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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

वर्तमान वित्तीय वर्ष में ब्रोकरेज आय में मध्यम वृद्धि का अनुमान

  • 12 Apr 2018
  • 5 min read

चर्चा में क्यों ?

आईसीआरए (ICRA) के अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 में उत्साहजनक वृद्धि के बाद ब्रोकरेज उद्योग के वर्तमान वित्तीय वर्ष में 5 प्रतिशत की मध्यम दर से वृद्धि करने की संभावना है। ऐसा अनुमान अस्थिरता की विस्तारित अवधि एवं निकट अवधि के मूल्यांकन में संभावित सुधार के कारण लगाया गया है।

प्रमुख बिंदु   

  • एक्सचेंजों में इक्विटी का कारोबार वित्त वर्ष 2017 में ₹ 1,004 लाख करोड़ से 2018 में ₹ 1,733 लाख करोड़ हो गया, जिसमें 73 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। औसत दैनिक कारोबार बढ़कर ₹ 704 लाख करोड़ तक पहुँच गया।
  • हालाँकि, रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2019 में अनुमानित कुल आय ₹ 19,000-20,000 करोड़ के साथ आमदनी में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

खुदरा भागीदारी के स्थिर रहने की संभावना 

  • प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) पाइपलाइन द्वारा समर्थित खुदरा भागीदारी के स्थिर रहने की संभावना है। हालाँकि, अस्थिरता को देखते हुए इसमें कुछ उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।  
  • ब्रोकरेज द्वारा मार्जिन ट्रेडिंग पेशकश में वृद्धि के फलस्वरूप उच्च-उत्पादक नकदी संस्करणों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
  • साथ ही कीमत आधारित प्रतिस्पर्द्धा को देखते हुए पूर्ण सेवा ब्रोकरेज घरानों की आय प्रोफाइल में भी वृद्धि हो सकती है।
  • आईसीआरए के अनुसार घरेलू पूंजी बाज़ार ने घरेलू संस्थागत निवेश (Domestic Institutional Investor) खंड से आए मज़बूत इक्विटी आगत के कारण जहाँ वित्त वर्ष 2017 में बेहतर प्रदर्शन किया था वहीं वित्त वर्ष 2018 में इसने मज़बूत प्रदर्शन किया।
  • एक प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का पता लगने के बाद बैंकिंग प्रणाली के बारे में चिंताओं, अमेरिकी फेड दर में वृद्धि की उम्मीद और कच्चे तेल के दामों में वृद्धि के फलस्वरूप जनवरी 2018 तक एक ऊपर की ओर बढ़ रहे बाज़ारों में फरवरी 2018 में गिरावट देखी गई।
  • आईसीआरए की सहायक उपाध्यक्ष समृद्धि चौधरी के अनुसार “वित्त वर्ष 2018 में विभिन्न घरेलू और वैश्विक संकेतों के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की रुचि घटी है।“

घरेलू फंडों में तेज़ी 

  • जबकि, वित्त वर्ष 2018 के प्रत्येक माह के दौरान घरेलू संस्थागत निवेश खंड शुद्ध खरीदार बना रहा और इसने पूरे वित्त वर्ष के दौरान करीब ₹ 1.15 लाख करोड़ का शुद्ध आगत (inflow) दर्ज की जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में लगभग चौगुनी है।
  • निकट अवधि में बाज़ार अस्थिरता के जारी रहने के बावजूद बचतों के बढ़ते वित्तीयकरण और मज़बूत डीआईआई खंड के कारण वित्तीय वर्ष 2019 के लिये घरेलू पूंजी बाज़ार का आउटलुक स्थिर से  सकारात्मक बना रहेगा।
  • हालाँकि, आगामी विधानसभा चुनावों के परिणाम, भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और अमेरिकी फेड दरों में बढ़ोतरी जैसी घटनाओं के कारण बाज़ार और निवेशकों की भावना संदेहास्पद बनी रहेगी जिससे एफपीआई प्रवाह पर असर पड़ेगा।
  • लेकिन, विमुद्रीकरण और जीएसटी जैसे संरचनागत अवरोधों के दूर हो जाने के पश्चात् कॉर्पोरेट आय में एक अर्थपूर्ण पुनरुत्थान आवश्यक है ताकि पूंजीगत बाज़ार को और अधिक प्रोत्साहन मिल सके तथा एफपीआई इक्विटी आगतों में वृद्धि हो सके।
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