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लॉकडाउन तथा मानसून पूर्वानुमान प्रणाली

  • 06 Apr 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

मानसून पूर्वानुमान प्रणाली, सांख्यिकीय मॉडल, गतिशील मॉडल, EPS, सुपर कंप्यूटर प्रत्यूष एवं मिहिर  

मेन्स के लिये:

भारतीय मानसून 

चर्चा में क्यों:

देश में लॉकडाउन के चलते नागरिक विमान उड्डयन पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण  ‘भारतीय मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department- IMD) की मानसून पूर्वानुमान प्रणाली प्रभावित हो सकती है।

मुख्य बिंदु:

  • विश्व की मौसम एजेंसियों द्वारा मौसम पूर्वानुमान के गतिशील मॉडल (Dynamical Model) में ऊपरी वायुमंडल के तापमान एवं हवा की गति मापन के आँकड़ों का उपयोग किया जाता है तथा इसके लिये उड्डयन आधारित विमान रिले डेटा (Aircraft Relay Data) का उपयोग किया जाता है।
  • मार्च माह के मध्य से भारत सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें प्रतिबंधित करना शुरू कर दिया था तथा 24 मार्च तक घरेलू हवाई यात्रा पर भी पूर्णतया रोक लगा दी गई। इससे विमान रिले डेटा की प्राप्ति में उत्पन्न समस्या के कारण इस वर्ष IMD अपने पारंपरिक सांख्यिकीय पूर्वानुमान प्रणाली (Statistical Forecast System) के आधार पर मौसम पूर्वानुमान जारी करेगा।

मानसून पूर्वानुमान के मॉडल:

  • सांख्यिकीय मॉडल (Statistical System)
    • IMD वर्ष 2010 तक केवल इसी मॉडल का उपयोग मौसम पूर्वानुमान जारी करने में करता था। 
    • इस मॉडल में उत्तरी अटलांटिक और उत्तरी प्रशांत के बीच समुद्र की सतह की तापमान प्रवणता, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में गर्म पानी की मात्रा, यूरेशियन बर्फ का आवरण जैसे मानसून के प्रदर्शन से जुड़े जलवायु मापदंडों को शामिल किया जाता था।
    • उपरोक्त मापदंडों के फरवरी और मार्च के आँकड़ों की सौ वर्ष से अधिक के वास्तविक वर्षा के आँकड़ों से तुलना करने के बाद (सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग करते हुए) किसी एक विशेष वर्ष के मानसून का पूर्वानुमान लगाया जाता था।
  • गतिशील मॉडल (Dynamical Model):
    • वर्ष 2015 से ही मानसून पूर्वानुमान हेतु एक गतिशील प्रणाली का परीक्षण शुरू किया गया। इस प्रणाली में कुछ निश्चित स्थानों की भूमि और समुद्र के तापमान, नमी, विभिन्न ऊँचाई पर वायु की गति जैसे मापदंडों के आधार पर मौसम का अनुमान लगाया जाता है। 
    • इस प्रणाली से प्राप्त आँकड़ों की गणना शक्तिशाली कंप्यूटरों के माध्यम से की जाती है। साथ ही मौसम के पूर्वानुमान में भौतिकी समीकरणों का भी प्रयोग किया जाता है।
  • एसेंबल प्रेडिक्शन सिस्टम (Ensemble Prediction Systems- EPS):
    • आगामी दस दिनों तक मौसम पूर्वानुमान करने के लिये IMD द्वारा EPS का उपयोग करता है अर्थात लघु अवधि के मौसम पूर्वानुमान में इसका बहुत महत्त्व है। 

मौसम पूर्वानुमान तथा सुपर कंप्यूटर:

  • प्रत्यूष:
    • वर्तमान में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM) पुणे में सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटर लगाया गया है जिसे प्रत्यूष कहा जाता है। इसकी गति 4.0 पेटाफ्लॉप्स है। 
  • मिहिर:
    • नेशनल सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्टिंग (National Centre for Medium Range Weather Forecasting- NCMRWF) में मिहिर नामक सुपर कंप्यूटर लगाया गया है, जिसकी गति 2.8 पेटाफ्लॉप्स है।

आगे की राह:

  • उड्डयन प्रणाली आधारित रिले डाटा तापमान में होने वाले त्वरित परिवर्तन तथा तड़ितझंझा की चेतावनी देने के लिये सहायक होते हैं। इन आँकड़ों की लंबे समय तक अनुपलब्धता मौसम की प्रवृत्ति तथा भविष्य के जलवायु पैटर्न की गणना को बेहतर तरीके से समझने की वैज्ञानिक क्षमता को नुकसान पहुँचा सकती है। अत: इन आँकड़ों की शीघ्र प्राप्ति की दिशा में कार्य कर गतिशील मौसम पूर्वानुमान की दिशा में कार्य करना चाहिये। 

स्रोत: द हिंदू

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