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छोटे व मध्यम उद्यमियों को जीएसटी की उच्च दरों से राहत

  • 09 Oct 2017
  • 7 min read

संदर्भ

हाल ही में छोटे एवं मध्यम श्रेणी के व्यवसाइओं और निर्यातकों को नई कर व्यवस्था में राहत देने के उद्देश्य से ‘वस्तु एवं सेवा कर परिषद’ (GST Council) ने ‘रिलैक्सेशन मानकों’ (relaxation measures) को अंतिम रूप दे दिया है। इसके अंतर्गत परिषद् ने 27 वस्तुओं के लिये जीएसटी की दरों में भी कमी कर दी है।

प्रमुख बिंदु

  • दरअसल अभी तक लंबित रखे गए ‘एक्सपोर्ट्स टैक्स रिफंड्स’ (Exporters’ tax refunds) को भी अगले दो सप्ताहों में मंज़ूरी दे दी जाएगी। 31 मार्च तक होने वाले निर्यातों को जीएसटी में पूर्व की भाँति ही छूट दी जाएगी| तात्पर्य यह है कि इनके लिये अग्रिम प्राधिकरण (advance authorization) तथा ईपीसीजी (EPCG) उसी प्रकार जारी रहेंगे। 
  • इन मानकों के तहत मात्र 0.1% का आईजीएसटी (I-GST) उन व्यापारियों द्वारा किये जाने वाले निर्यात पर लगाया जाएगा, जो घरेलू विनिर्माताओं से वस्तुएं खरीदते हैं।
  • खाद्य सामग्रियों जैसे-खाकरा, कटे हुए सूखे आम, समेकित बाल विकास सेवा के फ़ूड पैकेट्स, गैर-ब्रांडेड नमकीन और गैर-ब्रांडेड दवाओं की दरों में भी 5% की कमी कर दी गई है।
  • इसी प्रकार ज़री के कामगारों (Zari workers) द्वारा मुहैया कराई गई रोज़गार कार्य सेवाओं, नकली आभूषणों, मुद्रण और खाद्य सामग्री पर भी लगने वालीजीएसटी की दर में 5% की कमी कर दी गई है। 
  • ई-वे बिल (e-way bill) की शुरुआत 1 जनवरी और 1अप्रैल 2018, से होगी।  1 अप्रैल 2018 से निर्यातकों के लिये एक ई-वॉलेट (e-wallet) सुविधा भी उपलब्ध रहेगी
  • इसी प्रकार छोटे और मध्यम स्तर के व्यवसायों पर अनुपालन दबाव को कम करने के लिये ‘कम्पोजीशन स्कीम’ (composition scheme) के लिये वार्षिक टर्न ओवर की न्यूनतम सीमा 1 करोड़ कर दी गई है, जबकि इससे पूर्व यह सीमा 75 लाख थी।
  • इसके अतिरिक्त, त्रैमासिक रिटर्न को जमा करने की सुविधा केवल उन व्यवसाइयों को प्राप्त होगी, जिनका वार्षिक टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपए है। विदित हो कि ये छूट केवल उन रिटर्न्स पर ही मिलेगी, जिन्हें अक्टूबर माह से जमा किया जाएगा। 
  • रेस्टोरेंटों में कर के स्वरूप की जाँच करने तथा इसका बात का पता लगाने कि यदि वे आगत कर ऋण (input tax credit) के बावजूद अपने मूल्यों में कमी नहीं करते हैं तो क्या किया जाना चाहिये, राज्य वित्त मंत्रियों के समूह का गठन किया जाएगा। 
  • इस वर्ष की पहली तिमाही में कम आर्थिक वृद्धि दर से अवगत होने के पश्चात इन मानकों पर विचार-विमर्श होना चाहिये।

जीएसटी परिषद

  • संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279 A (1) के अनुसार, जीएसटी परिषद का गठन राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 279 A के प्रारंभ होने के बाद होना था। अनुच्छेद 279 को प्रभाव में लाने वाली अधिसूचना जिसके तहत इसे 12 सितम्बर 2016 से लागू किया जाना था, 10 सितम्बर, 2016 को जारी की गई थी।
  • संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279 A के अनुसार, जीएसटी परिषद जोकि केंद्र और राज्य का संयुक्त फोरम होगा, में निम्नलिखित सदस्य होने चाहिये।

♦ केन्द्रीय वित्त मंत्री- अध्यक्ष
♦  केंद्रीय राज्य मंत्री, वित्त एवं राजस्व के प्रभारी –सदस्य
♦  वित्त अथवा कर प्रभारी मंत्री या प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा मनोनीत कोई अन्य मंत्री-सदस्यों के रूप में |

  • अनुच्छेद 279A (4) के अनुसार, परिषद जीएसटी से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों जैसे-ऐसी वस्तुएं और सेवाएँ जिन्हें जीएसटी में शामिल अथवा बाहर किया जाना है, आधुनिक जीएसटी कानून, वे सिद्धांत जो आपूर्ति के स्थान का निर्धारण करते हैं, जीएसटी की दरें, प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अतिरिक्त संसाधनों में वृद्धि करने के लिये विशेष दरें, कुछ राज्यों के लिये विशेष प्रावधान आदि के संबंध में सिफारिशें करेगी।  
  • केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 12 सितम्बर 2016 को जीएसटी की बैठक तथा निम्नलिखित विवरणों के साथ इसके सचिवालय के गठन को भी स्वीकृति दी।

♦  संशोधित संविधान के अनुच्छेद 279 A के आधार पर जीएसटी परिषद का सृजन।
♦  जीएसटी परिषद के सचिवालय का सृजन, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में होगा।
♦  जीएसटी परिषद के पदेन सचिव के रूप में राजस्व सचिव की नियुक्ति।
♦  जीएसटी परिषद् की सभी बैठकों में अध्यक्ष, केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड को स्थायी आमंत्रक (जिन्हें मत देने का अधिकार नहीं होगा) को शामिल करना।

  • जीएसटी परिषद में अतिरिक्त सचिव (भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव के स्तर पर) तथा जीएसटी परिषद सचिवालय में कमिश्नर के चार पदों (भारत सरकार के संयुक्त सचिव के स्तर पर) का सृजन करना। 
  • केंद्र सरकार ने यह भी निर्णय लिया था कि वह जीएसटी परिषद सचिवालय के आवर्ती (recurring) और गैर-आवर्ती खर्चों (non-recurring expenses) के लिये पर्याप्त फंड उपलब्ध कराएगी, जिसकी संपूर्ण लागत केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाएगी। 
  • जीएसटी परिषद का प्रबंधन केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा नियुक्त किये गए अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
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