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सॉफ्टवेयर इंजीनियरों के लिये हरित कोड की प्रासंगिकता

  • 06 Nov 2017
  • 7 min read

चर्चा में क्यों

बाघ रिज़र्व के समीप रहने वाले ग्रामीणों और वन अधिकारियों के मध्य सप्ताहांत में संपर्क बनाए रखना एक कठिन कार्य होता है। इस समस्या को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक के सॉफ्टवेयर इंजीनियरों द्वारा एक अलग प्रकार के कोड का अभ्यास किया जा रहा है। इस कोड को इस प्रकार से व्यवस्थित करने का प्रयास किया जा रहा है कि इससे सप्ताहांत में भी ग्रामीणों एवं वन अधिकारियों के मध्य संपर्क बना रहे। इस दिशा में कार्य करते हुए:-  

  • वन विभाग ने एक स्वैच्छिक कार्यक्रम (volunteer programme) शुरू किया है, जिससे ग्रामीणों को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने तथा इस विशेष वन्यजीव प्रजाति के संरक्षण एवं वृद्धि के लिये अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जा सके।

प्रमुख बिंदु

  • लगभग 20 सॉफ्वेयर विशेषज्ञों  (software professionals) का एक अनौपचारिक समूह जो स्वयं  को स्वाट (Swift Wildlife Action Team – SWAT) के नाम से संबोधित करता है, द्वारा पिछले तीन महीनों से दक्षिणी कर्नाटक तथा पश्चिमी घाटों की तलहटी वाले क्षेत्रों में बाघ रिज़र्व क्षेत्रों का निरीक्षण एवं सर्वेक्षण किया जा रहा है।
  • इस टीम का एजेंडा बाघ रिज़र्व क्षेत्रों पर पैनी दृष्टि रखना है ताकि यहाँ होने वाली सभी प्रकार की गतिविधियों के विषय में जानकारी प्राप्त की जा सके।

टीम के गठन का आधार क्या है?

  • वन विभाग द्वारा ग्रामीणों के साथ बातचीत में यह पाया गया कि बहुत से मुद्दों पर ग्रामीणों एवं वन अधिकारियों के बीच असामंजस्य एवं असहयोग की स्थिति व्याप्त है। उदाहरण के तौर पर, फसल क्षति के संदर्भ  में दिया जाने वाला मुआवज़ा अथवा आंदोलनों पर प्रतिबंध आदि।
  • इन सभी मुद्दों का हल निकालने के साथ-साथ वन अधिकारियों द्वारा ग्रामीणों को जंगलों और वन्यजीवों के महत्त्व के विषय में जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि वर्षा के सुव्यवस्थित क्रम और नदियों में जल के प्रवाह को बनाए रखने में मदद मिल सके।

इस पहल का उद्देश्य

  • इस नई पहल के तहत स्वयंसेवक सदस्यों द्वारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा कि बफर ज़ोन में वन्यजीव को पकड़ने हेतु जाल आदि न बिछाए जाएँ। साथ ही प्रायः जंगलों में लगने वाली आग को रोकने संबंधी उपायों को भी लागू किया जा सके।

बाघ अभयारण्यों की वास्तविक स्थिति से संबद्ध रिपोर्ट

  • इसके अंर्तगत सॉफ्टवेर पेशेवरों के समूह द्वारा अभी तक तकरीबन 35 से अधिक गाँवों का भ्रमण करके प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) [Principal Chief Conservator of Forests (Wildlife)] के पास सात रिपोर्टें भेजी गई हैं।
  • इन रिपोर्टों के अंतर्गत ऐसे बहुत से पक्षों पर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है जिनके संदर्भ में तत्काल कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है।
  • इन रिपोर्टों के निर्माण में यह पाया गया कि कावेरी वन्यजीव अभयारण्य (Cauvery Wildlife Sanctuary - CWS) के चेक पोस्ट पर तैनात सुरक्षा गार्ड के पास न तो तलाशी हेतु पर्याप्त मात्रा में टॉर्च उपलब्ध है और न ज़रूरत के अनुरूप जूते और राइफल ही है। संभवतः किसी भी आकस्मिक स्थिति में उनके लिये भीड़ को नियंत्रित करना या स्थिति को संभालना असंभव है।
  • इस संबंध में वन विभाग द्वारा यह आश्वासन दिया गया है कि इन क्षेत्रों में तैनात गार्डों को आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • साथ-साथ यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि संगम और मुथथी जैसे लोकप्रिय स्थानों पर भ्रमण करने वाली भीड़ से निपटने के लिये वहाँ पर्याप्त मात्रा में पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया जा सके।
  • इस पहल का संचालन एक ऐसे समय में किया जा रहा है जब बाघ अभयारण्यों के समीप रहने वाले निवासियों और वन विभाग कर्मियों के मध्य मतभेदों में इज़ाफा देखा गया है।
  • विदित हो कि हाल ही में, ग्रामीणों द्वारा सी.डब्ल्यू.एस. के एक चेक पोस्ट पर वन अधिकारियों को कमरे में कैद करने जैसी घटना सामने आई थी। इसके अतिरिक्त नगरहोल, बन्नेरघट्टा और बांदीपुर में भी ग्रामीणों एवं वन अधिकारियों के साथ संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।

शिकारियों की तलाश

  • इतना ही नहीं पी.सी.सी.एफ. कार्यालय द्वारा अधिक से अधिक स्वयंसेवकों को इस नई पहल के साथ जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
  • ऐसा करने का उद्देश्य इस संबंध में अधिक से अधिक लोगों, समूहों तथा संगठनों तक वन्यजीव संरक्षण के विषय में जागरूकता पैदा करना तथा इस दिशा में प्रभावी कार्यवाही करने हेतु वन अधिकारियों में उत्साह एवं विश्वास का संचालन करना है जो अपनी सुविधा एवं सुरक्षा को जोखिम में डालकर वन्यजीवों के कल्याण के लिये निरंतर प्रयास करते हैं।
  • इसके अतिरिक्त इसके अंतर्गत शिकारियों एवं जाल डालने वाले लोगों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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