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डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

मानवीय गलियारे

  • 07 Mar 2022
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मानवीय गलियारे, वर्ष 1949 का जिनेवा कन्वेंशन और वर्ष 1977 के अतिरिक्त प्रोटोकॉल, संयुक्त राष्ट्र।

मेन्स के लिये:

मानवीय गलियारे, रूस-यूक्रेन युद्ध, वर्ष 1949 का जिनेवा कन्वेंशन तथा वर्ष 1977 के अतिरिक्त प्रोटोकॉल, द्वितीय विश्व युद्ध, सीरियाई गृहयुद्ध, लीबियाई गृहयुद्ध और गाजा युद्ध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में रूस द्वारा नागरिकों के लिये "मानवीय गलियारे" (Humanitarian Corridors) प्रदान करने हेतु रूस-यूक्रेन युद्ध में एक अस्थायी युद्धविराम की घोषणा की गई है।

  • जैसे ही युद्ध एक संभावित घातक चरण में प्रवेश करता है तो नागरिकों द्वारा सुरक्षा और शरण के लिये देश छोड़ने का प्रयास किया जाता है, अत: नागरिक या जन-धन के नुकसान को कम करने के लिये मानवीय उपाय किये जाने चाहिये।

प्रमुख बिंदु 

मानवीय गलियारे:

  • मानवीय गलियारे के बारे में: ये एक विशिष्ट क्षेत्र में और एक विशिष्ट समय के लिये विसैन्यीकृत क्षेत्र होते हैं जिस पर एक सशस्त्र संघर्ष के दोनों पक्ष सहमत होते हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र  मानवीय गलियारों को सशस्त्र संघर्ष के अस्थायी विराम के कई संभावित रूपों में से एक मानता है।
    • उदाहरण के लिये नागरिकों को लक्ष्य बनाते हुए बड़े पैमाने पर बमबारी के समय मानवीय गलियारे महत्त्वपूर्ण राहत प्रदान कर सकते हैं।
  • आवश्यकता: जब शहरों की घेराबंदी की जा रही हो और आबादी को बुनियादी खाद्य आपूर्ति, बिजली तथा पानी जैसी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है, तो इस तरह के गलियारे आवश्यक हो जाते हैं।
  • कार्य: इन गलियारों के माध्यम से संघर्ष के क्षेत्रों में भोजन एवं चिकित्सा जैसी सहायता प्रदान की जा  सकती है या नागरिकों को निकाला जा सकता है।
  • अभिगम्यता: मानवीय गलियारों तक पहुँच संघर्ष के पक्षों द्वारा निर्धारित की जाती है। यह आमतौर पर तटस्थ अभिनेताओं, संयुक्त राष्ट्र या रेड क्रॉस जैसे सहायता संगठनों तक सीमित है।
    • उनका उपयोग संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों, गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) एवं पत्रकारों द्वारा उन विवादित क्षेत्रों तक पहुँच प्राप्त करने के लिये भी किया जा सकता है जहाँ युद्ध अपराध किये जा रहे हैं।

मानवीय गलियारे से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन:

  • अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा मानवीय गलियारों को मान्यता देने से पहले जब यहूदी बच्चों को नाज़ी नियंत्रण वाले क्षेत्रों से यूनाइटेड किंगडम में निकाला गया था। तब ऐसे क्षेत्रों को द्वितीय विश्व युद्ध सहित सशस्त्र संघर्षों के रूप में परिभाषित किया गया था।
  • वर्ष 1990 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प 45/100 में मानवीय गलियारों को परिभाषित किया गया था।
    • इसने कहा कि "राहत गलियारे" को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा सशस्त्र संघर्षों के दौरान सहायता प्राप्त करने के लिये नागरिकों के अधिकार का समर्थन करने हेतु एक महत्त्वपूर्ण साधन के रूप में देखा जाता है।
    • इसे वर्ष 1949 के जिनेवा कन्वेंशन और वर्ष 1977 के उनके अतिरिक्त प्रोटोकॉल में भी मान्यता प्राप्त है।
  • वर्ष 1992 में इटली में सैनरेमो से ‘इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमैनिटेरियन लॉ’ ने इस अवधारणा को और अधिक बेहतर ढंग से परिभाषित किया है।
    • "मानवीय सहायता इस मामले में तथाकथित मानवीय गलियारों के माध्यम से पारगमन सुविधा प्रदान कर कर सकती है, जिसे संबंधित अधिकारियों द्वारा सम्मान एवं संरक्षित किया जाना चाहिये और यदि आवश्यक हो, तो संयुक्त राष्ट्र के अधिकार के तहत"।
  • मानवीय गलियारों का उपयोग सीरियाई गृहयुद्ध, लीबिया के गृहयुद्ध और गाजा युद्ध तथा ऐसे अन्य संघर्ष क्षेत्रों में अक्सर किया जाता रहा है।

संबद्ध मुद्दे:

  • लागू करने में कठिनाई: चूँकि सभी पक्षों को गलियारों को स्थापित करने के लिये सहमत होने की आवश्यकता है, ऐसे में मानवीय गलियारों को लागू करना मुश्किल होता है।
    • ऐसे कई युद्ध और संघर्ष क्षेत्र हैं जहाँ नागरिक गलियारों या लड़ाई में विराम के आह्वान को व्यर्थ कर दिया गया है।
    • उदाहरण के लिये यमन में चल रहे युद्ध में संयुक्त राष्ट्र अब तक अपनी वार्ताओं में विफल रहा है।
  • संभावित दुरुपयोग: सैन्य या राजनीतिक दुरुपयोग का खतरा है।
    • उदाहरण के लिये गलियारों का इस्तेमाल संघर्ष वाले शहरों में हथियारों और ईंधन की तस्करी के लिये किया जा सकता है।

आगे की राह

  • मानवीय विराम की आवश्यकता: मानवीय गलियारे के अलावा वैश्विक समुदाय को मानवीय विराम को प्रोत्साहित करना चाहिये क्योंकि इससे गलियारों का निर्माण किया जाता है।
    • एक मानवीय विराम में नागरिकों की रक्षा के लिये युद्ध की अस्थायी समाप्ति शामिल होगी।
    • यह नागरिकों को गलियारों तक पहुँचने और सुरक्षित रूप से आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगा।

PYQ

हाल ही में निम्नलिखित में से किन देशों में लाखों लोग या तो भयंकर अकाल एवं कुपोषण से प्रभावित हुए या उनकी युद्धसंजातीय संघर्ष के चलते उत्पन्न भुखमरी के कारण मृत्यु हुई?

(a) अंगोला और जाम्बिया
(b) मोरक्को और ट्यूनीशिया
(c) वेनेजुएला और कोलंबिया
(d) यमन और दक्षिण सूडान

उत्तर:d

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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