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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये पुनर्पूंजीकरण योजना पेश

  • 27 Jan 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?

  • सरकार ने 24 जनवरी को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks-PSBs) के लिये अक्तूबर 2017 में घोषित पुनर्पूंजीकरण योजना का खाका प्रस्तुत कर दिया है।
  • पुनर्पूंजीकरण सुदृढ़ सुधार पैकेज में छह आधारभूत विषय शामिल हैं, जिन्हें 30 कार्य बिंदुओं में अंकलित किया गया है।
  • यह सुधार एजेंडा नवंबर 2017 में हुए PSB मंथन, जिसमें PSBs के वरिष्ठ प्रबंधन तथा सरकार के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था, में की गई सिफारिशों पर आधारित है।

इस सुधार पैकेज की आवश्यकता क्यों?

  • सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जमाओं और ऋणों के मामले में भारतीय बैंकिंग के दो-तिहाई हिस्से को नियंत्रित करते है। किंतु पिछले कुछ वर्षों से सार्वजानिक क्षेत्र के बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPAs) के दुष्चक्र में फँसे हुए हैं।
  • अप्रैल 2015 में इनका NPA 2.75 लाख करोड़ रुपए था जो जून 2017 में बढकर 7.33 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया था। मार्च 2018 तक इसके 9.50 लाख करोड़ रुपए तक होने की संभावना है।
  • इन बैंकों को अपने लाभ का एक हिस्सा वैधानिक प्रावधानों में व्यय करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त RBI के नियमों के अनुपालन के अंतर्गत इनके पास कुछ पूंजी बाज़ार जोखिमों से बचने के लिये भी होनी चाहिए।
  • यह पुनर्पूंजीकरण योजना इस समस्या का समाधान करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। इससे सभी सरकारी बैंकों की विनियामकीय पूंजी आवश्यकता पूरी होगी और अर्थव्यवस्था को अधिकाधिक उधार देने के लिये पूंजी वृद्धि के प्रति पर्याप्त धनराशि उपलब्ध होगी।

पुनर्पूंजीकरण राशि

  • 2.1 लाख करोड़ रुपए की इस पुनर्पूंजीकरण योजना को वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में कार्यान्वित किया जाएगा। 
  • वित्त वर्ष 2017-18 की पूंजी निवेश योजना में पुनर्पूंजीकरण बॉण्ड के जरिए 80,000 करोड़ रुपए तथा बजटीय सहायता के ज़रिये  8,139 करोड रुपए PSBs को प्रदान कराए जाएंगे। 
  • 10,000 करोड़ रुपए की राशि इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम करके जुटाई जाएगी।

पुनर्पूंजीकरण योजना की मुख्य विशेषताएँ

  • इस योजना के तहत 'संवर्धित पहुँच और सेवा उत्कृष्टता’ (Enhanced Access and Service Excellence-EASE) का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • इसे प्राप्त करने के लिये छह आधारभूत विषय निर्धारित किये गए हैं- ग्राहक के प्रति अनुक्रियाशीलता (Responsiveness), उत्तरदायित्वपूर्ण बैंकिंग, ऋण में बढ़ोत्तरी, उद्यमी मित्र के रूप में PSB, वित्तीय समावेशन को मज़बूत करना और डिजिटलीकरण तथा कार्मिक विकास।
  • पहुँच तथा सेवा गुणवत्ता के संबंध में लोगों के विचार का आकलन करने के लिये EASE के संबंध में एक स्वतंत्र एजेंसी के द्वारा सर्वेक्षण किया जाएगा। सर्वेक्षण के परिणाम को प्रतिवर्ष सार्वजनिक किया जाएगा।
  • सरकार द्वारा पूंजी का निवेश सुधार के संबंध में PSBs के कार्य-निष्पादन के अनुरूप होगा। PSBs के पूर्णकालिक निदेशकों को कार्यान्वयन हेतु उद्देश्य-वार सुधार सौंपे जाएंगे।
  • इस संबंध में उनके कार्य-निष्पादन का मूल्यांकन बैंक बोर्ड द्वारा किया जाएगा।
  • सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) एवं आम नागरिक की बैंकिंग सेवाओं में पर्याप्त रूप से वृद्धि करने को सुगम बनाने के लिये PSBs के पुनर्पूंजीकरण तथा सुधार एजेंडा पर ज़ोर दिया गया है।
  • इसके लिये बैंकों को गांवों में 5 किलोमीटर के भीतर बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता, इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन में किसी भी प्रकार के अप्राधिकृत डेबिट के मामले में 10 दिन के भीतर धनराशि की वापसी, बैंकिंग आऊटलेट पता करने के लिये एक मोबाइल एप और प्रत्येक अल्पसेवित ज़िले में एक मोबाइल एटीएम उपलब्ध कराना होगा।

पुनर्पूंजीकरण बॉण्ड की विशेषता

  • इन बॉण्ड की परिपक्वता अवधि 10 से 15 वर्ष तक होगी और इन्हें छह भागो में जारी किया जाएगा ।
  • इनका मूल्य सरकारी प्रतिभूतियों के तीन महीनों की दरों के आधार पर तय होगा।
  • ये Non-Statutory Liquidity Ratio & Non-tradable बॉण्ड होंगे। इसका मतलब है कि इन बॉण्डों को न ही सांविधिक तरलता अनुपात का दर्ज़ा दिया जाएगा और न ही इनका बाज़ार में व्यापार हो सकेगा।
  • इनका नकदी में लेन-देन नहीं (Cash Neutral) होने से इनका सरकार के राजकोषीय प्रबंधन पर कोई प्रभाव नहीं पडेगा। 

पुनर्पूंजीकरण राशि का वितरण

  • पुनर्पूंजीकरण पैकेज के वितरण में बैंकों के लिये एक विभेदित दृष्टिकोण (Differentiated Approach) का पालन किया जाएगा।
  • इसके लिये त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action-PCA) को आधार बनाया जाएगा। 
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में PCA बैंकों के लिये पुनर्पूंजीकरण राशि  52,311 करोड़ रुपए होगी, जिनके सबसे बड़े लाभार्थियों में IDBI बैंक (10,610 करोड़ रुपए), बैंक ऑफ इंडिया (9,232 करोड़ रुपये), यूको बैंक (6,507 करोड़ रुपये) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (5,158 करोड़ रुपए) होंगे।
  • इस वर्ष गैर-PCA (Non-PCA) बैंकों के लिये पुनर्पूंजीकरण राशि 35,828 करोड़ रुपए होगी जिसके सबसे बड़े लाभार्थी भारतीय स्टेट बैंक (8,800 करोड़ रुपए), पंजाब नेशनल बैंक (5,473 करोड़ रुपए) और बैंक ऑफ बड़ौदा (5,375 करोड़ रुपए) होंगे।
  • PCA बैंकों के लिये पुनर्पूंजीकरण राशि का उपयोग उनकी विनियामक पूंजी आवश्यकताओं को बनाए रखने और उनके प्रशासन और संचालन को मज़बूत करने में किया जाएगा।
  • Non-PCA बैंकों में पुनर्पूंजीकरण राशि का उपयोग विकास पूंजी में निवेश के लिये किया जाएगा।

त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (PCA)

  • PCA वह प्रक्रिया या तंत्र है जिसके तहत भारतीय रिज़र्व बैंक ने कमज़ोर और संकटमय बैंकों के जोखिमो का आकलन, निगरानी, नियंत्रण और सुधारात्मक कार्रवाईयों को प्रारंभ करने के लिये कुछ मानक तय किये है। इसका उद्देश्य इन बैंकों को विफल होने से बचाना है।
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