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डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में स्वर्ण योजनाएँ

  • 30 Jan 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

सरकार मौजूदा स्वर्ण जमा योजना और स्वर्ण धातु जमा योजना में बदलाव लाने पर विचार कर रही है ताकि धीरे-धीरे निवेशकों को भौतिक स्वर्ण में अत्यधिक निवेश करने से रोका जा सके।

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि:

  • पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा अपने ऋण कार्यक्रमों के तहत स्वर्ण बॉण्ड जारी करने एवं स्वर्ण मौद्रीकरण पर ज़ोर देने के बावजूद भौतिक स्वर्ण और आभूषणों की खरीद में विभिन्न वित्तीय चैनलों के माध्यम से निवेश तेज़ी से बढ़ा है।

सरकार की योजना:

  • मौजूदा संशोधित स्वर्ण जमा योजना, संशोधित स्वर्ण धातु ऋण योजना और भारतीय स्वर्ण सिक्का योजना में कई संशोधनों को अंतिम रूप दिया गया है।
  • मौजूदा योजना को निवेश सुविधा और कराधान के पहलुओं के माध्यम से आकर्षक बनाया जाएगा।

स्वर्ण योजनाएँ:

स्वर्ण मौद्रीकरण योजना (GMS):

  • GMS, जिसने मौजूदा स्वर्ण जमा योजना' (GDS) और स्वर्ण धातु जमा योजनाओं (GML) को प्रतिस्थापित किया है, को वर्ष 2015 में देश के परिवारों और विभिन्न संस्थाओं के पास रखे सोने को एकत्रित करने और इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिये करने की सुविधा हेतु शुरू किया गया था ताकि भारत लंबे समय तक सोने के आयात पर देश की निर्भरता को कम कर सके।

संशोधित स्वर्ण जमा योजना:

  • जमा सीमा: इस योजना के अंतर्गत किसी भी समय न्यूनतम 30 ग्राम सोना जमा किया जा सकता है तथा जमा की कोई अधिकतम सीमा नहीं है।
    • मौजूदा योजना में प्रस्तावित परिवर्तन: 30 ग्राम सोना जमा करने की सीमा को न्यूनतम 1 ग्राम तक घटाया जा सकता है। योजना के तहत ब्याज से प्राप्त आय और पूंजीगत लाभ को पूंजीगत लाभ कर, धन कर और आयकर से छूट मिलती रहेगी।
  • समयसीमा:
    • नामित बैंक अल्पावधि (1-3 वर्ष) बैंक जमा के साथ-साथ मध्यम (5-7 वर्ष) और दीर्घ (12-15 वर्ष) अवधि के लिये सरकारी जमा योजनाओं के तहत स्वर्ण जमा स्वीकार कर सकते हैं।
  • क्रियान्वयन एजेंसी:
    • सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को यह योजना लागू करने की अनुमति है और वे ब्याज दरों को तय करने के लिये भी स्वतंत्र हैं।
  • समय-पूर्व निकासी:
    • जमाकर्त्ता अपनी जमा राशि की समय से पहले निकासी भी कर सकते हैं। यह व्यक्तिगत रूप से बैंकों द्वारा निर्धारित न्यूनतम लॉक-इन अवधि और जुर्माने के अधीन होगा।
  • संबंधित मुद्दे:
    • सांस्कृतिक मुद्दा: लंबे समय से भारतीयों का सोने से गहरा लगाव रहा है। विशेषतः जब यह आभूषण के रूप में होता है।
      • इस योजना के तहत जमाकर्त्ता को शुरुआत में स्पष्ट करना होगा कि वह नकदी या स्वर्ण में इसे भुनाना चाहता है या नहीं। अगर यह स्वर्ण रूप में ही इसे भुनाना चाहता है, तो बैंक उसे मानकीकृत सोने की छड़ों के रूप में वापस कर देंगे जिसे आमतौर पर व्यक्ति अनिच्छा के साथ ही स्वीकार करते हैं।

संशोधित स्वर्ण धातु ऋण योजना (GML):

  • यह एक ऐसा तंत्र है जिसके तहत एक आभूषण निर्माता रुपए के बजाय सोना उधार लेता है और बिक्री से प्राप्त आय से स्वर्ण धातु ऋण को समायोजित करता है।
  • घरेलू आभूषण निर्माताओं के मामले में 180 दिनों और निर्यात के मामले में 270 दिनों के लिये GML का लाभ उठाया जा सकता है।
  • GML योजना में संशोधन की भी योजना बनाई जा रही है।
  • तरलता प्रभावित होना: इस योजना के अनुसार, बैंक उन ज्वैलर्स या अन्य बैंकों को सोना उधार दे सकते हैं या बेच सकते हैं जो इस योजना का हिस्सा हैं।
    • हालाँकि नकदी किसी को भी दी जा सकती है लेकिन जमा स्वर्ण केवल उन लोगों को ही दिया जाता है जिन्हें विशेष रूप से इसकी आवश्यकता है।
    • इस प्रकार बैंकों को स्वर्ण जमाकर्त्ताओं के साथ स्वर्ण लेनदारों का मिलान करना मुश्किल हो जाता है।
    • इसका मतलब यह है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जब बैंकों के पास स्वर्ण जमाकर्त्ताओं को दिये जाने वाले ब्याज के लिये पर्याप्त धन नहीं हो।

सॉवरेन गोल्ड बॉण्ड योजना

  • उद्देश्य: यह लोगों को भौतिक स्वर्ण के बजाय स्वर्ण बॉण्ड खरीदने के लिये प्रोत्साहित करती है।
  • जारीकर्त्ता: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) केंद्र सरकार की तरफ से इन बॉण्डों को जारी करता है।
  • विशेषताएँ: 
    • इस योजना के तहत कम-से-कम दो ग्राम सोना और अधिक-से-अधिक 500 ग्राम सोने के मूल्य के बराबर बॉण्ड खरीदे जा सकते हैं।
    • स्वर्ण बॉण्ड केवल निवासी भारतीय संस्थाओं, व्यक्तियों, हिंदू अविभाजित परिवारों, ट्रस्टों, विश्वविद्यालयों और धर्मार्थ संस्थानों को बेचे जाएंगे।
    • इस बॉण्ड की परिपक्वता अवधि आठ वर्ष होती है जिसमें पाँचवें वर्ष में बाहर निकलने की भी सुविधा है। ये सभी बॉण्ड व्यापार योग्य होते हैं।
    • इन बॉण्डों को ऋण के संदर्भ में संपार्श्विक (Collateral) के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • संबंधित मुद्दे: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमत डॉलर से जुड़ी होती है, यदि ये स्वर्ण बॉण्ड पर्याप्त रूप से आकर्षक बनाए जाएँ तो रुपए आधारित बॉण्ड के विकल्प बन सकते हैं।

गोल्ड कॉइन एंड बुलियन स्कीम:

  • इसके तहत सरकार स्वर्ण सिक्के जारी करती है, जिन पर अशोक चक्र अंकित होता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

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