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जैव विविधता और पर्यावरण

दक्षिण भारत में तितलियों का प्रवास

  • 31 Aug 2020
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

तितलियों का प्रवास, तितली की प्रजातियाँ

मेन्स के लिये:

दक्षिण भारत में तितलियों का प्रवास

चर्चा में क्यों?

दक्षिण भारत में पूर्वी घाट की पहाड़ियों से पश्चिमी घाट की ओर तितलियों का वार्षिक प्रवास देखने को मिलता है, परंतु इस वर्ष का प्रवास निर्धारित समय से पूर्व देखने को मिला है।

प्रमुख बिंदु:

  • तितलियों में अक्तूबर-नवंबर में होने वाला प्रवास इस बार तय समय से पूर्व जुलाई, अगस्त में देखने को मिला है।
  • वर्षा प्रतिरूप में बदलाव, अच्छी धूप के दिनों की संख्या में वृद्धि, फीडिंग ग्राउंड ( भोजन के अनुकूल क्षेत्र), तितलियों की संख्या में प्रस्फोट जैसे कारकों को समय पूर्व तितली प्रवास के कारणों के रूप में माना जा रहा है।  

दक्षिण भारत में तितलियों का प्रवास:

  • आमतौर पर तितलियों में प्रवास के दो प्रारूप देखने को मिलते हैं:

Pre-monsoon

प्रथम (मैदानों से घाटों की ओर):

  • दक्षिण भारत में इस प्रकार का प्रवास उत्तर-पूर्व मानसून की शुरुआत के साथ अक्तूबर-नवंबर में देखने को मिलता है।
  • इसे उत्तर-मानसून प्रवास के रूप में भी जाना जाता है।   

द्वितीय (घाटों से मैदानों की ओर):

  • इस प्रकार का प्रवास दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन से ठीक पहले, अप्रैल-जून में देखने को मिलता है।
  • इस समय के प्रवास का तितलियों के प्रजनन के लिये बहुत महत्त्व है।

तितली प्रवास मार्ग:

  • पूर्वी घाट की पहाड़ियों जिसमें शेवारॉय, पचमलाई, कोल्ली, कलवारायण शामिल हैं, इन प्रवासी तितलियों के प्रवास का मूल स्थान है।
  • इन तितलियों का प्रवास पूर्वी घाट से नीलगिरि, अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व और पालनी पहाड़ियों की ओर देखने को मिला है। 
  • एक अन्य तितली-प्रवास मार्ग कोयंबटूर ज़िले (तमिलनाडु) में पश्चिमी घाट की पहाड़ियों के समानांतर देखने को मिला है।

Eastern-Ghat

प्रवास में शामिल तितली की प्रजातियाँ:

  • प्रवास मुख्यत: दूधिया तितली (Milkweed butterflies) से संबंधित चार प्रजातियों में देखने को मिलता हैं:
    • डार्क ब्लू टाइगर (Dark Blue Tiger)  
    • ब्लू टाइगर (Blue Tiger)
    • कॉमन क्रो (Common Crow) 
    • डबल-ब्रांडेड (Double-branded) (जिसे सामान्यत: टाइगर और क्रो के रूप में जाना जाता है)।
  • इन तितलियों के अलावा लाइम स्वोल्टेल, लेमन पैंसी, कॉमन लेपर्ड, ब्लू पैंसी, कॉमन इमिग्रेंट और लेमन इमिग्रेंट जैसी प्रजातियाँ भी प्रवास में शामिल हैं, लेकिन उनकी संख्या बहुत कम होती है। 

निष्कर्ष:

  • दक्षिण भारत के अनेक क्षेत्रों में तितलियों में समय पूर्व प्रवास करने के संकेत मिले हैं। इस बात की पुष्टि करने के लिये अक्तूबर-नवंबर में होने वाले प्रवास का इंतज़ार करना होगा, क्योंकि इसी समय तितलियों में वास्तविक प्रवास देखने को मिलता है। 

स्रोत: द हिंदू

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