामान्य नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा, निर्माण परियोजनाओं, टाउनशिप तथा क्षेत्र विकास परियोजनाओं आदि से संबद्ध है।

गैर-सरकारी संगठन का पक्ष 

  • इस क्षेत्र में आईएनओ प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के विरुद्ध अभियान चलाने वाले गैर-सरकारी संगठन पूवुलगिन नानबर्गल (Poovulagin Nanbargal) ने इस निर्णय की निंदा की है।
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