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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत और क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समूह

  • 14 Aug 2017
  • 3 min read

चर्चा में क्यों ? 
16 सदस्यीय क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) देशों के व्यापार मंत्रियों की अगले महीने फिलीपींस में बैठक होने जा रही है। इस बैठक में भारत पर वस्तुओं से प्रशुल्क को समाप्त करने के लिये बहुत दबाव होगा। प्रशुल्क उन्मूलन और कटौती पर आरसीईपी के ज़्यादातर सदस्य 92 प्रतिशत वस्तुओं पर शून्य प्रशुल्क लगाने की बात कर रहे हैं। गौरतलब है कि आरसीईपी की हैदराबाद में आखिरी दौर की बैठक में इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं हो पाया था। 

प्रशुल्क को लेकर भारत की चिंताएँ 

  • आरसीईपी 2018 से पहले इस समझौते को पूरा करने के बारे में गंभीर है और इसलिये चाहता है कि इस वर्ष यह प्रस्ताव संपन्न जाए।
  • हालाँकि, भारतीय उद्योग और कृषि क्षेत्र ज़्यादातर उत्पादों पर प्रशुल्क में इतनी भारी कमी के लिये तैयार नहीं हैं, क्योंकि कई क्षेत्रों में वे अब भी विकासशील स्थिति में हैं और प्रशुल्क मुक्त प्रतियोगिता उनके हित में नहीं है।
  • भारत ने आरसीईपी के सदस्यों को अब तक यह संकेत दिया है कि वह लगभग 80 प्रतिशत वस्तुओं पर प्रशुल्क को समाप्त करने के लिये सहमत हो सकता है बशर्ते चीन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड से उसे बड़ी संख्या में आयात के संरक्षण की अनुमति दी जाए। इन देशों के साथ भारत का द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता भी नहीं है।
  • हालाँकि, चीन के साथ भारत प्रशुल्क कटौती को लागू करने के लिये 10 वर्ष से अधिक समय चाहता है।

RCEP : एक नज़र 

  • आरसीईपी या क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी, दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) के दस सदस्यीय देशों तथा छ: अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड), जिनके साथ आसियान का मुक्त व्यापार समझौता है, के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता है।
  • आरसीईपी समूह में 16 सदस्य हैं।
  • इसकी औपचारिक शुरुआत नवंबर 2012 में कंबोडिया में आसियान शिखर सम्मेलन में की गई थी।  
  • आरसीईपी को ट्रांस-पैसिफिक भागीदारी के एक विकल्प के रूप में देखा जाता है।
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