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COVID-19 दवा निर्माण हेतु पर्यावरण प्रभाव आकलन से राहत

  • 06 Apr 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये: 

सक्रिय दवा सामग्री, COVID-19 

मेन्स के लिये:

पर्यावरण प्रभाव आकलन, स्वास्थ्य सेवाओं पर COVID-19 का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ‘केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय’ (Ministry of Environment, Forest and Climate Change- MoEFCC) ने देश में COVID-19 की दवा के निर्माण हेतु आवश्यक सक्रिय दवा सामग्री (Active Pharmaceutical Ingredient- API) से संबंधित परियोजनाओं के लिये पर्यावरण प्रभाव आकलन (Environment Impact Assessment- EIA) की अनिवार्यता से अंतरिम राहत प्रदान करने का फैसला किया है।

मुख्य बिंदु:

  • MoEFCC के इस फैसले के तहत 30 सितंबर, 2020 तक देश में API के निर्माण की परियोजनाओं से संबंधित आवेदनों के लिये अनिवार्य EIA की छूट प्रदान की जाएगी।    
  • 30, सितंबर 2020 तक प्राप्त ऐसे सभी आवेदनों को पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत B2 श्रेणी में रखा जाएगा। 
  • MoEFCC के अनुसार, 30 सितंबर, 2020 के बाद इस संदर्भ में कोई भी निर्णय उस समय के नियमों के आधार पर लिया जाएगा।
  • MoEFCC के अनुसार, COVID-19 के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से थोक दवाओं के निर्माण और अन्य परियोजनाओं के लिये पूर्व के पर्यावरण मंज़ूरी संबंधी नियमों में तेज़ी लाना अति आवश्यक है।   
  • ध्यातव्य है कि पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के नियमों के तहत परियोजनाओं को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है।
    • ‘A’: श्रेणी ‘A’ के तहत उन परियोजनाओं को रखा जाता है जिनका अनुमोदन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय’द्वारा किया जाता है।
    • ‘B’: श्रेणी ‘B’ के तहत उन परियोजनाओं को रखा जाता है जिनका अनुमोदन राज्यों द्वारा किया गया हो।
    • ‘B2’: इस श्रेणी में EIA और जन सुनवाई से राहत प्राप्त योजनाओं को सूचीबद्ध किया जाता है।

पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम

{ENVIRONMENT (PROTECTION) ACT}, 1986: 

  • इस अधिनियम की अवधारण वर्ष 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र के विश्व मानव पर्यावरण अभिसमय’ (United Nations Conference on the Human Environment), जिसमें भारत ने भी हिस्सा लिया था,  के बाद प्रस्तुत की गई।
  • इस अधिनियम में पर्यावरण संरक्षण और सुधार तथा इससे जुड़े हुए मुद्दों के लिये आवश्यक विधिक प्रावधानों का विवरण दिया गया है। 
  • यह अधिनियम वर्ष 1986 में लागू किया गया। 

क्या है सक्रिय दवा सामग्री?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, किसी रोग के उपचार, रोकथाम अथवा अन्य औषधीय गतिविधि के लिये आवश्यक दवा के निर्माण में प्रयोग होने वाले पदार्थ या पदार्थों के संयोजन को ‘सक्रिय दवा सामग्री’ के नाम से जाना जाता है।

  • वर्तमान में भारतीय दवा उद्योग के क्षेत्र में कार्यरत कंपनियाँ दवाइयों के निर्माण में आवश्यक API के लिये अन्य देशों पर होने वाले आयात पर निर्भर रहता है।
  • इनमें से अधिकांश (लगभग 70%) चीन से आयात किया जाता है।
  • वर्तमान में COVID-19 के कारण विश्व के कई देशों में यातायात पर प्रतिबंध के कारण भारत में API की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
  • इससे पहले भी देश में API के क्षेत्र में स्थानीय क्षमता के विकास के माध्यम से आयात की निर्भरता को कम करने के प्रयास किये गए हैं परंतु वे बहुत अधिक सफल नहीं हुए। 
  • हाल ही में केंद्र सरकार ने देश में API या थोक दवाओं (Bulk Drugs) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये लगभग 13 हजार करोड़ रुपए की लागत से  बल्क ड्रग्स पार्क (Bulk Drugs Park) की स्थापना के साथ कुछ अन्य योजनाओं की घोषणा की है।

EIA में छूट के लाभ:

  • वर्तमान में औषधि क्षेत्र या अन्य परियोजनाओं के लिये पर्यावरण मंज़ूरी प्राप्त करने में अत्यधिक समय लगता है, ऐसे में MoEFCC की इस छूट के बाद COVID-19 के लिये दवाओं के निर्माण में तेज़ी आएगी।
  • वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए EIA में छूट देने के संदर्भ में MoEFCC की पहल सराहनीय है।
  • किसी भी क्षेत्र के विकास के लिये औद्योगिक संस्थानों, सरकार और नियामकों का मिलकर काम करना बहुत ही आवश्यक है, इस विचारधारा के तहत MoEFCC की तत्परता भारतीय दवा उद्योग क्षेत्र के भविष्य के लिये एक सकारात्मक संकेत है।     

स्रोत:  द इंडियन एक्सप्रेस

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