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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

किम्‍बर्ले प्रक्रिया की अंतर-सत्रीय बैठक 2019

  • 15 Jun 2019
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

किम्बर्ले प्रक्रिया (Kimberley Process) की अंतर-सत्रीय बैठक का आयोजन 17 से 21 जून, 2019 के बीच मुंबई में किया जा रहा है।

  • इस बैठक के दौरान में किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना (Kimberley Process Certification Scheme- KPCS) की विभिन्‍न समितियों और कार्य समूहों की बैठकों के अलावा हीरा शब्‍दावली और पारंपरिक खनन (Diamond Terminology and Artisanal Mining) के लिये ‘छोटे कदम-बड़े परिणाम’ (Small Steps to Larger Outcomes) पर विशेष सत्र भी आयोजित किया जाना है।
  • इस पाँच दिवसीय बैठक में भारत तथा सदस्‍य देशों के करीब 300 प्रतिनिधियों के साथ-साथ उद्योग जगत और नागरिक समाज के प्रतिनि‍धि भी हिस्‍सा लेंगे।

भारत और किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना (KPCS)

  • भारत, किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना के संस्‍थापक सदस्‍यों में से एक है।
  • वर्ष 2019 में भारत KPCS की अध्‍यक्षता कर रहा है। रूसी संघ को KPCS का उपाध्‍यक्ष बनाया गया है।
  • इससे पहले भारत ने 2008 में KPCS की अध्‍यक्षता की थी।

किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना (KPCS)

  • वर्तमान में KPCS के 55 सदस्‍य 82 देशों का प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं। इसमें यूरोपीय संघ के 28 सदस्‍य देश भी शामिल हैं ।
  • किम्‍बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना की अध्यक्षता की ज़िम्मेदारी सदस्‍य देशों को बारी-बारी से सौंपी जाती है।
  • इसका उपाध्‍यक्ष आमतौर पर किम्बर्ले प्रक्रिया प्‍लेनेरी (Kimberley Process Plannery) द्वारा प्रत्येक वर्ष चुना जाता है, जिसे अगले वर्ष अध्‍यक्ष बना दिया जाता है।
  • वर्ष 2003 के बाद से भारत सक्रिय रूप से KPCS की प्रक्रियाओं में भाग ले रहा है और वह इसके लगभग सभी कार्यकारी समूहों का सदस्य है।
  • देश के वाणिज्य विभाग को KPCS का नोडल विभाग बनाया गया है तथा रत्‍न और आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद (Gem & Jewellery Export Promotion Council- GJEPC) को भारत में KPCS के आयात और निर्यात प्राधिकरण के रूप में नामित किया गया है।
  • रत्‍न और आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद को किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणपत्र जारी करने का काम दिया गया है, साथ ही यह देश में प्राप्‍त किये जाने वाले किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणपत्रों का संरक्षक भी है।

उद्देश्य

  • किम्‍बर्ले प्रक्रिया (Kimberley Process) हीरे के दुरुपयोग को रोकने के लिये कई देशों, उद्योगों और नागरिक समाजों की संयुक्त पहल है।
  • यह ऐसे हीरों के व्‍यापार पर अंकुश लगाने की प्रक्रिया है जिनका इस्‍तेमाल विद्रोही गुटों द्वारा चुनी हुई सरकारों के खिलाफ संघर्ष एवं युद्ध के वित्तपोषण के लिये किया जाता है।
  • हालाँकि इस किस्‍म के हीरों की संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अलग से व्‍याख्‍या की गई है।

किम्बर्ले प्रक्रिया प्रमाणन योजना (KPCS) की कार्य प्रणाली

  • KPCS के मूल नियमों के आधार पर किम्‍बर्ले प्रक्रिया को विभिन्न कार्यसमूहों और सीमितियों द्वारा संचालित किया जाता है जो निम्नलिखित हैं:
    • निगरानी के लिये कार्यसमूह (Working Group on Monitoring- WGM)- इस कार्यसमूह को भागीदार देशों में योजना के क्रियान्‍वयन की निगरानी करने का भार सौंपा गया है। इसकी समीक्षा के उपरांत ही कार्यसमूह अपने सुझाव देता है।
    • आँकड़े इकट्ठा करने वाला कार्यसमूह (Working Group on Statistics- WGS)- यह कार्यसमूह सदस्‍य देशों में कच्‍चे हीरों के उत्‍पादन, आयात और निर्यात के आँकड़े एकत्र करता है।
    • हीरा विशेषज्ञों का कार्यसमूह (Working Group on Diamond Experts- WGDE)- इसका काम कच्‍चे हीरों के संबंध में विश्‍व सीमा शुल्‍क संगठनों को एक सर्वसम्‍मत कूटनीतिक प्रणाली विकसित करने में आने वाली तकनीकी बाधाओं के संबंध में सुझाव देना तथा हीरों के मूल्‍यांकन हेतु एक सरल पद्धति विकसित करने में मदद करना है।
    • हीरों के घरेलू उत्‍पादन पर कार्यसमूह (Working Group on Domestic Production On Diamond- WGDPD)- यह कार्यसमूह घरेलू स्‍तर पर हीरों के उत्‍पादन और व्‍यापार पर प्रभावी नियंत्रण रखता है।
    • भागीदारी और अध्‍यक्षता पर समिति (Committee on Participation and Chairmanship- CPC)- यह समिति किम्‍बर्ले प्रक्रिया के अध्‍यक्ष को नए सदस्‍य देशों को शामिल करने तथा मौजूदा सदस्‍य देशों द्वारा प्रक्रिया की शर्तों का अनुपालन नहीं किये जाने संबंधी मामलों में मदद करता है।
    • नियम और प्रक्रियाओं की समिति (Committee on Rules and Procedure- CRP)- यह समिति किम्‍बर्ले प्रक्रिया के नियम और तौर-तरीके तय करती है, साथ ही इसमें समय-समय पर बदलाव भी करती है।

समीक्षा और सुधारों पर तदर्थ समिति

(Ad Hoc Committee on Review and Reform- AHCRR)

  • इस समिति का गठन ऑस्‍ट्रेलिया के ब्रिस्‍बेन में वर्ष 2017 में KPCS के प्‍लेनेरी सत्र में किया गया था। जिसकी अध्‍यक्षता भारत ने की थी।
  • हालाँकि भारत ने वर्ष 2019 में केपीसीएस की बैठक की अध्‍यक्षता करने के लिये बेल्जियम में वर्ष 2018 में आयोजित KPCS के प्‍लेनेरी सत्र में इस तदर्थ समिति की अध्‍यक्षता छोड़ दी।

KPCS के तहत कच्‍चे हीरों का व्‍यापार

  • KPCS की योजना के तहत अंतर्राष्‍ट्रीय सीमाओं के ज़रिये कच्‍चे हीरों का आयात और निर्यात सीलबंद कंटेनरों में किम्‍बर्ले प्रक्रिया प्रमाणपत्र के साथ किया जाना है।
  • हीरों की कोई भी ऐसी खेप केवल KPCS के भागीदार देशों को ही भेजी जा सकती है। साथ ही बिना प्रमाणपत्र के कच्‍चे हीरों की कोई भी खेप KPCS के सदस्‍य देशों को नहीं भेजी जा सकती।

पृष्ठभूमि

  • वर्ष 1998 में अफ्रीका में (सिएरा लियोन, अंगोला, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्‍य और लीबिया) कुछ विद्रो‍ही गुटों ने अन्‍य वस्‍तुओं के अलावा इस किस्‍म के हीरों का इस्‍तेमाल चुनी हुई सरकारों के खिलाफ अपने संघर्ष के वित्‍तपोषण के लिये किया था।
  • इस तरह के हीरों के व्‍यापार पर रोक लगाने के लिये विश्‍व के हीरा उद्योग, संयुक्‍त राष्‍ट्र, कई देशों की सरकारों और गैर-सरकारी संगठनों ने मिलकर नवंबर, 2002 में स्विट्ज़रलैंड में किम्‍बर्ले प्रक्रिया उपायों का मसौदा तैयार किया।
  • अब तक 50 से ज्‍यादा देश इसको मंज़ूरी दे चुके हैं।
  • KPCS 1 जनवरी, 2003 से प्रभावी है। इसके तहत गलत कार्यों के लिये हीरों के व्‍यापार को रोकने हेतु एक प्रभावी प्रणाली बनाई गई है।

स्रोत- PIB

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