भारतीय अर्थव्यवस्था
जी 20 मंत्रिस्तरीय बैठक
- 11 Jun 2019
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चर्चा में क्यों?
जापान के टोक्यो शहर के पास स्थित त्सुकुबा में व्यापार तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर G20 मंत्रिस्तरीय शिखर सम्मेलन का 9 जून को समापन हो गया।
प्रमुख बिंदु
- बैठक में G20 देशों के मध्य व्यापार तथा सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि डिजिटल अर्थव्यवस्था की क्षमता का पूर्ण उपयोग किया जा सके।
- हालाँकि G20 में कोई अनिवार्य प्रतिबद्धता नहीं है, यह व्यापार संबंधों के लिये बहुपक्षीय एजेंडा निर्धारित करता है।
भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे
- विकासशील देशों में घरेलू तथा वैश्विक व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिये मध्यम और लघु उद्योगों की भागीदारी।
- डिजिटल कराधान: भारत ने वैश्विक डिजिटल कंपनियों पर कर लगाने के लिये ‘महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति’ (Significant Economic Presence) की अवधारणा को अपनाने का आग्रह किया है।
- भगोड़ा आर्थिक अपराध: भारत ने G20 देशों से उन भगोड़े आर्थिक अपराधियों से निपटने में सहयोग देने के लिये भी कहा है जो कानून से बचने के लिये अपने देश से भाग जाते हैं।
- गैर-अनुपालन कर: भारत ने गैर-अनुपालन कर सीमाधिकार (Non-Compliant Tax Jurisdictions) से निपटने के लिये एक आम रक्षात्मक टूलकिट (Common Defensive Toolkit ) के विकास की बात पर भी ज़ोर दिया है। गौरतलब है कि गैर-अनुपालन कर सीमाधिकार कर संबंधी जानकारी साझा करने पर रोक लगाता है।
- G20 वैश्विक फोरम को विकासशील देशों तथा वित्तीय केंद्रों, जो कि प्रासंगिक हैं परंतु अभी तक इसके लिये प्रतिबद्ध नहीं हैं, के अधिकार क्षेत्रों को निर्धारित कर ‘वित्तीय खाते की जानकारी के स्वतः आदान-प्रदान’ (Automatic Exchange of Financial Account Information- AEOI) हेतु नेटवर्क को और अधिक विस्तृत करना चाहिये।
डिजिटल कराधान
- इंटरनेट की दिग्गज कंपनियाँ - फेसबुक और गूगल आयरलैंड जैसे देशों में कम-कर क्षेत्राधिकार (Low-Tax Jurisdictions) का लाभ उठती हैं तथा उन देशों में नहीं के बराबर भुगतान करती हैं जहाँ से वे काफी लाभ कमाती हैं।
- डिजिटल आर्थिक कंपनियों द्वारा अर्जित किये गए लाभ पर कर लगाने के लिये संबंध को निर्धारित तथा लाभ आवंटित करने जैसे मुद्दों को सुलझाने पर भी जोर दिया गया।
- G20 ने कर वितरण प्रणाली को ठीक करने का कार्य ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (Organisation for Economic Cooperation and Development) को सौंपा है।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी
- भगोड़ा आर्थिक अपराधी वह व्यक्ति होता है जिसने 100 करोड़ या उससे अधिक की राशि से संबंधित कोई अपराध किया हो तथा भारत में आपराधिक मुकदमे का सामना करने से बचने के लिये या तो फरार हो गया हो या भारत वापस आने से मना कर रहा हो।
- यह वह व्यक्ति होता है जिसे धनशोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money-Laundering Act) [PMLA, 2002] के अधीन गठित ‘विशेष न्यायालय’ द्वारा भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जाता है, जिसके विरुद्ध भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 में वर्णित किसी आर्थिक अपराध के लिये गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया हो तथा जिसने आपराधिक अभियोग से बचने के लिये या तो भारत छोड़ दिया है या वापस आने से मना कर दिया है।
वित्तीय खाते संबंधी जानकारी का स्वतः आदान-प्रदान (AEOI)
- ‘वित्तीय खाते संबंधी जानकारी का स्वत: आदान-प्रदान’ गैर-निवासियों के वित्तिय खातों की जानकारी को खाता धारक के देश के कर अधिकारियों के साथ साझा करने की सुविधा देता है। यह कर चोरी की संभावनाओं को कम करता है।
- यह पूर्व में हुई कर चोरी का पता लगाने में सक्षम बनाएगा। यह सरकार को उस कर की वसूली में भी सक्षम बनाएगा जिसे सरकार को गैर-करदाताओं के कारण खोना पड़ा | यह वित्तीय संस्थानों और कर प्रशासन के मध्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पारदर्शिता, सहयोग और जवाबदेही को बढ़ावा देने के प्रयासों को भी मज़बूती प्रदान करेगा।
- इसके अतिरिक्त यह छिपाई गई संपत्ति के स्वैच्छिक खुलासे को बढ़ावा देकर तथा करदाताओं को सभी प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने के लिये प्रोत्साहित करके अतिरिक्त लाभ प्रदान करेगा।
G20 समूह
- ग्रुप ऑफ़ टवेंटी या G20, अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय (Economic and Financial) एजेंडा के सबसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग हेतु प्रमुख मंच है। यह दुनिया की प्रमुख उन्नत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ लाता है।
- G20 समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- G20 के सम्मेलनों में संयुक्त राष्ट्र (United Nation), IMF और विश्व बैंक भी भाग लेते हैं।
G20 समूह में शामिल अर्थव्यवस्थाएँ
- G20 समूह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत, वैश्विक निवेश का 80% तथा पूरे विश्व की जनसंख्या के दो-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
G20 समूह का उद्देश्य
- वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत् आर्थिक संवृद्धि हासिल करने हेतु सदस्यों के मध्य नीतिगत समन्वय स्थापित करना।
- वित्तीय विनियमन (Financial Regulations) को बढ़ावा देना जो कि जोखिम (Risk) को कम करते हैं तथा भावी वित्तीय संकट (Financial Crisis) को रोकते हैं।
- एक नया अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आर्किटेक्चर बनाना।
G20 समूह की उत्पति और विकास
- 1997 के बड़े वित्तीय संकट के पश्चात् यह निर्णय लिया गया था कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर एकत्रित होना चाहिये।
- G20 समूह की स्थापना 1999 में 7 देशों-अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ़्राँस और इटली के विदेश मंत्रियों के नेतृत्व में की गई थी।
- संयुक्त राष्ट्र (United Nation), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक (World Bank) के स्टाफ स्थायी होते हैं और इनके हेडक्वार्टर भी होते हैं, जबकि G20 का न तो स्थायी स्टाफ होता है और न ही हेडक्वार्टर, यह एक फोरम मात्र है।