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एफआरबीएम का लक्ष्य - वर्ष 2023 तक राजकोषीय घाटा होगा 2.5 फीसदी

  • 14 Apr 2017
  • 5 min read

संदर्भ
गौरतलब है कि राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management - FRBM) पैनल ने वर्ष 2022-23 (इसके छह वर्षीय मध्यम अवधि का राजकोषीय रोडमैप) के लिये सकल घरेलू उत्पाद के लिये राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 2.5%, राजस्व घाटा का लक्ष्य 0.8% और केंद्र-राज्य संयुक्त ऋण की अधिकतम सीमा को 60% रखने की अनुशंसा की है|

प्रमुख बिंदु

  • ये और अन्य अनुसंशाएँ ऋण प्रबंधन के प्रारूप और राजकोषीय उत्तरदायित्व विधेयक (draft debt management and fiscal responsibility Bill) का ही एक भाग है जिसे केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है| ध्यातव्य है कि यह विधेयक राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम (FRBM Act) को प्रतिस्थापित करेगा|
  • संसद के पूर्व सदस्य और राजस्व एवं व्यय सचिव एन.के सिंह की अध्यक्षता में गठित इस पैनल का उद्देश्य नीति निर्माताओं को राजस्व ढाँचे के अंतर्गत नम्यता (flexibility) उपलब्ध करना था|

पैनल द्वारा प्रस्तुत सिफारिशें

  • ध्यातव्य है कि पैनल के द्वारा वित्तीय वर्ष 2018-20 तक 3% के स्थिर लक्ष्य का सुझाव दिया गया और कुछ निश्चित सख्त एस्केप क्लॉज़ (escape clauses) की भी अनुशंसा की गई है, जिसके कारण सरकार किसी भी दिये गए वर्ष के लिये निर्धारित राजस्व रोड मैप से 0.5% का विचलन प्रदर्शित कर सकेगी|
  • इस पैनल (जिसकी व्यापक रिपोर्ट को 13 अप्रैल को सार्वजनिक कर दिया गया) ने एक राजस्व परिषद् (fiscal council) के गठन का भी सुझाव दिया है|
  • वस्तुतः राजस्व परिषद् एक स्वतंत्र निकाय होगा जिसका कार्य किसी भी दिये गए वर्ष के लिये सरकार की राजस्व घोषणाओं की निगरानी करना होगा|
  • इसमें इसके स्वयं की भविष्यवाणी और विश्लेषण तथा एस्केप क्लॉज़ को बनाए रखने में वित्त मंत्रालय को सलाह देना भी शामिल होगा|

FRBM-Recomodation• इस समिति के द्वारा मध्यम अवधि के समेकन (जहाँ राजकोषीय घाटे को एक उड़ान पथ माना जाता है) में सकल घरेलू उत्पाद में 2.5% तक की कमी लाने की अनुशंसा की गई है|
पैनल के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 तक केंद्र का कर्ज़ 40 फीसदी तक कम करने का विचार है| राज्यों के लिये, सकल घरेलू उत्पाद के 20% तक के संयुक्त ऋण की परिकल्पना की गई है|
• पैनल की रिपोर्ट में पैनल के सदस्यों और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमनियम द्वारा प्रकट की गई असहमति से संबंधित एक नोट भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें यह कहा गया था कि नीति निर्माताओं का ध्यान राजस्व घाटे के बजाय प्राथमिक घाटे को कम करने पर होना चाहिये| 
• इस पैनल के अन्य सदस्यों में पूर्व वित्त सचिव सुमित बोस, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और लोक वित्त और नीति के राष्ट्रीय संस्थान (National Institute of Public Finance and Policy) के निदेशक रथिन राय भी शमिल थे| 
• पैनल ने एस्केप क्लॉज़ (escape clause) की अनुसंशा को सिद्ध करते हुए कहा कि राजस्व नम्यता की डिग्री को एस्केप क्लॉज़ के अंतर्गत शामिल किया गया है जबकि आधार रेखा के राजस्व पथ से अस्थायी और मध्यम विचलन को असाधारण परिस्थितियों के तहत तथा बाहरी झटकों के प्रतिक्रियास्वरूप अनुमति प्रदान की गई है|
इन एस्केप क्लॉज़ का सरकार द्वारा गलत फायदा नहीं उठाया जाए इसके लिये पैनल ने स्पष्ट किया है कि इन्हें मौजूदा एफआरबीएम अधिनियम के विपरीत बहुत ही संकीर्णता और विशेष रूप से परिभाषित किया गया है| 

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