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शासन व्यवस्था

नवीकरणीय ऊर्जा में धीमी प्रगति: रिपोर्ट

  • 30 Sep 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

नवीकरणीय ऊर्जा पहलें 

मेन्स के लिये: 

नवीकरणीय ऊर्जा का महत्त्व और चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन की वजह से देश में नवीकरणीय ऊर्जा की प्रगति को धीमा कर दिया और जिससे भारत वर्ष 2022 तक अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में पिछड़ गया है।

  • यह रिपोर्ट इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (IEEFA) द्वारा जारी की गई थी। IEEFA एक अमेरिकी गैर-लाभकारी निगम है।
  • भारत स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर, सौर में पाँचवें और पवन ऊर्जा में चौथे स्थान पर है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
    • सौर ऊर्जा क्षमता:
      • भारत 31 जुलाई, 2021 तक केवल 43.94 GW सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने में सफल रहा है।
        • जबकि भारत को मार्च 2023 तक 40 GW रूफटॉप सोलर और 60 GW ग्राउंड-माउंटेड यूटिलिटी स्केल के साथ ही कुल 100 GW सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करनी है।
    • हरित ऊर्जा क्षमता:
      • वित्त वर्ष 2020-21 में हरित ऊर्जा क्षमता में केवल 7 GW की वृद्धि हुई है।
        • भारत ने वर्ष 2022 के अंत तक 175 GW नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता और 2030 तक 450 GW का लक्ष्य रखा है।
    • ऊर्जा व्यापार राशि:
      • वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान कारोबारी क्षेत्रों में विद्युत् के उपयोग की मात्रा में 2020 की तुलना में 20%, 2019 की तुलना में 37% और 2018 की तुलना में 30% की वृद्धि हुई।
        • इससे कीमतों में वर्ष 2020 की तुलना में औसतन 38%, वर्ष 2019 की तुलना में 8% और वर्ष 2018 की तुलना में 11% की वृद्धि हुई।
    • कोयला स्टॉक:
      • ऊर्जा उपभोग में 1,320 लाख टन के नए रिकॉर्ड उच्च स्तर को छुआ है और पिछले पाँच वर्षों के मासिक औसत को पार कर गया है।
        • हालाँकि, दैनिक कोयला स्टॉक की स्थिति के विश्लेषण में गिरावट दर्ज की गई है, क्योंकि अधिक संयंत्रों ने आपूर्ति की सूचना दी थी।
  • सुझाव:
    • भारत की बढ़ती दैनिक मांग की चुनौती के समाधान हेतु अतिरिक्त बेसलोड थर्मल क्षमता में निवेश की आवश्यकता नहीं है।
    • इसके बजाय ऊर्जा प्रणाली को ‘लचीले एवं गतिशील समाधान’ जैसे कि बैटरी भंडारण, पंप किये गए हाइड्रो स्टोरेज, गैस से चलने वाली क्षमता और अपने मौजूदा कोयला बेड़े के लचीले संचालन की आवश्यकता है।
    • सरकार को ऐसे स्रोतों के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिये, ताकि अधिक मांग को पूरा करने में मदद मिल सके और कम लागत पर ग्रिड को संतुलित किया जा सके।
    • ऊर्जा कीमतें गिरने से यह लागत प्रभावी होगी और अधिकतम मांग के दौरान पावर एक्सचेंज में अधिक कीमतों के खिलाफ एक बफर के रूप में कार्य करेगी।

स्रोत: द हिंदू

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