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भारतीय अर्थव्यवस्था

ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक प्रक्रिया का पुनर्जीवन

  • 18 Sep 2020
  • 10 min read

प्रिलिम्स के  लिये

‘मिट्टी के बर्तन बनाने का काम’, ‘मधुमक्खी पालन गतिविधि’ योजना 

मेन्स के लिये

मिट्टी के बर्तन निर्माण कला विकसित करने के उपाय, मधुमक्खी पालन योजना में किये गए उपाय 

चर्चा में क्यों? 

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME) ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे निचले स्तर पर औद्योगिक प्रक्रिया को पुनर्जीवित करने के लिये प्रयासरत है। कुछ समय पूर्व MSME मंत्रालय ने अगरबत्ती निर्माण में रुचि रखने वाले कारीगरों के लिये आर्थिक सहायता में वृद्धि कर इसे दोगुना करने की घोषणा की थी। इसी क्रम में मंत्रालय ने दो और योजनाओं- ‘मिट्टी के बर्तन बनाने का काम (Pottery Activity)’ और 'मधुमक्खी पालन गतिविधि' के संदर्भ में दिशा निर्देश जारी किये हैं। 

प्रमुख बिंदु:

मिट्टी के बर्तन निर्माण 

मिट्टी के बर्तन निर्माण कार्य के लिये सरकार चॉक, क्ले ब्लेंजर और ग्रेनुलेटर जैसे उपकरणों की सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा स्वयं सहायता समूहों (पारंपरिक तथा गैर-पारंपरिक बर्तन कारीगर) के लिये व्हील पॉटरी, प्रेस पॉटरी और जिगर जॉली पॉटरी निर्माण के लिये प्रशिक्षण की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।

उद्देश्य

  • उत्पादन में वृद्धि करने के लिये मिट्टी के बर्तनों के कारीगरों के तकनीकी ज्ञान में वृद्धि करना और कम लागत पर नवीन उत्पादों का विकास करना।
  • प्रशिक्षण और आधुनिक/स्वचालित उपकरणों के माध्यम से मिट्टी के बर्तनों के कारीगरों की आय में वृद्धि, बर्तनों के नवीन डिज़ाइन तैयार करने तथा मिट्टी के सजावटी उत्पाद बनाने के लिये स्वयं सहायता समूहों के कारीगरों को कौशल विकास की सुविधा प्रदान करना।
  • प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन योजना (Prime Ministers Employment Generation Programme-PMEGP) के अंतर्गत इकाई स्थापित करने के लिये पारंपरिक रूप से मिट्टी के बर्तन निर्माण करने वाले कारीगरों को प्रोत्साहित करना। 
  • निर्यात और बड़ी खरीदार कंपनियों के साथ संबंध स्थापित करके आवश्यक बाज़ार संपर्क विकसित करने के साथ ही देश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मिट्टी के बर्तन बनाने के लिये नए उत्पाद और नए तरह के कच्चे माल की व्यवस्था करना।  
  • मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों को शीशे के बर्तन बनाने में भी दक्षता प्रदान करना और मास्टर प्रशिक्षक के रूप में काम करने की इच्छा रखने वाले बर्तन निर्माण के कुशल कारीगरों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाना। 

 कला विकसित करने के लिये उपाय

  • मिट्टी के बर्तन निर्माण में शामिल स्वयं सहायता समूहों के कारीगरों के लिये बगीचों में रखे  जाने वाले गमले, खाना पकाने वाले बर्तन, कुल्हड़, पानी की बोतलें, सजावटी उत्पाद जैसे उत्पादों पर केंद्रित कौशल विकास और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाना।
  • नई योजना का मुख्य बल उत्पाद की मात्रात्मक और गुणात्मक वृद्धि करने तथा उत्पादन की लागत को कम करने के लिये बर्तनों के कारीगरों की तकनीकी दक्षता तथा उनके द्वारा स्थापित भट्टियों की क्षमता में वृद्धि करने पर है।
  • इस योजना से मिट्टी के बर्तनों के कुल 6,075 पारंपरिक और गैर-पारंपरिक कारीगर/ग्रामीण गैर-नियोजित युवा/प्रवासी मज़दूर लाभान्वित होंगे।
  • MGIRI, वर्धा; CGCRI, खुर्जा; VNIT, नागपुर और उपयुक्त आईआईटी/एनआईटी/एनआईएफटी आदि के मिलकर साथ 6,075 कारीगरों की मदद तथा तथा उत्पाद विकास, अग्रिम कौशल कार्यक्रम और उत्पादों के गुणवत्ता मानकीकरण पर वर्ष 2020-21 के लिये वित्तीय सहायता के रूप में  19.50 करोड़ रुपए  की राशि खर्च की जाएगी।
  • मंत्रालय की स्फूर्ति (Scheme of Fund for Regeneration of Traditional Industries-SFURTI)  योजना के अंतर्गत टेराकोटा और लाल मिट्टी के बर्तनों के निर्मांण करने, पॉटरी से क्रॉकरी बनाने की क्षमता विकसित करने तथा टाइल सहित अन्य नवीन मूल्यवर्द्धित उत्पादों के निर्माण के लिये क्लस्टर्स विकसित किये जाएंगे। इसके लिये 50 करोड़ रूपए का अतिरिक्त प्रावधान किया गया है।

मधुमक्खी पालन गतिविधि

‘मधुमक्खी पालन गतिविधि'  योजना के अंतर्गत सरकार ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण रोज़गार योजना’ के तहत मधुमक्खी के बक्से, टूल किट आदि की सहायता प्रदान करेगी। लाभार्थियों को निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार 5 दिनों का मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण भी विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों/राज्य मधुमक्खी पालन विस्तार केंद्रों/मास्टर ट्रेनरों के माध्यम से प्रदान किया जाएगा।

उद्देश्य

  • मधुमक्खी पालकों/किसानों के लिये स्थायी रोज़गार पैदा कर मधुमक्खी पालकों/किसानों के लिये पूरक आय प्रदान करना।
  • शहद और शहद से बने उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा करना तथा कारीगरों को मधुमक्खी पालन एवं प्रबंधन के वैज्ञानिक तरीके अपनाने में सहायता करना।
  • मधुमक्खी पालन में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करना और मधुमक्खी पालन गतिविधि में परागण के लाभों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करना। 
  • मंत्रालय के अनुसार,  इस योजना के अंतर्गत अतिरिक्त आय के स्रोत सृजित करने के अलावा, इसका अंतिम उद्देश्य देश को इन उत्पादों के संदर्भ में आत्मनिर्भर बनाना है।

मधुमक्खी पालन योजना में किये गए उपाय 

  • कारीगरों की आय में वृद्धि करने के उदेश्य से प्रस्तावित शहद उत्पादों के लिये अतिरिक्त मूल्य की व्यवस्था करना और मधुमक्खी पालन तथा प्रबंधन के लिये वैज्ञानिक उपायों को अपनाने की सुविधा प्रदान करना।
  • शहद आधारित उत्पादों की निर्यात वृद्धि में सहायता करना।
  • वर्ष 2020-21 के दौरान योजना में प्रस्तावित तौर पर जुड़ने वाले 2050 मधुमक्खी पालक/उद्यमी/किसान/ बेरोज़गार युवा/आदिवासी इन परियोजनाओं/कार्यक्रमों से लाभान्वित होंगे। 
  • इसके लिये 2050 कारीगरों (स्वयं सहायता समूहों के 1,250 व्यक्ति और 800 प्रवासी कामगारों) को सहायता देने के लिये वर्ष 2020-21 के दौरान 13 करोड़ रुपये के वित्तीय समर्थन का प्रावधान किया गया है।
  • साथ ही CSIR/आईआईटी या अन्य शीर्ष स्तर के संस्थानों के साथ मिलकर सेंटर फॉर एक्सीलेंस (Centre of Excellence-CoE) शहद आधारित नए मूल्यवर्द्धित उत्पादों का विकास करेगा।
  • मंत्रालय की ‘SFURTI’ योजना’ के अंतर्गत हनी क्लस्टर्स के विकास के लिये अतिरिक्त 50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

निष्कर्ष  

इन दोनों कार्यक्रमों से देश में खपत की जाने वाली इन वस्तुओं/सामानों की घरेलू स्तर पर ही आपूर्ति होने से ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के क्रम में सहायता मिलेगी। प्रशिक्षण, कच्चे माल की आपूर्ति, विपणन और वित्तीय समर्थन के माध्यम से कारीगरों को सहयोग देने से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कारीगर, स्वयं सहायता समूह और ‘प्रवासी कामगार’ लाभान्वित होंगे। ये कार्यक्रम स्थानीय स्तर पर रोज़गार के अवसरों में वृद्धि के अलावा उत्पादों के ‘निर्यात बाज़ार’ विकास में भी सहायक  सिद्ध होंगे।

स्रोत: पीआईबी

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