लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

शासन व्यवस्था

‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना

  • 26 May 2020
  • 3 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मेरा पानी मेरी विरासत योजना, किसान बचाओ-खेती बचाओ अभियान 

मेन्स के लिये:

जल संरक्षण हेतु कृषि को नियंत्रित करने के प्रयास तथा संबद्ध समस्याएँ एवं उनका समाधान 

चर्चा में क्यों?

हरियाणा के किसानों द्वारा राज्य सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ (Mera Pani Meri Virasat) योजना के विरुद्ध ‘ट्रैक्टर मार्च’ निकाला गया। किसानों द्वारा इस विरोध प्रदर्शन को 'किसान बचाओ-खेती बचाओ' (Kisan Bachao-Kheti Bachao) अभियान नाम दिया गया है।

‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना

(Mera Pani Meri Virasat) Scheme

  • हरियाणा राज्य सरकार द्वारा जल संरक्षण के उद्देश्य से ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ (Mera Pani Meri Virasat) योजना की शुरुआत की गई है।
    • इस योजना के माध्यम से राज्य सरकार पानी की अधिक खपत वाले धान के स्थान पर ऐसी फसलों को प्रोत्साहित करेगी जिनके लिये कम पानी की आवश्यकता होती है। 
    • योजना के तहत, आगामी खरीफ सीजन के दौरान धान के अलावा अन्य वैकल्पिक फसलों की बुवाई करने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रति एकड़ 7,000 रुपए भी दिये प्रदान किये जाएंगे।

योजना में शामिल क्षेत्र:

  • इस योजना में रतिया, सीवन, गुहला, पिपली, शाहाबाद, बाबैन, इस्माइलाबाद और सिरसा सहित आठ ब्लॉक शामिल हैं। 
    • ये आठ ब्लॉक धान समृद्ध क्षेत्रों में शामिल है जहाँ भूजल स्तर की गहराई 40 मीटर से अधिक है।
  • वर्ष 2019 में इन आठ ब्लॉकों द्वारा कुल 2,06,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की खेती की गई थी।
  • वर्ष 2020 में सरकार का लक्ष्य इन ब्लॉकों के 50% धान क्षेत्र (1,03,000 हेक्टेयर) में धान को मक्का, कपास, बाजरा और दलहन सहित वैकल्पिक फसलों के साथ प्रतिस्थापित करना है। 

किसानों द्वारा योजना के विरोध के कारण:

  • विरोध प्रदर्शन करने वाले किसानों का मत है कि राज्य सरकार को यह तय करने का निर्णय किसानों पर छोड़ देना चाहिये कि वी अपने खेत में कौन-सी फसल फसल उगाएँ।
  • इसके अलावा किसानों का तर्क यह भी है कि मक्का जैसी वैकल्पिक फसल बोने के लिये ब्लॉक के अधिकांश हिस्सों की मिट्टी/मृदा और जलवायु अनुकूल स्थितियाँ विद्यमान नहीं है। 
  • इसके अलावा, सरकार द्वारा दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि भी पर्याप्त नहीं है। 

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2