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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

शैल फर्मों के ढाँचे को मज़बूती देने हेतु सरकार के प्रयास

  • 29 Jul 2017
  • 4 min read

संदर्भ
केंद्र सरकार किसी कंपनी की सहायक कंपनियों को शासित करने वाले नियामकों को सख्त बनाने के लिये ठीक उसी तरीके से कार्य कर रही है, जैसा ने निवेश कंपनियों के संबंध में  किया था|

कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2016

  • इस आशय को स्पष्ट करते हुए कि कंपनी (संशोधन) विधेयक (Companies (Amendment) Bill) 2016 के लिये प्रस्तावित प्रमुख प्रस्ताव, जिसमें किसी कंपनी की सहायक कंपनियों की व्यवस्था से संबंधित बाधाओं को हटा दिया गया था, समाप्त कर दिया गया है|
  • ध्यातव्य है कि कंपनी (संशोधन) अधिनियम 2016 में किये गए संशोधनों को लोकसभा में 27 जुलाई को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया| 

रुख में बदलाव

  • उल्लेखनीय है कि निवेश कंपनियों और सहायक कंपनियों को व्यवस्थित करने के लिये उठाया गया सरकार का यह कदम, इसकी पूर्व इच्छा में बदलाव की ओर संकेत करता है| 
  • स्पष्ट है कि सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय इस बात को प्रमाणित करता है कि सरकार सेबी और स्टॉक एक्सचेंजों की निरीक्षण प्रक्रिया की प्रभावोत्पादकता के विषय में पूर्णतया आश्वस्त नहीं है|
  • हालाँकि आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार सरकार का यह कदम कॉर्पोरेट ढाँचे पर शिकंजा कसने के उद्देश्य से लिया गया है|

ढाँचों की उलझन

  • गौरतलब है कि भारत में टाटा, रिलायंस और वेदांत ग्रुप सहित अधिकांश कॉर्पोरेट समूहों को स्वामित्व के एक सरल पिरामिड के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है|
  • आमतौर पर, इस प्रकार की नियंत्रक कंपनियों में इक्विटी निवेशों का प्रतिशत बहुत कम होता है|

शैल कम्पनियाँ

  • सरकार द्वारा कोर्पोरेट जगत को पूरी छूट देने के अपने पूर्व प्रस्ताव से पीछे हटने का कारण समझना वस्तुतः बहुत अधिक कठिन काम नहीं है|
  • ध्यातव्य है कि विमुद्रीकरण के पश्चात् शैल कंपनियों की संख्या में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई, जिसने इस आशंका को बल दिया कि कंपनियों की प्रबंधन व्यवस्था पर शिकंजा कस कर शैल कंपनियों की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है|
  • अक्सर देखने को मिलता है कि सहायक कंपनियों के लिये कॉर्पोरेट हाउसों को प्रोत्साहित करना कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिये प्रायः संदेहास्पद काम होता है|
  • वर्तमान में ऐसे कई कॉर्पोरेट घराने हैं, जिनकी न केवल एक या दो, बल्कि हज़ारों सहायक कम्पनियाँ हैं|

कार्य बल

  • ध्यातव्य है कि फरवरी, 2017 में केंद्र सरकार ने राजस्व मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के सचिव की संयुक्त अध्यक्षता में शैल कंपनियों के संबंध में कार्य करने के लिये एक कार्य बल का गठन किया था|
  • इस कार्य बल को शैल कंपनियों के संबंध में होने वाले भ्रष्टाचार के विषय में प्रभावी रूप से समाधान करने के लिये व्यापक तरीके अपनाने का आदेश दिया गया था|
  • उल्लेखनीय है कि विगत तीन वर्षों (2013-14 से 2015-16) के दौरान आयकर विभाग द्वारा की गई जाँच में यह पाया गया है कि ऐसी 1,155 से अधिक शैल कंपनियाँ हैं, जिनका उपयोग 22,000 से अधिक लाभार्थियों द्वारा किया जा रहा हैं|
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