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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

स्वास्थ्य सेवा अनुदान में मामूली वृद्धि

  • 02 Feb 2017
  • 3 min read

सन्दर्भ

वर्ष 2017-18 के आम बजट में स्वास्थ्य सेवा अनुदान में मामूली वृद्धि हुई है और इस मामूली वृद्धि के दम पर वर्ष 2017 तक कालाजार, वर्ष 2018 तक फाइलेरिया और वर्ष 2020 तक कुष्ठ तथा खसरा समाप्त करने का भारत सरकार का लक्ष्य अति-महत्त्वाकांक्षी साबित हो सकता है।वर्ष 2025 तक तपेदिक को भी समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है। हालाँकि विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वर्ष 2050 तक ही भारत तपेदिक से निजात पा सकता है।

क्यों अति महत्त्वाकांक्षी हैं ये लक्ष्य?

गौरतलब है कि आम बजट में अधिकांश आवंटन सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों के लिये किया गया है। अतः विशेषज्ञों का मानना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत उपरोक्त लक्ष्यों को हासिल करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में अवसरंचना निर्माण को प्रोत्साहन न मिलने को भी चिंताजनक बताया है।

आम बजट स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ

  • स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों के लिये बजटीय आवंटन को 38,343 करोड़ रुपए से बढाकर 47,352 करोड़ रुपए कर दिया गया है।झारखंड और गुजरात में दो नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। बजट प्रस्तावों में कहा गया है कि औषधियों की उचित मूल्यों पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये औषधि और सौन्दर्य प्रसाधन नियमावली में संशोधन किया जाएगा।
  • बजट में 1.5 लाख स्वास्थ्य उप-केन्द्रों को स्वास्थ्य और सेहत केन्द्रों में परिवर्तित करने का भी प्रस्ताव किया गया है। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में कहा है कि द्वितीयक और तृतीयक स्तरों की देखभाल को मज़बूत करने के लिये विशेषज्ञ डॉक्टरों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने की ज़रूरत है, इसलिये प्रति वर्ष 5,000 अतिरिक्त स्नातकोत्तर सीटें सृजित करने का निर्णय लिया गया है।
  • इसके अतिरिक्त बड़े जिला अस्पतालों में तथा चुनिंदा ईएसआई और नगर निगमों के अस्पतालों में डीएनबी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिये कदम उठाये जाएंगे।
  • गौरतलब है कि नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) के डीएनबी पाठ्यक्रम को एमडी और एमएस के बराबर ही मान्यता प्राप्त है। एनबीई अपने मानकों के आधार पर अस्पतालों का चयन करता है।
  • अस्पतालों में अनुभवी शिक्षकों की अनुशंसा के आधार पर ही डीएनबी के लिये सीटों का आवंटन होता है। एमडी-एमएस की तरह ही डीएनबी तीन वर्ष का पाठ्यक्रम है और एमबीबीएस करने के बाद यह कोर्स विशेषज्ञता प्राप्त करने हेतु किया जाता है।
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