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सामाजिक न्याय

वैश्विक श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी

  • 27 Jun 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट ‘विश्व की महिलाओं की प्रगति रिपोर्ट 2019-2020’ (Progress of The World’s Women 2019-2020) के अनुसार, लगभग आधे से अधिक विवाहित महिलाओं (25- 54 वर्ष की आयु) की वैश्विक श्रम बल में भागदारी नहीं हैं जबकि लगभग सभी विवाहित पुरुष वैश्विक श्रम बल का हिस्सा हैं।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, पारंपरिक रूप से विद्यमान लैंगिक असमानता ने महिलाओं को घरेलू कार्यों तक ही सीमित कर दिया।
  • महिलाओं के सशक्तीकरण एवं उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु आंदोलन वर्ष 1990 के दशक के मध्य से प्रारंभ हुए। लेकिन विवाह और संतानों की देखभाल जैसी ज़िम्मेदारियों ने महिलाओं को श्रम बाज़ार से दूर कर दिया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विवाहित महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में सबसे अधिक (78.2%) और मध्य और दक्षिणी एशिया क्षेत्र में सबसे कम (29.1%) पाई गई। अपवाद के रूप में उप-सहारा अफ्रीकी क्षेत्र एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ विवाहित महिलाओं की श्रम बल में अधिक भागीदारी (73.8%) पाई गई।
  • वैश्विक स्तर पर जिन महिलाओं के बच्चे छोटे (6 वर्ष से कम आयु वाले) हैं उनकी श्रम बल में भागीदारी में भी स्वाभाविक गिरावट दर्ज़ की गई जो लगभग 5.9% है। तुलनात्मक रूप से विश्व में पुरुषों की श्रम-बल भागीदारी में 3.4% की वृद्धि हुई।
  • रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम और उच्च आय वाले देशों की तुलना में मातृत्व कारकों ने निम्न-आय वाले देशों में महिलाओं की श्रमबल भागीदारी को कम नहीं किया।
  • संभवतः इसका कारण निम्न आय वाले देशों में गरीबी तथा परिवार की आजीविका चलाने के लिये बच्चे छोटे होने के बावज़ूद भी श्रम बल में बने रहना इनकी मज़बूरी है।
  • भारत और चीन जैसे देशों में आर्थिक वृद्धि के बाद भी महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी में गंभीर गिरावट दर्ज की गई है।
  • वर्ष 1977 से 2018 के बीच भारत में महिलाओं की श्रम शक्ति में 6.9% तक गिरावट पाई गई जो विश्व स्तर पर सर्वाधिक गिरावट है।
  • इसके लिये निम्नलिखित कारण ज़िम्मेदार हैं:
    • वर्ष 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से शहरी क्षेत्रों में स्थिर भागीदारी।
    • छोटी उम्र (25-40 वर्ष की आयु) में ही ग्रामीण क्षेत्रों में विवाहित महिलाएँ।
    • पुरुषों को नियमित वेतन पर श्रम में भागीदारी से परिवार की आय स्थिर होना।
  • संयुक्त राष्ट्र की महिला कार्यकारी निदेशक के अनुसार, परिवार विविधता के साथ भी लैंगिक समानता को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, यदि निर्णय लेने वाले लोग आधुनिकीकरण, वैश्वीकरण के युग में महिलाओं के अधिकारों के साथ सकारात्मक व्यवहार करते हैं।
  • रिपोर्ट में महिलाओं को प्रोत्साहन देने वाली आर्थिक नीतियों के निर्माण करने हेतु सिफारिश की गई है जिससे सर्व-समावेशी अर्थव्यवस्था के तहत सभी महिलाओं और पुरुषों को काम और आजीविका के समान अवसर प्राप्त हों।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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