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शासन व्यवस्था

शत्रु संपत्ति

  • 24 Jan 2020
  • 8 min read

प्रीलिम्स के लिये:

शत्रु संपत्ति

मेन्स के लिये:

शत्रु संपत्ति संशोधन की आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय ग्रह मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रियों के समहू (Group of Ministers-GOM) द्वारा 9400 से अधिक शत्रु संपत्तियों का निपटान किया जाएगा।

मुख्य बिंदु:

  • शत्रु संपत्ति अधिनियम (The Enemy Property Act) के तहत भारत में शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन/संरक्षक के अंतर्गत अचल संपत्ति के निपटान के लिये वरिष्ठ अधिकारियों की अध्यक्षता में दो समितियों को अधिसूचित किया गया है।
  • गृह मंत्रालय, आर्थिक मामलों के विभाग, व्यय विभाग, सार्वजनिक उद्यम विभाग, कानूनी मामलों के विभाग और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि तथा अन्य लोगों के साथ अंतर-मंत्रालय समूह के सदस्य इन समितियों में शामिल होंगे।
  • गृह मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दी गई एक जानकारी के अनुसार 2 जनवरी, 2018 तक भारत में कुल 9,280 शत्रु संपत्तियाँ पाकिस्तानी नागरिकों की तथा 126 चीनी नागरिकों की थीं। सरकार के अनुसार इन संपत्तियों की अनुमानित लागत 1 लाख करोड़ रुपए है।
  • पाकिस्तानी नागरिकों द्वारा छोड़ी गई 9,280 संपत्तियों में सर्वाधिक उत्तर प्रदेश में (4991) इसके बाद पश्चिम बंगाल (2,735) तथा दिल्ली (487) में हैं।
  • चीनी नागरिकों द्वारा छोड़ी गई 126 संपत्तियों में सर्वाधिक मेघालय (57) में तथा पश्चिम बंगाल (29) में स्थित हैं।

शत्रु संपत्ति क्या है?

  • ऐसे लोग जो देश के विभाजन के समय या फिर 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के बाद चीन या पाकिस्तान जाकर बस गए और उन्होंने वहाँ की नागरिकता ले ली हो, भारत के रक्षा अधिनियम, 1962 के तहत सरकार उनकी संपत्ति को ज़ब्त कर सकती है और ऐसी संपत्ति के लिये अभिरक्षक या संरक्षक (कस्टोडियन) नियुक्त कर सकती है। अतः देश छोड़कर जाने वाले ऐसे लोगों की भारत में मौजूद संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ कहलाती है।
  • 10 जनवरी, 1966 के ताशकंद घोषणा में एक खंड को शामिल किया गया जिसमें कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद दोनों ओर से कब्ज़े में ली गई संपत्ति और उसकी वापसी पर चर्चा की जाएगी।
  • पाकिस्तान सरकार द्वारा वर्ष 1971 में ही अपने देश में मौजूद सभी संपत्तियों का निपटारा किया जा चुका है।

शत्रु संपत्ति के निपटारे हेतु भारत सरकार का कदम:

  • शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के अनुसार , कोई भी व्यक्ति जो भारत में शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन के रूप में नियुक्त है। केंद्र सरकार,उस कस्टोडियन/संरक्षक के माध्यम से, देश के राज्यों में फैली दुश्मन संपत्तियों को अपने कब्ज़े में लेने के लिये प्रयासरत है।
  • वर्ष 2017 में संसद ने शत्रु संपत्ति (संशोधन और सत्यापन) विधेयक, 2016 पारित किया, जिसमें शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 और सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत व्यवसायियों का निष्कासन) अधिनियम, 1971 में संशोधन किया गया। इन संशोधनों के अनुसार:
    • यदि कोई शत्रु संपत्ति कस्टोडियन के अंतर्गत है, तो यह शत्रु, शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म का विचार किये बिना उसके अंतर्गत ही रहेगी।
    • यदि मृत्यु आदि जैसे कारणों की वज़ह से शत्रु संपत्ति के रूप में इसे स्थगित भी कर दिया जाता है, तो भी यह कस्टोडियन के ही निहित रहेगी।
    • उत्तराधिकार का कानून शत्रु संपत्ति पर लागू नहीं होगा।
    • शत्रु अथवा शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म के द्वारा कस्टोडियन में निहित किसी भी संपत्ति का हस्तांतरण नहीं किया जा सकता।
    • कस्टोडियन शत्रु संपत्ति की तब तक सुरक्षा करेगा, जब तक अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप इसका निपटारा नहीं होता।
  • केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के साथ कस्टोडियन, अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उसके द्वारा निहित शत्रु संपत्तियों का निपटान कर सकता है, और सरकार इस उद्देश्य के लिये कस्टोडियन को निर्देश जारी कर सकती है।

संशोधन की आवश्यकता:

  • इन संशोधनों का उद्देश्य से युद्ध के बाद पाकिस्तान और चीन चले गए लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्तियों के हस्तांतरण दावों को संरक्षण प्रदान करना था।
  • शत्रु संपत्ति पर किसी भी कानूनी वारिस के इनकार करने से संबंधित न्यायालय के फैसले को संशोधनों के माध्यम से नकारा गया।
  • विधेयक में कहा गया है कि विभिन्न अदालतों द्वारा देर से निर्णय लिये गए हैं जिन्होंने कस्टोडियन और भारत सरकार की शक्तियों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है विभिन्न अदालतों द्वारा दिये गये इन निर्णयों के मद्देनज़र, कस्टोडियन को शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत बनाए रखना मुश्किल हो रहा था।
  • अतः उपरोक्त सभी कारणों की वज़ह से संशोधन किया जाना आवश्यक था।

शत्रु संपत्ति के संबंध में अदालत के विभिन्न निर्णय:

  • महमूदाबाद के तत्कालीन राजा की संपत्ति के मामले में एक बड़ा फैसला न्यायालय द्वारा सुनाया गया, जिसके पास हज़रतगंज, सीतापुर और नैनीताल में कई बड़ी संपत्तियाँ थीं। विभाजन के बाद वह लंदन में जाकर बस गए। उनकी पत्नी और पुत्र मोहम्मद अमीर मोहम्मद खान, भारतीय नागरिक के रूप में भारत में ही रहे।
  • वर्ष 1968 में भारत सरकार द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किये जाने के बाद उनकी संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया था। फिलहाल सर्वोच्च न्यायलय द्वारा राजा महमूदाबाद की संपत्ति को बेचने पर रोक लगा दी गई है।
  • 2 जुलाई, 2010 में तत्कालीन सरकार ने उस अध्यादेश को रद्द कर दिया था, जिसमें सरकार ने कस्टोडियन से शत्रु संपत्तियों को विभाजित करने के आदेशों पर रोक लगा दी थी।
  • 7 जनवरी 2016 को राष्ट्रपति ने शत्रु संपत्ति (संशोधन और मान्यता) अध्यादेश, 2016 [Enemy Property (Amendment and Validation) Ordinance] को रद्द कर दिया, जिसे 2017 में कानून बनने वाले विधेयक द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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