भारतीय अर्थव्यवस्था
FMCG सेक्टर की वृद्धि होगी धीमी
- 07 May 2019
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चर्चा में क्यों?
मुख्य रूप से आय में अपर्याप्त वृद्धि और तरलता की कमी के कारण FMCG क्षेत्र की वृद्धि में धीमापन आ सकता है। इसका कारण ग्रामीण क्षेत्रों की मांग में कमी, कृषिगत आय में आई कमी और उपभोक्ताओं का कम होता विश्वास है।
भारत में FMCG क्षेत्र की स्थिति
- फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (Fast moving consumer goods-FMCG) भारतीय अर्थव्यवस्था में चौथा सबसे बड़ा क्षेत्र है।
- इस क्षेत्र में तीन मुख्य खंड हैं - खाद्य और पेय पदार्थ (19%), स्वास्थ्य सेवा (31%) एवं घरेलू तथा व्यक्तिगत देखभाल (शेष 50%)।
- बढ़ती जागरूकता, आसान पहुँच और बदलती जीवन शैली इस क्षेत्र के लिये प्रमुख विकास चालक रहे हैं।
- भारत में FMCG सेक्टर द्वारा उत्पन्न कुल राजस्व में शहरी भाग का सबसे बड़ा योगदान है।
- हालाँकि, पिछले कुछ वर्षों में शहरी भारत की तुलना में ग्रामीण भारत में FMCG बाज़ार का विकास तीव्र गति से हुआ है।
FMCG क्षेत्र में सरकारी पहल
- कैश एंड कैरी सेगमेंट (cash and carry segment) में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और एकल-ब्राण्ड रिटेल के साथ-साथ मल्टी-ब्रांड रिटेल में 51% FDI को मंज़ूरी।
- खाद्य प्रसंस्करण खंड में 100% एफडीआई की अनुमति।
- ये पहल रोज़गार और आपूर्ति श्रृंखलाओं को मज़बूती प्रदान करेंगी और संगठित खुदरा बाज़ारों में FMCG ब्रांडों के लिये उच्च दृश्यता प्रदान करेगी, जिससे उपभोक्ताओं की संख्या में वृद्धि होगी।
- अधिक-से-अधिक उत्पादों को लॉन्च करने पर खर्च करना और उन्हें प्रोत्साहन प्रदान करना।
- माल एवं सेवा कर (Goods and Services Tax-GST) शुरू किये जाने से FMCG उद्योग को लाभ पहुँचा है। उदाहरण के लिये, FMCG उत्पादों जैसे- साबुन, टूथपेस्ट और हेयर ऑयल को पिछली 23-24% की दर के मुकाबले 18% कर के दायरे में शामिल किया गया हैं।