लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

5G में मिलीमीटर वेव बैंड

  • 15 Jan 2022
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मिलीमीटर वेव बैंड, 5G, लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO), सैटेलाइट इंडस्ट्री, स्पेक्ट्रम, इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन।

मेन्स के लिये:

5G तकनीक, 5G के मिमी. वेव बैंड और इससे संबंधित चिंताएँ, सैटेलाइट कम्युनिकेशन, इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन-इंडिया (SIA) ने 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में मिलीमीटर वेव (mm Wave) बैंड को शामिल करने की सरकार की योजना पर चिंता व्यक्त की है।

  • SIA एक औद्योगिक निकाय है जो भारत में संचार उपग्रह पारिस्थितिकी तंत्र के हितों का प्रतिनिधित्त्व करता है।
  • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने नीलामी के लिये स्पेक्ट्रम की मात्रा से संबंधित विषयों पर उद्योगों के विचार मांगे थे।

प्रमुख बिंदु

  • 5G तकनीक:
    • परिचय:
      • 5G 5वीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है। यह 1G, 2G, 3G और 4G नेटवर्क के बाद एक नया वैश्विक वायरलेस मानक है। 5G नेटवर्क एमएम वेव स्पेक्ट्रम में काम करेगा।
      • यह एक नए प्रकार के नेटवर्क को सक्षम बनाता है जिसे मशीनों, वस्तुओं और उपकरणों सहित लगभग सभी को एक साथ जोड़ने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • 5G में बैंड: 5G मुख्य रूप से 3 बैंड में काम करता है, अर्थात् निम्न, मध्य और उच्च आवृत्ति स्पेक्ट्रम जिनमें से सभी के अपने उपयोग के साथ-साथ सीमाएँ भी हैं।
      • निम्न बैंड स्पेक्ट्रम: यह इंटरनेट और डेटा एक्सचेंज की कवरेज एवं गति के मामले में बहुत अच्छा कार्य  करता है, हालाँकि अधिकतम गति 100 एमबीपीएस (प्रति सेकंड मेगाबिट्स) तक सीमित है।
      • मध्य बैंड स्पेक्ट्रम: यह कम बैंड की तुलना में उच्च गति प्रदान करता है, लेकिन कवरेज क्षेत्र और सिग्नल के प्रवेश के मामले में इसकी सीमाएँ हैं।
      • उच्च बैंड स्पेक्ट्रम: इसमें तीनों बैंडों की उच्चतम गति है, लेकिन इसमें बेहद सीमित कवरेज और सिग्नल इनपुट क्षमता है।
        • 5G के हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में इंटरनेट की गति का परीक्षण 20 Gbps (गीगाबिट प्रति सेकंड) के रूप में किया गया है, जबकि अधिकांश मामलों में 4G में अधिकतम इंटरनेट डेटा गति 1 Gbps दर्ज की गई है।

Wave-band-in-5G

  • मिलीमीटर वेव-बैंड:
    • परिचय:
      • यह रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम का एक विशेष भाग है जो 24 गीगाहर्ट्ज़ और 100 गीगाहर्ट्ज़ के बीच होता है।
      • जैसा कि नाम से पता चलता है इस स्पेक्ट्रम में एक छोटी तरंग दैर्ध्य है और यह अधिक गति एवं कम विलंबता प्रदान करने के लिये उपयुक्त है। यह बदले में डेटा ट्रांसफर को कुशल और निर्बाध बनाता है क्योंकि वर्तमान उपलब्ध नेटवर्क केवल कम आवृत्ति बैंडविथ पर ही बेहतर तरीके से कार्य करते हैं।
    • महत्त्व:
      • 5G सेवाओं को कम आवृत्ति बैंड का उपयोग करके तैनात किया जा सकता है। ये अधिक दूरी तय कर सकती हैं और शहरी वातावरण में भी कुशलता से काम करने के लिये सिद्ध होते हैं, जहाँ हस्तक्षेप की संभावना होती है।
      • लेकिन जब डेटा गति की बात आती है तो ये बैंड वास्तविक 5G अनुभव के लिये आवश्यक चरम क्षमता को छूने में विफल होते हैं। ऐसे में mmWave मोबाइल सेवा प्रदाताओं के लिये सर्वोत्कृष्ट है।
    • उपग्रह उद्योग पर प्रभाव:
      • इंटरनेट मोटे तौर पर फाइबर-ऑप्टिक आधारित ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी या मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से उपयोगकर्ताओं को प्रदान किया गया है। हाल ही में इंटरनेट विक्रेताओं का एक और वर्ग दिखाई दे रहा है। ये उपग्रह आधारित संचार सेवा प्रदाता हैं।
      • यह खंड शहरी और ग्रामीण दोनों उपयोगकर्त्ताओं को ब्रॉडबैंड प्रदान करने के लिये लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) उपग्रहों का उपयोग करता है। उनकी सेवा का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी के लिये भी किया जा सकता है।
      • 23.6-24 गीगाहर्ट्ज़ पर मौसम उपग्रहों के लिये उपयोग किये जाने वाले निष्क्रिय उपग्रह बैंड में आउट ऑफ बैंड उत्सर्जन के कारण mmWave विवाद का विषय रहा था।
        • आउट ऑफ बैंड उत्सर्जन आवश्यक बैंडविड्थ के ठीक बाहर आवृत्ति या आवृत्तियों पर उत्सर्जन है जो मॉड्यूलेशन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप होता है।
        • सूचना के संगत संचरण को प्रभावित किये बिना ‘आउट ऑफ बैंड’ उत्सर्जन के स्तर को कम नहीं किया जा सकता है
  • उद्योग द्वारा उठाई गई चिंताएँ::
    • आईटीयू मानदंडों के खिलाफ: 
      • SIA ने नियामक से 5G नीलामी में mmWave स्पेक्ट्रम को शामिल किये जाने को सीमित करने का आग्रह किया क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा लिये गए निर्णय के अनुसार, उपग्रह-आधारित ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिये 27.5-31 GHz और 17.7-21.2 GHz बैंड को संरक्षित किया गया है।
      • उद्योग निकाय ने यूरोप के "5G रोडमैप" की ओर इशारा किया जो उपग्रह-आधारित ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिये इन बैंडों को रखने के ITU के निर्णय पर बनाया गया है।
    • लाभ से इनकार: 
      • इसने यह भी नोट किया कि आगामी 5G नीलामी में अत्यधिक स्पेक्ट्रम संसाधनों की पेशकश के परिणामस्वरूप भारतीय नागरिकों को उच्च-मांग, उन्नत उपग्रह ब्रॉडबैंड सेवाओं के लाभों से वंचित किया जाएगा।
    • अर्थव्यवस्था को नुकसान:
      • इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2030 तक भारतीय अर्थव्यवस्था को 184.6 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक का भारी नुकसान होगा, साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और रोजगार सृजन लाभों का नुकसान होगा।
  • SIA’s के सुझाव:
    • सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन-इंडिया ने इस बात को भी इंगित किया  है कि 3.3-3.67 GHz बैंड में 330 MHz स्पेक्ट्रम प्रतिस्पर्द्धाी  नीलामी सुनिश्चित करते हुए भारत की मिड बैंड 5G ज़रूरतों को पूरा करने हेतु पर्याप्त है।
    • उद्योग निकाय ने इस बात पर बल दिया है कि अतिरिक्त स्पेक्ट्रम प्रदान करने से उपग्रह-आधारित सेवा प्रदाताओं की कीमत पर स्थलीय सुविधा द्वारा बिना बिके या इससे भी खराब, कम उपयोग किये जाने वाले बैंड के नकारात्मक जोखिम पैदा हो सकते हैं। एमएमवेव बैंड का आवंटन उपग्रह संचार उद्योग के लिये महत्त्वपूर्ण है जिसे यह सुनिश्चित करने के लिये एक मज़बूत नियामक समर्थन की आवश्यकता है कि 5G का संचालन उनके मौजूदा संचालन में हस्तक्षेप नहीं करेगा।

स्रोत: द हिंदू 

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2