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गृह मंत्रालय ने प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज के इस्तेमाल के विरुद्ध परामर्श जारी किया

  • 14 Aug 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

स्वतंत्रता दिवस से पहले गृह मंत्रालय ने प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज के इस्तेमाल के विरुद्ध परामर्श जारी किया है।

प्रमुख बिंदु

  • गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रशासनों के मुख्य सचिवों/प्रशासकों तथा भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों के सचिवों के लिये यह परामर्श जारी किया है।
  • मंत्रालय ने भारत की ध्वज संहिता, 2002 तथा राष्ट्रीय सम्मान के प्रति अपमान रोकथाम विधेयक, 1971 का कठोरता से अनुपालन करने की सलाह दी है।
  • गृह मंत्रालय के परामर्श में इस बात को दोहराया गया है कि राष्ट्रीय ध्वज हमारे देश के लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है इसलिये इसे सम्मान का स्थान मिलना चाहिये।
  • राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सार्वभौमिक आदरभाव और सम्मान तथा विश्वास प्रदर्शित होना चाहिये।
  • हालाँकि, फिर भी लोगों तथा संगठनों/एजेंसियों में राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के मामले में कानून, व्यवहार तथा परंपरा के प्रति जागरूकता में कमी देखी जाती है।
  • परामर्श में यह निर्देश दिया गया है कि इस संबंध में व्यापक जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिये और इलेक्ट्रॉनिक तथा प्रिंट मीडिया द्वारा इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिये।
  • गृह मंत्रालय ने इस बात का संज्ञान लिया है कि महत्त्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों के अवसर पर कागज के बने राष्ट्रीय ध्वज के स्थान पर प्लास्टिक से बने राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किया जाता है।
  • प्लास्टिक से बने ध्वज कागज़ से बने ध्वज की तरह स्वाभाविक तरीके से नष्ट नहीं होते, इसलिये ध्वज की गरिमा को देखते हुए प्लास्टिक से बने ध्वज एक व्यावहारिक समस्या है।

भारतीय ध्वज संहिता, 2002

  • पहली बार वर्ष 1951 में राष्ट्रध्वज के लिये कुछ नियम तथा वर्ष 1968 में इसके निर्माण के लिये मानक तय किये गए।
  • 26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया और स्वतंत्रता के कई वर्ष बाद भारत के नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्टरी में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के राष्ट्रध्वज फहराने की अनुमति मिल गई।
  • अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को सम्मानपूर्वक कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते हैं, बशर्ते वे ध्वज की संहिता का कठोरतापूर्वक पालन करें और इसके सम्मान में कोई कमी न आने दें।
  • भारतीय ध्वज संहिता, 2002 को तीन भागों में बाँटा गया है:
  1. पहले भाग में राष्ट्रीय ध्वज का सामान्य विवरण है।
  2. दूसरे भाग में जनता, निजी संगठनों, शैक्षिक संस्थानों आदि के सदस्यों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन के विषय में बताया गया है।
  3. संहिता का तीसरा भाग केंद्र और राज्य सरकारों तथा उनके संगठनों और अभिकरणों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के विषय में जानकारी देता है।
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