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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पाकिस्तान को FATF की ग्रे लिस्ट में बनाए रखने का निर्णय

  • 26 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये 

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल

मेन्स के लिये 

FATF कार्य व इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force- FATF) ने पाकिस्तान को “इन्क्रीज्ड मॉनिटरिंग लिस्ट” में बनाए रखने का निर्णय लिया है।

  • “इन्क्रीज्ड मॉनिटरिंग लिस्ट” ग्रे सूची का ही दूसरा नाम है।

प्रमुख बिंदु

पृष्ठभूमि: 

  • FATF ने जून 2018 में पाकिस्तान को ’ग्रे सूची’ में रखने के बाद 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना जारी की थी। यह कार्रवाई योजना धन शोधन और आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने से संबंधित है।
  • अक्तूबर 2020 सत्र के दौरान FATF द्वारा पाकिस्तान के लिये निर्धारित 27 सूत्रीय कार्रवाई योजना को पूर्ण करने की समय-सीमा को कोविड-19 महामारी के कारण फरवरी 2021 तक विस्तारित कर दिया गया था। 
    • तब इसने 27 निर्देशों में से 6 का पूरी तरह से अनुपालन नहीं किया था।
  • फरवरी 2021 में, FATF ने आतंकवाद का मुकाबला करने में पाकिस्तान की महत्त्वपूर्ण प्रगति को स्वीकार किया, हालाँकि उसे अभी भी 27-सूत्रीय कार्य योजना में से तीन का पूरी तरह से पालन करना था।
    • ये तीन बिंदु वित्तीय प्रतिबंधों और आतंकी फंडिंग वाले बुनियादी ढाँचे तथा इसमें शामिल संस्थाओं के खिलाफ दंड के संदर्भ में प्रभावी कदमों से संबंधित थे।

ग्रे सूची में बरकरार रखने के विषय में:

  • FATF ने कहा कि पाकिस्तान 26/11 के आरोपी हाफिज सईद और JeM प्रमुख मसूद अजहर जैसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने में विफल रहा है। हालाँकि पाकिस्तान ने कार्रवाई के 27 में से 26 बिंदुओं को पूरा किया है
  • FATF पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण की जाँच और संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के वरिष्ठ नेताओं और कमांडरों को लक्षित करते हुए अभियोजन के माध्यम से आतंकवाद के वित्तपोषण का विरोध करने से संबंधित एक शेष मुद्दे को जल्द से जल्द संबोधित करने के लिये प्रगति जारी रखने के लिये प्रोत्साहित करता है।
  • इसके अलावा, FATF ने मुख्य रूप से मनी लॉन्ड्रिंग कार्रवाइयों को पूरा करने के लिये कार्यों की एक और 6-सूत्रीय सूची  भी सौंपी है।
    • पाकिस्तान से उसके मनी-लॉन्ड्रिंग अधिनियम में संशोधन करने, नामित गैर-वित्तीय व्यवसायों और पेशों (Designated Non-Financial Businesses and Professions- DNFBPs) जैसे- रियल एस्टेट एजेंसियों तथा रत्न व्यापारियों पर कार्रवाई, मनी लॉन्ड्रिंग संस्थाओं की संपत्तियों को जब्त एवं फ्रीज करने और वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिये व्यवसायों की निगरानी करने के साथ ही गैर-अनुपालन की स्थिति में उन पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने की उम्मीद की गई है।

महत्त्व: 

  • FATF ने पाकिस्तान के विरुद्ध आतंकी गतिविधियों के लिये धन जुटाने में शामिल कई प्रतिबंधित संगठनों जैसे- जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा के हाफिज सईद आदि पर कार्रवाई में निष्क्रियता के मामले में संज्ञान लिया है।
  • भारत ने कई मौकों पर 26/11 के मुंबई और पुलवामा हमलों सहित कई आतंकी मामलों में पाकिस्तान में पल रहे आतंकवादियों की संलिप्तता को उजागर किया है।
  • पाकिस्तान का FATF की ग्रे सूची में बना रहना उसके समक्ष यह दबाव बनाएगा कि वह भारत में इस तरह के आतंकवादी हमलों को रोकने के लिये पर्याप्त उपाय करे।
    • अगले स्तर की "ब्लैकलिस्ट" के विपरीत, ग्रेलिस्टिंग में कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है, लेकिन यह आर्थिक सख्ती को आकर्षित करता है और किसी देश की अंतर्राष्ट्रीय ऋण तक पहुँच को प्रतिबंधित करता है।
      • पाकिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा यह अनुमान लगाया था कि प्रत्येक उस वर्ष के दौरान जब  पाकिस्तान ग्रेलिस्ट में रहा है, पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को 10 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल

परिचय: 

  • FATF का गठन वर्ष 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था।
  • FATF मनी लांड्रिंग, टेरर फंडिंग जैसे मुद्दों पर दुनिया में विधायी और नियामक सुधार लाने के लिये आवश्यक राजनीतिक इच्छा शक्ति पैदा करने का काम करता है। यह व्यक्तिगत मामलों को नहीं देखता है।

उद्देश्य: 

  • FATF का उद्देश्य मनी लॉड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण जैसे खतरों से निपटना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिये अन्य कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।

मुख्यालय: 

सदस्य देश: 

FATF की सूचियाँ:

  • ग्रे लिस्ट: 
    • किसी भी देश का FATF की ‘ग्रे’ लिस्ट में शामिल होने का अर्थ है कि वह देश आतंकवादी फंडिंग और मनी लॉड्रिंग पर अंकुश लगाने में विफल रहा है।
  • ब्लैक लिस्ट: 
    • किसी भी देश का FATF की ‘ब्लैक लिस्ट’ (Black List) में शामिल होने का अर्थ है कि उस देश को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाएगी।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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