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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वर्ष 2020 तक भारत में 50% मलेरिया उन्मूलन हेतु प्रयास

  • 02 Dec 2017
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रदत्त जानकरी के अनुसार, भारत में मलेरिया के मामलों में एक तिहाई की कमी दर्ज़ की गई है। यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार द्वारा आरंभ की गई नीतिगत पहलों तथा अथक प्रयासों का परिणाम है। प्रौद्योगिकी के नवीनतम नवाचार तथा विज्ञान के अनुप्रयोगों से देश के दूरस्‍थ क्षेत्रों तक स्‍वास्‍थ्‍य और विकास की पहुँच सुनिश्चित करने हेतु इस दिशा में बहुत अधिक गंभीरता से प्रयास किये जा रहे हैं। 

‘दक्षिणपूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया उन्मूलन’ बैठक का आयोजन

  • हाल ही में मलेरिया पर नियंत्रण और उन्‍मूलन के लिये प्रयास बढ़ाने के संयुक्त राष्ट्र आम सभा के प्रस्‍ताव के अनुरूप ‘दक्षिणपूर्व एशिया क्षेत्र में मलेरिया उन्मूलन’ पर एक तीन-दिवसीय मंत्रिस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया।
  • इस बैठक में मलेरिया के विरुद्ध एशिया प्रशांत नेताओं का गठबंधन, एशियाई विकास बैंक के प्रतिनिधि, एड्स, टी.बी. एवं मलेरिया के मुकाबले के लिये गठित वैश्विक कोष, मलेरिया उन्‍मूलन के लिये रणनीतिक सलाहकार समूह के सदस्यों और विभिन्‍न विकास साझेदारों ने भाग लिया।

डब्ल्यू.एच.ओ. की एक रिपोर्ट

  • हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन (World Health Organisation - WHO) द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2016 में भारत में मलेरिया के 6% मामले (वैश्विक स्तर पर) और 7% मौतें दर्ज़ की गई। 
  • वस्तुत: ये आँकड़े पिछले वर्ष के समान ही हैं। डब्लू.एच.ओ. द्वारा प्रदत्त आँकड़ों से यह जानकारी प्राप्त होती है कि 2020 तक भारत में मलेरिया के मामलों में मात्र 40% की कमी आने की संभावना है। इसके विपरीत मालदीव, श्रीलंका और किर्गिस्तान जैसे देशों द्वारा स्वयं को क्रमशः 2015 और 2016 में मलेरिया मुक्त घोषित किया जा चुका है। 
  • वैश्विक स्तर पर वर्ष 2016 में मलेरिया से अनुमानतः 446,000 मौतें हुई थी। इनमें से तकरीबन 80% मौतें भारत सहित 14 उप-सहाराई अफ्रीकी देशों में दर्ज़ की गईं।

इसका निवारण न कर पाने का प्रमुख कारण क्या है?

  • अपने पड़ोसी देशों की भाँति भारत में अभी तक मलेरिया को नष्ट न कर पाने का प्रमुख कारण एक कमज़ोर निगरानी प्रणाली है। उदाहरण के तौर पर, अपनी कमज़ोर निगरानी प्रणाली के कारण भारत और नाइज़ीरिया (दो ऐसे देश जिनमें वैश्विक स्तर पर मलेरिया के सबसे ज़्यादा मामले मौजूद हैं) अभी तक क्रमशः केवल 8% और 16% मामलों का ही पता लगा सके हैं।
  • इसके अलावा, भारत में प्लाज्मोडियम विवैक्स (Plasmodium Vivax) के 51% मामले जो पी.फाल्सीपेरम (P. Falciparum) के समरूप ही होता है) पाए गए।  
  • इसे क्लोरोक्वाइन (Chloroquine) के प्रतिरोध के रूप में स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। यह पी.विवैक्स के लिये पहली पंक्ति का उपचार है। 
  • विदित हो कि काफी लंबे वक़्त तक भारत में पी. फाल्सीपेरम (P. Falciparum) का प्रकोप रहा है > हालाँकि, वर्तमान में इसकी हिस्सेदारी में कमी आई है, तथापि अन्य परजीवियों के कारण होने वाले मलेरिया के मामलों में मामूली वृद्धि देखी गई है।

मलेरिया के मामलों में कमी के संबंध में

  • डब्ल्यू.एच.ओ. के अनुसार, वर्ष 2020 तक भूटान, नेपाल, थाईलैंड, बांग्लादेश, म्याँमार और इंडोनेशिया में 40% से अधिक मलेरिया की घटनाओं में कमी आने की संभावना है। 
  • भारत में चूँकि प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर काफी कम धन व्यय किया जाता है, ऐसे में यहाँ कुछ अग्रगामी कीटनाशकों के संबंध में जोखिम और प्रतिरोध में केवल 20% से 40% की कमी आने की संभावना है।
  • ध्यातव्य है कि वर्ष 2016 में वैश्विक स्तर पर स्थानिक देशों और उनके अंतरराष्ट्रीय भागीदारों देशों की सरकारों द्वारा मलेरिया नियंत्रण एवं उन्मूलन के प्रयासों के संबंध में अनुमानत: 13,000 करोड़ रुपए खर्च किये गए। 
  • वर्ष 2016 में सबसे अधिक (74%) डब्लू.एच.ओ. के अफ्रीकी क्षेत्र में खर्च किया गया। इसके बाद दक्षिण पूर्व एशिया (7%), पूर्वी भूमध्य क्षेत्र और अमेरिकी क्षेत्र (प्रत्येक 6%) और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र (4%) का स्थान आता है।

निष्कर्ष : देश में अधिकतर मलेरिया के मामले सीमावर्ती ज़िलों, जंगल और जनजातीय क्षेत्रों में दर्ज़ किये जाते हैं, जबकि देश के शेष इलाकों में से अधिकतर मलेरिया मुक्‍त हैं। यदि सीमावर्ती ज़िलों एवं स्‍थानीय प्राधिकरणों को आवश्यक सूचना, उपकरण तथा जानकारियाँ प्रदान की जाए तो भारत और इसके पड़ोसी देशों में मलेरिया उन्मूलन को कम करने में मदद मिलेगी। पी.आई.बी. के अनुसार, अनुसंधान और विज्ञान के केंद्र के रूप में भारत मलेरिया के संबंध में अनुसंधान तथा इसके उन्मूलन के प्रयासों के कार्यान्‍वयन के साथ-साथ स्‍वास्‍थ्‍य अनुसंधान क्षेत्र में क्षमता निर्माण में सहायता प्रदान करेगा।

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