लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली न्यूज़

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

क्या पृथ्वी इतनी ही भारी थी : एक अध्ययन

  • 29 Sep 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में पृथ्वी एवं इसके पड़ोसी ग्रह मंगल के निर्माण के संबंध में प्रकाशित एक अध्ययन में पृथ्वी के निर्माण के संबंध में कुछ महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को उल्लेखित किया गया है। इस अध्ययन के अनुसार, अंतरिक्ष में हुई एक प्रचंड एवं अराजकतापूर्ण प्रक्रिया के दौरान पृथ्वी का निर्माण हुआ था, जिसमें पृथ्वी के तकरीबन 40% से अधिक द्रव्यमान का नुकसान हुआ।

अध्ययन के प्रमुख बिंदु 

  • ग्रहों का निर्माण अतिरिक्त सामग्रियों (यह किसी ग्रह के पड़ोसी ग्रह के साथ टकराव के कारण उत्पन्न हुई सामग्रियों का संग्रहण होता है) के क्रमिक संचय में वृद्धि होने की प्रक्रिया के तहत होता है।
  • यह एक अराजक प्रक्रिया होती है, जिसमें कुछ सामग्रियों/द्रव्यों के नष्ट होने के साथ-साथ  कुछ सामग्रियाँ/द्रव्य एकत्रित भी होते हैं।
  • प्रति सेकंड कई किलोमीटर की रफ्तार से गतिमान बड़े ग्रहों के समूह से पर्याप्त मात्रा में गर्मी उत्पन्न होती है, जिसके परिणामस्वरूप मैग्मा महासागरों और वाष्पीकृत चट्टानों के अस्थायी वायुमंडल का निर्माण होता है।
  • इन ग्रहों के मंगल ग्रह के आकार के होने से पहले इनका गुरुत्वाकर्षण प्रभाव इतना अधिक कमज़ोर हो जाता है कि यह इनके सिलिकेट वायुमंडल को बनाए नहीं रख पाता है। 
  • टकराव की वृद्धि के दौरान वाष्प के आवरण में कमी होती जाती है, जिस कारण ग्रह की संरचना में निरतंर परिवर्तन होता रहता है।

पृथ्वी एवं मंगल की उत्पत्ति 

  • वैज्ञानिकों द्वारा प्रदत्त साक्ष्यों से यह स्पष्ट होता है कि पृथ्वी एवं मंगल ग्रह की संरचना भी इसी प्रकार की घटनाओं के क्रम में हुई है। 
  • मैग्नीशियम आइसोटोप के अनुपात में सिलिकेट वाष्प हानि के परिणामस्वरूप परिवर्तन होता रहता है, इनमें प्राथमिक तौर पर हल्के आइसोटोप शामिल होते हैं। 
  • ध्यातव्य है कि इसी आधार पर यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि पृथ्वी के निर्माण के दौरान इसका तकरीबन 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा नष्ट हो गया था।

काउबॉय बिल्डिंग जॉब 

  • "काउबॉय बिल्डिंग जॉब" (Cowboy Building Job) के रूप में वर्णित इस प्रक्रिया के तहत ही पृथ्वी की अनूठी संरचना का निर्माण हुआ।

निष्कर्ष
इस प्रक्रिया के विषय में गहन अध्ययन करने के पश्चात् यह ज्ञात होता है कि हमारे सौर मंडल के न केवल पृथ्वी एवं मंगल ग्रहों, बल्कि सभी ग्रहों का निर्माण इसी प्रक्रिया के तहत हुआ है। संभवतः इसके इतर अन्य सौरमंडलों के ग्रहों के निर्माण में भी ऐसी या फिर यही प्रक्रिया परिणत हुई होगी। हालाँकि, ग्रहों के टकराव की विभिन्न स्थितियों एवं दशाओं में अंतर होने के कारण उनकी संरचनाओं में विविधता पाई जाती है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2