लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

भारतीय अर्थव्यवस्था

विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि

  • 17 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में वृद्धि के फलस्वरूप भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.620 बिलियन डॉलर बढ़कर 430.572 बिलियन डॉलर हो गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • एक निश्चित समय पर किसी देश के पास उपलब्ध कुल विदेशी मुद्रा उसकी ‘विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति’ होती है।
  • किसी देश के ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ (Foreign Exchange Reserves) से आशय उस देश की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights-SDRs), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में रिज़र्व ट्रेन्च (Reserve Tranche) आदि से है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा होता है।
  • आधिकारिक तौर पर RBI न तो किसी विशेष विनिमय दर और न ही विदेशी मुद्रा भंडार को लक्षित करता है, लेकिन विदेशी मुद्रा बाज़ार में अस्थिरता को कम करने के लिये RBI विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखता है।
    • विदेशी मुद्रा भंडार का प्रयोग RBI द्वारा उस स्थिति में किया जाता है जब रुपया डॉलर के मुकाबले अस्थिर हो जाता है।
  • गौरतलब है कि वर्तमान में चीन के पास सबसे ज़्यादा विदेशी मुद्रा भंडार (लगभग 3.2 ट्रिलियन डॉलर) है। भारत इस श्रेणी में छठे स्थान पर है।

रिज़र्व ट्रेन्च

(Reserve Tranche)

रिज़र्व ट्रेन्च वह मुद्रा होती है जिसे प्रत्येक सदस्य देश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) को प्रदान किया जाता है और जिसका उपयोग वे देश अपने स्वयं के प्रयोजनों के लिये कर सकते हैं। इस मुद्रा का प्रयोग सामान्यतः आपातकाल की स्थिति में किया जाता है।

विशेष आहरण अधिकार 

(Special Drawing Rights-SDRs)

  • SDR को IMF द्वारा 1969 में अपने सदस्य देशों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आरक्षित संपत्ति के रूप में बनाया गया था।
  • SDR न तो एक मुद्रा है और न ही IMF पर इसका दावा किया जा सकता है।
  • आरंभ में SDR को 0.888671 ग्राम सोने के बराबर परिभाषित किया गया था, जो उस समय एक डॉलर के बराबर था, परंतु ब्रेटन वुड्स प्रणाली (Bretton Woods System) के पतन के बाद SDR को मुद्राओं की एक टोकरी के रूप में फिर से परिभाषित किया गया था।

इस टोकरी में पाँच देशों की मुद्राएँ शामिल हैं- अमेरिकी डॉलर (Dollar), यूरोप का यूरो (Euro), चीन की मुद्रा रॅन्मिन्बी (Renminbi), जापानी येन (Yen), ब्रिटेन का पाउंड (Pound)।

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2