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शासन व्यवस्था

कृष्णा तथा गोदावरी नदी जल विवाद

  • 10 Jun 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारत की नदी प्रणालियाँ, कृष्णा नदी एवं गोदावरी नदी की भौगोलिक अवस्थिति

मेन्स के लिये:

भारत में विभिन्न अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘जल संसाधन विभाग’ (Department of Water Resources) ने कृष्णा तथा गोदावरी नदी प्रबंधन बोर्डों (Krishna and Godavari River Management Boards) के अध्यक्षों को महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में सिंचाई परियोजनाओं का विवरण एक माह में केंद्र सरकार को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • तेलंगाना और आंध्र प्रदेश द्वारा कृष्णा तथा गोदावरी नदियों के जल उपयोग को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने के बाद केंद्र सरकार ने इन नदियों के जल उपयोग का जायजा लेने का निर्णय लिया है।
  • इस कार्यवाही का मुख्य उद्देश्य यह जानना है कि क्या भविष्य में इन नदियों पर जल परियोजनाओं का निर्माण किया जाना चाहिये अथवा या नहीं।
  • कृष्णा और गोदावरी नदी पर अधिकतर बड़ी परियोजनाएँ महाराष्ट्र एवं कर्नाटक सरकार द्वारा बनाई जा गई है जबकि तेलंगाना ने भी इन नदियों पर कई लघु परियोजनाओं को शुरू किया हैं।
  • आंध्र प्रदेश में वर्तमान में किसी नवीन परियोजना पर कार्य नहीं किया जा रहा है यद्यपि राज्य में इन नदियों के जल का अधिकतम उपयोग करने के लिये पुरानी कई अधूरी परियोजनाओं पर तेज़ी से कार्य किया जा रहा है। 

विवाद समाधान के प्रयास:

  • कृष्णा नदी जल विवाद के समाधान हेतु अब तक 2 न्यायाधिकरणों का गठन किया जा चुका है जबकि गोदावरी नदी विवाद को सुलझाने के लिये एक न्यायाधिकरण का गठन किया गया था। 

कृष्णा नदी जल विवाद:

  • कृष्णा नदी जल विवाद के समाधान हेतु वर्ष 1969 में ‘कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण’ (Krishna Water Disputes Tribunal- KWDT) की स्थापना की गई थी।
    • KWDT ने कृष्णा नदी के 2060 हजार मिलियन घन फीट (Thousand Million Cubic Feet-TMC) जल में से महाराष्ट्र के लिये 560 TMC, कर्नाटक के लिये 700 TMC और आंध्र प्रदेश के लिये 800 TMC निर्धारित किया था।
  • वर्ष 2004 में दूसरे कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण की स्थापना की गई जिसने वर्ष 2010 में अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की। वर्ष 2010 में दिये गए निर्णय में अधिशेष जल का 81 TMC महाराष्ट्र को, 177 TMC कर्नाटक को तथा 190 TMC आंध्र प्रदेश के लिये आवंटित किया गया था।
  • जबकि आंध्र प्रदेश का मानना है कि संपूर्ण अधिशेष 448 TMC जल पर उसका अधिकार था। अत: आंध्र प्रदेश ने सर्वोच्च न्यायालय  में SLP दायर की गई। 

कृष्णा नदी तंत्र:

  • कृष्णा नदी पूर्व दिशा में बहने वाली दूसरी बड़ी (गोदावरी के बाद) प्रायद्वीपीय नदी है, जो सह्याद्रि में महाबलेश्वर के निकट से निकलती है।
  • इसकी कुल लंबाई 1401 किलोमीटर है।
  • कोयना, तुंगभद्रा और भीमा इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
  • इस नदी के कुल जलग्रहण क्षेत्र का 27% भाग महाराष्ट्र में 44% भाग कर्नाटक में और 29% भाग आंध्र प्रदेश (संयुक्त) में पड़ता है।

गोदावरी नदी जल विवाद:

  • ‘गोदावरी जल विवाद न्यायाधिकरण’ (Godavari Water Disputes Tribunal) का गठन अप्रैल, 1969 में किया गया था तथा न्यायाधिकरण ने जुलाई, 1980 में अपना निर्णय दिया।
  • गोदावरी नदी विवाद में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, मध्य प्रदेश और कर्नाटक राज्य शामिल थे। 

गोदावरी नदी:

  • गोदावरी प्रायद्वीपीय भाग का सबसे बड़ा नदी तंत्र है।
  • यह महाराष्ट्र में नासिक ज़िले से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
  •  इसकी सहायक नदियाँ महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों से गुजरती हैं। यह 1465 किलोमीटर लंबी नदी है।
  • इसके जलग्रहण क्षेत्र का 49% भाग महाराष्ट्र में 20% भाग मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में और शेष भाग आंध्रप्रदेश में पड़ता है।
  • पेनगंगा, इंद्रावती, प्राणहिता और मंजरा इसकी मुख्य सहायक नदियाँ हैं।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच नदी विवाद का कारण:

  • कृष्णा और गोदावरी तथा उनकी कुछ सहायक नदियाँ तेलंगाना तथा आंध्रप्रदेश से होकर बहती हैं। इन राज्यों द्वारा ‘नदी जल प्रबंधन बोर्ड’ तथा ‘केंद्रीय जल आयोग’ (Central Water Commission) की मंज़ूरी के बिना अनेक नवीन जल परियोजनाओं को शुरू किया  गया है।
  • उदाहरण के लिये आंध्र प्रदेश द्वारा कृष्णा नदी पर श्रीशैलम बांध की क्षमता में वृद्धि की गई है। इसके चलते तेलंगाना सरकार ने आंध्र प्रदेश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
  • इसके बाद आंध्र प्रदेश ने तेलंगाना की कृष्णा नदी पर पलामुरू-रंगारेड्डी  (Palamuru-Rangareddy) और दिंडी लिफ्ट सिंचाई परियोजनाओं (Dindi Lift Irrigation Schemes) तथा गोदावरी नदी पर प्रस्तावित बांधों यथा कालेश्वरम, तुपकुलगुडेम की शिकायत की है।
  • आंध्र प्रदेश ने सर्वोच्च न्यायालय में एक ‘विशेष अनुमति याचिका’ (Special Leave Petition- SLP) भी दायर की है, जो अभी लंबित है।

केंद्र सरकार के निर्णय का महत्त्व:

  • प्रत्येक राज्य में चलाई जा रही परियोजनाओं के आँकड़ों के आधार पर यह विश्लेषण किया जा सकेगा कि कौन-से राज्यों द्वारा न्यायाधिकरण के निर्णय का उल्लंघन किया जा रहा है। 
  • आंध्र प्रदेश द्वारा सर्वोच्च न्यायालय मे दायर की गई SLP में यह की मांग की गई थी कि कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण में तेलंगाना को एक अन्य पक्ष के रूप में शामिल किया जाए और कृष्णा नदी के जल को तीन के बजाय चार राज्यों में पुनः आवंटित किया जाए। अत: सरकार इस मांग पर भी पुनर्विचार कर सकती है। 

स्रोत: द हिंदू

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